पशु मांस से फैलने वाली घातक बीमारियाँ

मानव स्वास्थ्य के लिए खतरानाक “मैड काउ” रोग और “एवियन फ्लू” जैसे रोगों ने मांसाहार के लिए पशु पालने के खतरों की ओर ध्यान आकर्षित किया है. पिछले 20 वर्षों के दौरान, पशुपालन अत्यधिक मशीनीकृत हो गया है, और छोटे  स्तर का पशुपालन क्षेत्र अब पशु के कत्लखानों में तब्दील हो गया है जहां हजारों जानवरों को तंग बाड़ों में एक साथ बंद रखा जाता है. ये जानवर भारी मात्रा में कचरे का उत्पादन करते हैं और भीड़ी जगह में मलिन(गंदी) परिस्थितियों में रखे जाने के कारण ये अनेकों बीमारियों से पीड़ित होते हैं. वैज्ञानिकों ने हमें बताया कि घनी आबादी वाला भारत जैसा देश, मांसाहार के लिए पशुओं को पालने से मानवीय महामारी की चपेट में आ सकता है.

घातक बिमारियां

मैड काउ नामक बीमारी दुनिया भर में फैल रही है. घातक दिमागी विकृति पैदा करने वाला यह रोग मनुष्यों में फैलने के अलावा, उन पशुओं को भी संक्रमित कर सकता है जो मांसाहार के लिए पाले जाते हैं. संभवत मुर्गी, सूअर, मछली और अन्य पालतु पशु भी इस बीमारी के वाहक बन सकते हैं.

मैड काउ रोग संक्रमित गायों और अन्य पशुओं के माध्यम से फैलता है, और जो मनुष्य इन जानवरों का मांस खाते हैं वे भी इस लाइलाज घातक दिमागी बीमारी के शिकार हो सकते हैं.

इस बीमारी के फैलने का एक कारण यह है कि किसान पैसे बचाने के लिए जिंदा जानवरों को मृत जानवरों का खून और अवशेष खिला देते हैं. इस तरह की “रीसाइक्लिंग” प्रक्रिया अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में चलन में है, इसलिए इस बीमारी के संक्रमण को रोकना असंभव हो सकता है. इस बीमारी के लक्षण गायों के बूढ़ी होने तक दिखलाई नहीं पड़ते हैं और क्योंकि लक्षणों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए इस रोग से संक्रमित कई गायों को कत्ल करके बाजार में बेचा जा सकता है. इस मांस से संक्रमित लोग भी अक्सर वर्षों तक बीमार नहीं दिखलाई पड़ते. लेकिन जब यह रोग हमला करता है, तो हमेशा की तरह बहुत घातक होता है. अपने आप को और अपने परिवार को इस बिमारी से बचाने का एकमात्र तरीका मांस खाना बंद करना है.

एवियन इन्फ्लूएंजा या बर्ड फ्लू

एवियन इन्फ्लूएंजा, या बर्ड फ्लू, भोजन के लिए पशुपालन करने के भयावह परिणामों का एक और हालिया उदाहरण है. पशुओं में ऐसे संक्रमित रोग होते हैं, जो जल्दी ही पशुपालकों में फैल जाते हैं.

हाल ही में बर्ड फ्लू के प्रकोप के कारण भारत और दुनिया के बाकी हिस्सों में कई लोगों की मौतें हुईं और मुर्गों को बड़े पैमाने पर मारा गया. जिस वायरस से बर्ड फ्लू होता है वह मांसाहार के लिए पाले जाने वाले मुर्गों से फैलता है. अगर वायरस दोबारा सक्रिय होता है, तो वैज्ञानिकों को एक वैश्विक महामारी का डर है क्योंकि इससे संक्रमित लोगों से यह वायरस दूसरों में आसानी से फैल सकता हैं. हर बार जैसे ही कोई व्यक्ति एवियन फ्लू से पीड़ित होता है, तो लोगों के बीच वायरल संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं. एशिया के कुछ हिस्सों में बर्ड फ्लू सूअरों में भी फैल गया है, इसलिए मांसाहार के लिए पाले जाने वाले सूअर भी संभवतः मनुष्यों में वायरस फैला सकते हैं.

मुर्गों से लेकर सूअरों और लोगों में एवियन फ्लू का फैलना उन घातक बीमारियों का एक स्पष्ट उदाहरण है जो मनुष्य द्वारा भोजन के लिए पशुओं को पालने के कारण फैलती हैं. वैज्ञानिक इस वायरस का मुकाबला करने के लिए एक दवा विकसित करने के लिए संघर्षरत हैं. इस बीच बहुत से लोगों को पहले ही यह एहसास हो चुका है कि शाकाहारी भोजन ही बर्ड फ्लू से खुद को और अपने परिवार को बचाने का एकमात्र तरीका है.



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