ईद पर हमने क्या किया, यह जानना चाहते हैं ?

Posted on by PETA

ईद के संबंध में हमारे काम पर सवाल उठाने वाले लोग क्या सच में जानवरों पर होने वाली क्रूरता के बारे में चिंता करते हैं ? जैसे हाथियों को जंजीरों में जकड़कर रखना या बैलों को यातनाएं देना, क्या यह जानवरों पर अत्याचार नहीं ? क्यूंकि इन मामलों में कभी कोई सवाल नहीं उठाता इसलिए जो लोग सिर्फ ईद को लेकर हमें कटघरे में खड़ा करते हैं वो लोग वास्तव में जानवरों के हितैषी नहीं और न ही उनको जानवरों के साथ होने वाली क्रूरता की फिक्र है। दुःख की बात यह है कि ऐसे लोग ईद के अलावा जानवरों के प्रति हमारे अन्य कार्यों के बारे में सवाल नहीं करते क्यूंकि उनका लक्ष्य जानवरों की फिक्र नहीं बल्कि हमें बदनाम करना मात्र है।  जो लोग खुद तो मांस खाते हैं और उल्टा जानवरों की रक्षा करने के लिए हमें कटघरे में खड़ा करते हैं उन्हें एकबार खुद भी अपने गिरेबान में झांकना चाहिए क्यूंकि बकरों व अन्य निर्दोष जानवरों को सिर्फ ईद के दिन ही नहीं बल्कि रोज़ कत्लखानों या सड़क के किनारे बनी दुकानों में बड़ी बेदर्दी से मौत के घाट उतारा जाता है। हम चाहते हैं कि किसी भी रूप मे क्यूँ न हो यह हत्याएँ ही बंद होनी। इसलिए हम पर उंगली उठाने वालों को पहले यह समझना चाहिए कि हमारा उद्देश्य महज़ ईद तक ही सिमित नहीं बल्कि हर तरह की पशु कुर्बानी/पशु बलि एवं जानवरों के साथ होने वाली क्रूरता का अंत करना है।

लेकिन ऐसे दयालु लोग जिन्हें सच में जानवरों की परवाह है और जो लोग केवल सिर्फ हमें परेशान करने के उद्देश्य से सवाल नहीं उठा रहे और जानवरों की कुर्बानी (जो बकरीद पर होती है) के प्रति हमारे प्रयासों को समझना चाहते हैं कृपया इस लेख को पड़ें :-

PETA इंडिया साल के हर दिन वीगन जीवनशैली का समर्थन करने वाली संस्था है ना की सिर्फ मुस्लिम त्यौहार के दिन। हम इस सिद्धांत के तहत काम करते हैं कि “जानवर हमारा भोजन और वस्त बनने के लिए नहीं है”। वीगन जीवनशैली को बढ़ावा देकर हम बेमौत मरने वाले पशुओं की हत्याओं पर रोक लगवाने में मदद कर रहे हैं। वीगन जीवन शैली अपनाने वाले लोग पशुओं से प्रपट होने वाले किसी भी उत्पाद का इस्तेमाल एवं खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करते, उदाहरण के लिए गोमांस उद्योग इसलिए फल फूल रहा है क्यूंकि इस उद्योग को सबसे ज्यादा पशुओं की सप्लाई डेयरी उद्योग से ही होती है।

बहुत से मुसलमान लोग ईद पर जानवरों की कुर्बानी न देकर शाकाहारी या वीगन खाना खाकर ईद मानते हैं, जैसे कि आप इस वीडियो में देख सकते हो और हम अन्य सभी लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

हमारा काम ईद के दौरान लोगों को केवल वीगन खाना खाने के बारे में बताने तक ही सीमित नहीं है। जानवरों से प्राप्त होने वाले किसी भी तरह के उत्पाद जैसे दूध, अंडे या चमड़े से बने वस्त्र का इस्तेमाल करने वाले लोग भी उस जानवर की पीड़ा एवं मौत के लिए जिम्मेदार होते हैं जिनसे वह उत्पाद प्राप्त हुआ है।

