दूध में क्या गलत है ?

अगर आपको पता चले कि आपके भोजन में एक आसान बदलाव करके आप अपने स्वास्थ्य को काफी सुधार सकते हैं, तो क्या आप उस आसान बदलाव को नहीं अपनाएंगे? गाय के दूध की बात करें तो बड़ी आसानी से, दूध, घी और अन्य डेयरी उत्पादों की जगह केवल सोया और अन्य स्वस्थ आहार अपनाने भर से भारी अंतर आ सकता है.

कोई भी प्रजाति प्राकृतिक रूप से शिशुकाल के अलावा दूध नहीं पीती है, और न ही कोई प्रजाति अपने से अलग किसी प्रजाति का दूध पीती है. प्राकृतिक रूप से गाय का दूध उसके बछड़ों के लिए होता है, जिनके चार पेट होते हैं और वे दो साल के होने से पहले ही 450 किलोग्राम से अधिक वजन के हो सकते हैं. इसके अलावा, दूध जो ठीक से तैयार या ठंडा नहीं होता है, उसमें बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो लोगों को बीमार कर सकते हैं.

वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार 70 प्रतिशत दक्षिणी भारतीयों समेत 33 प्रतिशत भारतीय, लैक्टोज(दूध में पाई जाने वाली चीनी) पचा पाने में असमर्थ हैं. इसका मतलब यह है कि दूध में पाई जाने वाली चीनी को शरीर पचा नहीं सकता है, जिससे पेट में ऐंठन, सूजन और दस्त हो सकते हैं.

डेयरी कंपनियां चाहती हैं कि आप यह मानें कि गाय या भैंस का दूध पीना स्वस्थ है, लेकिन यह सच नहीं है. दूध हमें बीमार कर सकता है और हमारी हड्डियों को कमजोर कर सकता है. वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के अनुसार 70 प्रतिशत दक्षिणी भारतीयों समेत 33 प्रतिशत भारतीय, लैक्टोज(दूध में पाई जाने वाली चीनी) पचा पाने में असमर्थ हैं. इसका मतलब यह है कि दूध में पाई जाने वाली चीनी को शरीर पचा नहीं सकता है, जिससे पेट में ऐंठन, सूजन और दस्त हो सकते हैं.

पाचन समस्याओं के अलावा, दूध से मुँहासे और मोटापे से लेकर हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियां पनपती हैं. इसके अलावा, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक साक्ष्य आधारित विश्लेषण के अनुसार, दूध ऑस्टियोपोरोसिस(हड्डियों की कमजोरी) से नहीं बचाता. अध्ययन से पता चला कि ज्यादा कैल्शियम की खपत दर वालों की तुलना में कम कैल्शियम सेवन वाले देशों (सिर्फ 300 मिलीग्राम/दिन) में कूल्हे के फ्रैक्चर की कम घटना होती है, जो ऑस्टियोपोरोसिस का एक संकेत है.

दूध में भारी मात्रा में फैट और कोलेस्ट्रॉल के अलावा इसमें जानवरों को खिलाए जाने वाले कई तरह के कीटनाशक और एंटीबायोटिक्स होते हैं. कंज्यूमर गाइडेंस सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि सप्लाई होने वाले दूध में एंटीबायोटिक्स, एफ़्लैटॉक्सिन, कीटनाशक अवशेष, मवाद, बैक्टीरिया और सोडियम कार्बोनेट और यूरिया कैमिकलों जैसे कई दूषित पदार्थों की अत्यधिक मात्रा होती है. अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जो लोग दूध का सेवन करते हैं उन्हें गैस्ट्रो-एंटरटाइटिस(आंतों में सूजन), वायरल बुखार और यहां तक कि लीवर कैंसर जैसी बीमारियां होने का खतरा है.



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