समुंद्री जीवों का भोजन जहर समान है

क्या आप मछली को एक स्वस्थ्य भोजन मानते हैं? फिर से विचार कीजिए. समुद्री जीव – जैसे कि ट्यूना, ऑक्टोपस, केकड़े, झींगे और ईल – जिस पानी में रहते हैं, उसमें से दूषित पदार्थों को अवशोषित करते हैं, इसलिए उनके मांस कई तरह के विषैले रसायनों और अन्य खतरनाक पदार्थों से लैस होते है. इनमें पीसीबी, डीडीटी और डाइऑक्सिन भी शामिल हैं, जिनके कारण लीवर में खराबी, तंत्रिका तंत्र(नरवस सिस्टम) में विकार और गर्भाशय को नुकसान पहुंचता है. सीवर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया (जैसे एंटामीबा कोलाई) के कारण गंभीर फूड प्वाइजनिंग और दूसरे खतरनाक संक्रामक बीमारियां फैल सकती हैं. इसके अलावा अन्य खतरनाक दूषित पदार्थ जैसे कैडमियम, मरकरी, शीशा, क्रोमियम और आर्सेनिक, जो किडनी खराब होने और दिमाग को पंगु बनाने से लेकर कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण हो सकते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट में बताया है कि पटना विश्वविद्यालय द्वारा संचालित गंगा प्रदूषण-निगरानी परियोजना में पाया गया कि गंगा नदी से पकड़ी गई मछलियों में बहुत उच्च स्तर के जहरीले दूषित पदार्थ मिले हैं. वैज्ञानिकों ने पाया कि पानी में मौजूद डीडीटी की तुलना में मछली के मांस में मौजूद डीडीटी की सांद्रता 16,000 गुना अधिक थी.

मछली जिस पानी में रहती है उस पानी में मौजूद जहरीले पदार्थों को मछली का मांस 90 लाख गुना अधिक सांद्रता (गाढ़ेपन) तक सोंख(संचित) सकता है. उनका दूषित मांस खाने से दस्त और पेट दर्द से लेकर मानसिक विकार, कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं और यहां तक ​​कि मृत्यु भी हो सकती है.

दुनिया भर की सरकारों ने समुद्री जीवों को खाने के खतरों के बारे में अनगिनत चेतावनियां जारी की हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि जो बच्चे बहुत अधिक समुद्री जीवों का मांस खाते हैं, उनका चलना, बोलना, बुद्धिमत्ता का विकास अन्य बच्चों की तुलना में धीमा होता है, और उनकी याददाश्त कमजोर और एकाग्रता अवधि कमतर होती है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि जो वयस्क समुद्री जीव खाते हैं उन्हें सीखने और याददाश्त संबंधी समस्याएं होती हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि, जिन प्रतिभागियों ने समुद्री जीवों के मांसाहार खाया था, उनके रक्त में PCBs का स्तर बढ़ा हुआ था और उन्हें 30 मिनट पहले दी गई सूचनाओं को याद रखने में भी दिक्कत हुई. मूलतः समुद्री जीवों का मांस आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. यदि आप अपने ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा बढ़ाना चाहते हैं, तो मछलियों के मांस के बजाय स्वस्थ अलसी के तेल या अखरोट का उपयोग करें.

मछली फार्म्स, खुले सीवरों की तुलना में ज्यादा खतरनाक होते हैं, और इन फार्मों की मछली, झींगे और अन्य जीवों को खाने से आप खतरनाक गंदले बैक्टीरिया और औद्योगिक प्रदूषण की चपेट में आ सकते हैं.

मछली फार्म्स (मछली पालने के तालाब, जलाशय)

अब जब मुनाफाखोर मछवारो ने हमारे महासागरों को लगभग खाली कर दिया है, तो मछली उद्योग ने फीश फार्म्स में मछली और झींगे जैसे समुद्री जीवों को पालना शुरु कर दिया है. इन फार्मों पर हजारों मछलियों को तालाबों, टैंकों या तटवर्ती इलाकों में जालनुमा पिंजरों में रखा जाता है. इतने छोटे क्षेत्रों में हजारों मछलियों को रखने से बेहद घने मल प्रदूषण, पैरासाइट के प्रकोप और घातक बीमारियां फैल जाती हैं. इन फिशफार्म्स से जानलेवा रोगाणु उन मनुष्यों में फैल सकते हैं जो इन फार्म्स के जीवों का मांस खाते हैं या इनके आसपास के क्षेत्रों से पानी पीते हैं. बैक्टीरिया और पैरासाइट्स से दूषित मछली खाने से उल्टी, दस्त और पेट में गंभीर दर्द व ऐंठन हो सकती है. मछली और अन्य समुद्री जीवों से होने वाली फूड प्वाइजनिंग, शरीर के अंगों के फेलियर और मौत की कारण भी बन सकती है.

मछली फार्म्स (तालाब, जलाशय) के जीव भी सभी दूषित पदार्थों को अवशोषित करते हैं जैसे कि प्राकृतिक स्थानों जलाशयों की मछलियां करती हैं और अक्सर बड़ी मात्रा में अवशोषित करती हैं. कारखानों द्वारा उत्पादित औद्योगिक रसायन(कचरा) भूजल में रिस जाता है और मछली पालने के तालाबों में इकट्ठा हो जाता है, और इन तालाबों में रहने वाले जीव खतरनाक दूषित पदार्थों को अपने मांस में अवशोषित कर लेते हैं. यदि इन जीवों का जहरीला मांस बाजारों में बेचा जाता है और आपके भोजन का हिस्सा बनता है, तो आप उन सभी औद्योगिक प्रदूषक तत्वों को खा जाते हैं, जिन्हें उन जीवों ने मारे जाने से पहले अवशोषित किया था. ये दूषित तत्व आपके शरीर में फैट के रूप में सालों तक जमा रहते हैं और कैंसर, अंगक्षति, मानसिक क्षति का कारण बन सकते हैं और आपके बच्चों में जन्मजात विकृतियां पैदा कर सकते हैं. जलीय जीवों के जहरीले पदार्थों से खुद को बचाने का एकमात्र तरीका उन्हें अपने भोजन से दूर रखना है.

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