इससे पहले ईद के दौरान जब हमने कैम्पेन चलकर शांतिपूर्वक एवं मानवता भरी ईद मनाने का संदेश दिया तो इस दौरान PETA इंडिया की कैम्पेन करने वाले हमारे स्टाफ एवं समर्थकों की पिटाई की गयी व उनके साथ बलात्कार करने की धमकी भी दी गई। पशुओं की हत्या न की जाए सिर्फ यह कहने के लिए हमें जान से मार दिये जाने की धमकी दी गयी। हालांकि, इन धमिकयों से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता क्यूंकि हमने बकरों, ऊंटों और अन्य जानवरों की हत्याओं को रोकने के प्रयासों को आज भी जारी रखा हुआ है।

अफसोस की बात है कि, जल्लीकट्टू समर्थकों की ओर से हमारे स्टाफ के साथ बदसलूकी की जाती है वा आए दिन हमें मौत की धमकियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हम उस प्रथा में बैल पर होनेवाली क्रूरता को समाप्त करने के लिए भी आज भी दृढ़ हैं। वर्ष 2017 में जब से तमिलनाडु सरकार ने  राज्य में जल्लीकट्टू को पुनः आयोजित करने की अनुमति दी है तब से अब तक जल्लीकट्टू में कम से कम 22 बैल और 57 इन्सानों की मौत हो चुकी है।

अदालत सिर्फ क़ानून का पालन करने का आदेश दे सकती है नए नियम या क़ानून नहीं बना सकती।  वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जानवरों के अवैध परिवहन व हत्या के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार के विरोध में चले एक केस में PETA इंडिया भी एक याचिका करता था। जानवरों के प्रति इस तरह की क्रूरता बहुत ही आम है व इसे हमने इसे पूरी तरह से रेकॉर्ड भी किया है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 17 फरवरी 2017 को दिये गए आदेश में कहा गया था कि भारत के समस्त राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश, भारत सरकार द्वारा गठित कानून एवं नियमावली को मानने हेतु बाध्य है। किन्तु यह बेहद दुखद है कि अवैध कत्लखानों को बंद कराये जाने के आदेश के बाद भी इस पर सख्ती से अमल नहीं हो रहा।

हमने अवैध कत्लखानों को बंद करवाने के लिए भी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया है।  भारतीय कानून के तहत, लाईसेन्स प्राप्त कत्लखानों को काम करने की अनुमति है लेकिन हम आशा करते हैं कि एक दिन यह जरूर बंद होंगे। जानवरों से प्रेम करने वाले लोगों से हम आग्रह करते हैं कि माँस उद्योग को जानवरों की आपूर्ति करने वालों का समर्थन न करें। इन आपूर्तिकर्ताओं में डेयरी उद्योग प्रमुख है। लोग जानवरों के कत्ल से बने उत्पाद जैसे कि लैदर का त्याग करके भी अपना विरोध दर्ज कर सकते हैं।

कुर्बानी पर अंकुश लगाने के लिए कानूनों को लागू करना महत्वपूर्ण है।  PETA इंडिया वर्ष 2019 में मुंबई के देवनार बूचड़खाने में जांच कर परिवहन एवं कत्लखानों के अंदर पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता का पर्दाफाश किया। इस जांच से सामने आया कि बकरीद के दौरान गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और यहां तक कि असम से 1.24 लाख से अधिक बकरों और भेड़ें और लगभग 2,700 भैंसों को यहाँ कुर्बानी के लिए लाया गया था। हमने अपनी इस रिपोर्ट बड़े पैमाने पर प्रकाशित किया और लोगों को दिखाया कि परिवहन के दौरान इन जानवरों के साथ किस तरह का दुर्व्यवहार किया जाता है व कत्लखानों के अंदर कैसे मरे हुए जानवरों की लाशे यहाँ वहाँ पड़ी रहती हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 2017 के आदेश के अनुसार, पशु परिवहन और पशु हत्या से संबंधित कानून अधिनियमों और नियमों का अनुपालन किया जाना चाहिए।

हर साल PETA इंडिया सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर लाईसेन्स प्राप्त कत्लखानों के बाहर होने वाले जानवरों की क्रूर हत्याओं एवं बेरहम परिवहन के खिलाफ कानून को सख्ती से लागू करने का अनुरोध करता है व इस संबंध में क़ानूनों का पालन करने हेतु भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा भेजे गए पत्र का भी हवाला देता हिय।

