पिंजरों में बंद पक्षियों के पास गुनगुनाने के लिए कुछ भी नहीं

लोगों द्वारा अपने घरों में रखे जाने वाले सभी जानवरों में पक्षी सबसे अभागे साथी हैं. जंगल में, पक्षी झुंडों में रहते हैं और सैकड़ों अलग-अलग आवाजें निकालकर एक-दूसरे से बातें करते हैं, वे चिकनी-चुपड़ी बकबक और कानाफुसी भी करते हैं जिन्हें हम सुन भी नहीं सकते हैं. इतना ही नहीं, वे बड़ी विनम्रता से बारी-बारी बातें करते हैं और दूसरे पक्षियों को अपनी बातें रखने का मौका देते हैं. वे रेत में नहाने, लुका-छिपी खेलने, डांस करने, अपने साथियों के साथ घोंसले बनाने और अपने बच्चों का पालन पोषण करने जैसी सामाजिक गतिविधियों में मशरूफ़ रहना पसंद करते हैं. एक बर्डवॉचर ने पक्षियों को एक बर्फीली चोटी के ऊपर चढ़ते, नीचे फिसलते और फिर अपनी मौजमस्ती करने के लिए फिर से चढ़ते देखा है!

जब इन मौज-मस्ती करने वाले पक्षियों को पकड़कर पिंजरों में कैद कर दिया जाता है, तो वे उदास और परेशान हो जाते हैं. वे अक्सर अपने आपको घाव हो जाने तक नोचने लगते हैं. कुछ लोग तो दर्दनाक तरीके से पक्षियों के पर/पंख कतर देते हैं ताकि वे दूर न उड़ सकें, जबकि पक्षियों के लिए उड़ना उतना ही स्वाभाविक और महत्वपूर्ण है जितना हमारे लिए चलना-फिरना है.

पक्षी आकाश में अपना रास्ता खोजने में गज़ब माहिर होते हैं. गीज़/कलहंस जैसे पक्षी विशाल क्षेत्रों से गर्म इलाकों में प्रवास करते हैं, वे हवा की धाराओं के साथ उड़ते हुए और सूरज, तारों, स्थलों और यहां तक ​​कि पृथ्वी के विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र का उपयोग करके अपना रास्ता खोजते हैं.

पक्षी भी अपने साथियों के साथ आत्मीयता से जुड़े होते हैं. गीज़/कलहंस, अल्बाट्रोस, पेंगुइन और कबूतरों की कई प्रजातियाँ एकांगी(सिर्फ एक से यौन संबंध बनाने वाले) हैं, और इन पक्षियों को अपने साथियों की मृत्यु का शोक मनाते देखा गया है. वे अन्य जानवरों की तुलना में एक नए साथी को खोजने में अधिक समय लेते हैं. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आपस में बनाए गए अपने रिश्तों का तालमेल बिठाकर वे अंडे सेते हैं, अपने बच्चों को खिलाते-पिलाते हैं, और अपने बच्चों को उड़ना और घोंसले बनाना सिखाते हैं. एक कूप (कुक्कू परिवार का एक सदस्य) को एक बार अपने मृत साथी को दोबारा जीवित करने की कोशिश करते हुए देखा गया था.

पक्षी अक्सर उनके झुंड और कभी-कभी उनके प्रतिद्वंद्वियों तक के साथ भी वफादारी निभाते हैं. उदाहरण के लिए, एक रॉबिन, एक लड़ाई में दूसरे रॉबिन को अपंग करने के बाद, उसे जीवित रखने के लिए खिलाते हुए देखा गया.

घरेलू पक्षी भी असाधारण होते हैं. इंग्लैंड के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एक जीव व्यवहार विशेषज्ञ डॉ. क्रिस इवांस द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि मुर्गियां छोटे बच्चों की तरह ही स्मार्ट होती हैं. वे अपने आसपास के तापमान को नियंत्रित करने के लिए बटनों/स्विचेस और लीवर का उपयोग करना सीख सकती हैं और यहां तक ​​कि चारा क्षेत्रों के दरवाजे खोल भी सकती हैं.

