जो लोग जानवरों पर अत्याचार करते हैं वो इन्सानों के लिए भी खतरनाक होते हैं।

लम्बे समय से यह समझा गया है कि जानवरों के ऊपर किए जाने वाले अत्याचारों का सम्बंध सीधे-सीधे भयंकर मानसिक रोगों के साथ होता है जिसका असल में जानवरों के साथ कोई लेना-देना नहीं होता। मानवतावादी डॉक्टर अल्बर्ट श्वाइटज़र ने लिखा है, “जिसने भी अपने आप को समझा लिया है कि दुनिया में पैदा होने वाले जीव-जंतु या जानवर सिर्फ मरने के लिए ही बने हैं उसे यह भी पता होना चाहिए कि एक दिन उसके जीवन को भी बेकार मानकर उसके साथ भी ऐसा सब कुछ हो सकता है।”

रोबर्ट के रेस्लर, जिन्होंने अमेरिकी संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के लिए सीरियल किलर के प्रोफाइल बनाए हैं, कहते हैं, “मर्डर करने वाले … अक्सर वो होते हैं जो छोटी उम्र से ही जानवरों को परेशान करना और मारना शुरू कर देते हैं।” अध्ययनों से पता चलता है कि समाजशास्त्रि, सांसद और अदालत ऐसे मामलों पर पूरी गौर करते हैं जिनमें जानवरों पर अत्याचार होता है। इन मामलों से ऐसी भयंकर मानसिक स्थिति का संकेत मिलता है जिससे मानव जाति को भी खतरा है।

अगर कोई व्यक्ति जानवर पर ज़ुल्म करता है तो उसके व्यक्तित्व की कमी ही नहीं बल्कि यह एक गहरे मानसिक रोग के लक्षण हैं। मनोविज्ञान और अपराध शास्त्र की रिसर्च से पता चलता है कि जो लोग जानवरों पर अत्याचार करते हैं वो वहीं नहीं रुकते; उनमें से कई अपने ही साथियों को मारने पर भी आ जाते हैं।

FBI ने पता लगाया है कि सीरियल बलात्कारी और हत्यारों के बैकग्राउंड को जब चेक करते हैं तो उनके इतिहास में ज्यादातर यही देखने को मिलता है कि वो पहले जानवरों पर अत्याचार करते रहे हैं, और दिमागी एवं इमोशनल रोगों के स्टैंडर्ड डायग्नोस्टिक और ट्रीटमेंट मैनुअल से पता चलता है कि जानवरों पर होने वाला अत्याचार इन रोगों का मुख्य लक्षण होता है।

पूर्वोत्तर विश्वविद्यालय और मैसाचुसेट्स एसपीसीए ने अमेरिका में एक अध्ययन किया है जिससे पता चला है कि जो लोग जानवरों पर अत्याचार करते हैं उनकी पांच गुना ज्यादा संभावना होती है कि वो लोगों के खिलाफ भी हिंसक हो जाएँ और अपराध करें। जेल के वार्डन के अनुसार, कैलिफोर्निया के सैन क्वेंटिन राज्य की जेल में जो कैदी किसी का क़त्ल करके आए थे उन्होंने अपने अपराध पहले जानवरों पर करके देखे थे मतलब “अभ्यास” किया था।

बदनाम हत्यारे

  • सीरियल किलर और बलात्कारी टेड बंडी – जिसे दो हत्याएँ करने के लिए दोषी ठहराया गया था उसने असल में 40 से ज्यादा औरतों की हत्या की थी – उसने बताया कि जब वह एक बच्चा था वह देखा करता था कि उसके पापा जानवरों पर अत्याचार किया करते थे, और बाद में उसने भी जानवरों पर अत्याचार किए।
  • अर्ल केनेथ श्रीनर, जिसने 7 साल के लड़के के साथ बलात्कार किया और उसे छुरा घोंप कर मारा, वह अपने पड़ोस में बिल्लियों को फांसी देने और कुत्तों पर अत्याचार करने के लिए जाना जाता था।
  • डेविड बर्कोविज़ (जिसे सैम के बेटे के नाम से भी जाना जाता है), जिस पर 13 हत्याएँ करने या मारने की कोशिश करने के आरोप थे, उसने एक बार पडोसी के लैब्राडोर रिट्रीवर को भी गोली मार दी थी।
  • ब्रेण्डा स्पेन्सर जिसने केलिफोर्निया के एक स्कूल में गोलियां चलाकर दो बच्चों को मौत के घाट तथा 9 बच्चों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। इसका इतिहास भी पशुओं पर अत्याचार करने का रहा है वह बिल्ली एवं कुत्तों पर अत्याचार करता था व अक्सर बिल्लियों की पुंछ जला दिया करता था।
  • सीरियल किलर एवं नरभक्षी जेफ्री दाहमर भी कुत्तों एवं बिल्लियों के सिर में लाठी मारता था।

आप क्या कर सकते हैं ?

  • आप पर्यावरण एवं वन मंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध कर सकते हैं कि अभी पशुओं पर अत्याचार करने के खिलाफ कमजोर दंड का प्रावधान है जिसे कठोर दंडव्यवस्था में बदले जाने की आवश्यकता है। यदि पशुओं के प्रति दंड व्यवस्था कठोर होती है तो पशु अधिकारों पर कार्य करने वाले लोगों, पुलिस बल तथा सामान्य नागरिकों के लिए आसान होगा कि वो पशुओं पर होने वाले बेतुके अत्याचारों को रिपोर्ट कर भविष्य में इन्सानों पर होने वाले आक्रमणों पर रोक लगा सकते हैं।पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालयइन्दिरा पर्यावरण भवन

    ज़ोर बाग़, नयी दिल्ली- 110003

    Email:[email protected].

    Telephone: +91-11-24695309.

  • स्थानीय पुलिस से बात करें कि पशुओं पर होने वाली क्रूरता के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें। इस मुद्दे पर पुलिस को प्रेरित करने के लिए PETA इंडिया ने एक वीडियो बनाया है जिसमे दिखाया गया है कि पशुओं को कितने दर्दनाक तरीकों से परिवहन कर कत्लखानों में पहुंचाया जा रहा है। इस वीडियो को पुलिस को दिखाने के लिए आप [email protected] पर ईमेल भेजकर इस वीडियो की एक सीडी मँगवा सकते हैं।
  • अपने राज्य की सरकार एवं स्थानीय स्कूल से पशुओं के प्रति क्रूरता को गंभीरता से लेने का आग्रह करें। कानून की तरफ से यह संदेश जाना चाहिए कि किसी भी जीवित प्राणी, पशु, या इंसान के साथ होने वाले अत्याचार एवं दुर्व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  • बच्चों एवं पशुओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार पर नजर रखें। यदि कोई बच्चा आकर किसी पशु के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की बात करता है तो उसे नज़रअंदाज़ न करें। कुछ बच्चे अपने दुख के बारे में नहीं बताते लेकिन पशुओं के बारे में जरूर बात करते हैं।
  • बच्चों के द्वारा पशुओं के साथ किए गए छोटे से भी दुर्व्यवहार को नज़रअंदाज़ न करें। तुरंत उस बच्चे या उसके माता-पिता से बात करें या फिर किसी समाजिक कार्यकर्ता की मदद लें।


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