पक्षी कोई बाजार में बिकने वाली वस्तु नहीं

इन बुद्धिमान और संवेदनशील पक्षियों को पिंजरों में कैद रखना क्रूर और अवैध है. भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 और इसके संशोधन 1991 के अनुसार भारत में पाए जाने वाले सभी 1,200 किस्मों के स्वदेशी पक्षियों को कैद करने और उनका व्यापार करना प्रतिबंधित हैं. हालांकि, इसके बावजूद, 300 प्रजातियों के पक्षी सरेआम शहरों और शहरी बाजारों में बेचे जाते हैं. मुनिया, मैना और तोते इन बाजारों में आमतौर पर बिकते हुए पाए जाने वाले पक्षियों में से हैं, लेकिन उल्लू, बाज, मोर और तोते भी बिकते हुए मिलना कोई असामान्य सी बात नहीं है. विलुप्त होती प्रजातियों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन, विदेशी पक्षियों के व्यापार को प्रतिबंधित करता है, लेकिन अधिकांश बाजारों में अभी भी विदेशी पक्षी जैसे ऑस्ट्रेलियाई लवबर्ड्स, अफ्रीकी तोते और गाने वाली छोटी चिड़िया सरेआम बिकते हैं.

उत्तर और उत्तरपूर्वी भारत के पहाड़ी और जंगली इलाकों में पाए जाने वाले अधिकांश देशी पक्षियों को पकड़कर कैद कर लिया जाता है. वे बहुत भयावह तरीके से पकड़कर बक्सों में कैद कर लिए जाते हैं और फिर बेचने के लिए शहरों में भेज दिए जाते हैं. बाजार में बिकने आने वाले हर तीन पक्षियों में से दो की मौत रास्ते में ही हो जाती है, और जो जिंदा बच जाते हैं, वे घायल, भूखे और घबराए हुए बिकने के लिए बाजारों तक पहुंचते हैं.

शिकारी पक्षियों को पकड़ने के लिए, सदियों से चले आ रहे क्रूर प्राचीन तरीकों का प्रयोग करते हैं. उदाहरण के लिए, वे चूना पंछी नामक एक पदार्थ का उपयोग करते हैं जो कास्टिक चूने और पीपल के पेड़ की छाल से बनाया जाता है. चूने का प्रयोग पक्षियों को एक पोल से चिपकाकर पकड़ने के लिए किया जाता है.

लोग पक्षियों के बच्चों को उनके घोंसलों से भी चुरा लेते हैं और फिर उन्हें खुद खिलाते-पिलाते हैं. दूसरी कई विधियां तो कहीं ज्यादा खतरनाक हैं. उदाहरण के लिए, कुछ लोग कम दिखाई देने वाले जालों का उपयोग करते हैं, जिसमें फंसने के बाद सभी पक्षी बुरी तरह कांप उठते हैं और जाल से बाहर निकलने का प्रयास करने वाले पक्षी अक्सर बुरी तरह चोटिल हो जाते हैं.

आप मदद कर सकते हैं

इस क्रूर व्यापार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका पक्षियों को कभी भी न खरीदना और दूसरों को खरीदने के लिए हतोत्साहित करना है. यदि आप एक पशु साथी रखना चाहते हैं, तो अपने निकटतम एनिमल शेल्टर में जाएं और कुत्ते, बिल्ली या वहां रह रहे किसी दूसरे जानवर को गोद लें. यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जिसके पास एक बंदी पक्षी है, तो उसे बताएं कि पक्षियों को कैद करना कितना क्रूर है. कभी भी खुद ही कैद पक्षी को पिंजरे से मुक्त न करें, क्योंकि लंबे समय से कैद किए गए पक्षी प्रकृति में खुद का बचाव करने में सक्षम नहीं होते हैं, और वे उड़ान भी नहीं भर पाते हैं. इसलिए, पहले अपने स्थानीय वन्यजीव अधिकारियों से संपर्क करें और उनसे निकटतम पुनर्वास केंद्र तक पहुंचाने के लिए मदद लें.

इसके अलावा, यदि आप किसी ऐसे काले बाजार के बारे में जानकारी है जो पक्षियों या अन्य जानवरों की संरक्षित प्रजातियों की खरीद-फरोत में लिप्त है, उसकी सूचना अपने राज्य के प्रमुख वन्यजीव वार्डन को करें.



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