हम लोगों को जानवरों की कुर्बानी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सशक्त बनाने के लिए भी काम करते हैं, इसके लिए हम उन लोगों को हाइलाइट करते हैं जो ईद के दौरान क्रूरता नहीं बल्कि मानवीयता भरे काम करते हैं। यह लोग बकरों की कुर्बानी के बजाए वीगन भोजन चुनते हैं और रोजा तोड़ने के लिए भी वीगन भोजन ही करते हैं। ऐसे लोगों को फेमस करके हम अन्य लोगों को यह संदेश देते हैं की बाकी लोग भी इन लोगों का अनुसरण करें व अलग नजरिए से ईद मनाएँ। शेफ सदफ हुसैन, रुबैना अली खान, तहसीन मेहदी दुदानी, और मुस्कान हसन ने सोया शम्मी कबाब, कटहल बिरयानी, कीमा पाओ, कोफ्ते का सालन, और वीगन फिरनी जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों की विधियाँ साझा की।

अन्य गतिविधियों के अलावा हमने अपने तरीके से स्वयं का ईद समारोह आयोजित किया है जिसमें बकरियों को सम्मानित मेहमान के रूप में बुलाया और उनकी सेवा की। हमने ईद के दौरान वीगन अभिनेत्री सदा सैयद के साथ संयुक्त रूप से मुंबई के अनाथालयों में वीगन बिरयानी वितरित की।

वर्ष 2020 में हमने देश के मुख्य शहरों जागरूकता भरे बिलबोर्ड्स लगाये थे जिन पर एक बकरे की तस्वीर के साथ संदेश लिखा था “मैं माँस नहीं जीव हूँ, कृपया हमारे प्रति नजरिया बदलें, वीगन बने”। बकरी एक बुद्धिमान, संवेदनशील, जिज्ञासु और भरोसेमन्द जीव है फिर भी उनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए उनके बेरहम तरीकों के साथ परिवहन करके कत्लखानों तक पहुंचाया जाता है। मौत के लिए कत्लखानों में ले जाए जाने हेतु छोटी एवं तंग गाड़ियों में उन्हें ठूस ठूस कर भरा जाता है जहाँ वो ठीक से साँस भी नहीं ले पाते और उनमे से बहुत सी बकरे दम घुटने से मर तक जाते है। कत्लखानों के अंदर इन बकरों को एक दूसरे के सामने खुले माहौल में मौत के घाट उतार दिया जाता है। ईद के दौरान तो इन बकरों की हत्या खुलेआम सड़क पर ही कर दी जाती है।

इस वर्ष 2021 में, PETA इंडिया ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (पीसीए), 1960 की धारा 28 – जो किसी भी जानवर को धार्मिक उद्देश्यों के लिए किसी भी तरह से मारने की अनुमति देती है – को हटा दिया जाए। केंद्र सरकार वर्तमान में अधिनियम में संशोधन की प्रक्रिया में है, और अप्रैल 2021 में, हमने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) को अपनी संशोधन से जुड़ी कुछ सिफारिशें भेजी थी जिसमे जानवरों की कुर्बानी/बलि का मुद्दा भी शामिल था।

हमने Twitter पर भी #DeleteSection28 हैशटैग के साथ लिया और जनता को पशु बलि को रोकने में मदद करने के लिए हमारी याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इसके अलावा 2021 में, PETA इंडिया ने एक जांच की, जिसमें पता चला कि ईद अल-अज़हा के उत्सव के संबंध में महाराष्ट्र सरकार के परिपत्र का उल्लंघन करते हुए पूरे मुंबई में कई अस्थायी, अवैध और भारी भीड़ वाले बकरों के बाज़ार साज गए हैं। इस रिपोर्ट के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव; बृहन्मुंबई नगर निगम के आयुक्त; पुलिस महानिदेशक, महाराष्ट्र; और पुलिस आयुक्त, मुंबई, को पत्र एव रिपोर्ट भेजी गयी। हमने अवैध बाजारों के आयोजकों और बकरों की बिक्री करने वाले विक्रेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशनों में शिकायतें दर्ज कीं।

जांच के अलावा, PETA इंडिया ने मणिपुर पुलिस को ईद-अल-अजहा के लिए अवैध परिवहन और जानवरों की हत्या को रोकने के लिए कार्रवाई करने में कामयाबी हासिल की, जिसके बाद राज्य के पुलिस मुख्यालय ने हर जिले में पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किया कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्य में कोई भी अवैध पशु बलि न हो।

वीगन जीवनशैली जीने वाले मुसलमानों के साथ हमारा इंस्टाग्राम लाइव चैट हिट रहा, और कई मुसलमानों ने यह कहकर प्रतिक्रिया दी कि वे शाकाहारी या वीगन जीवनशैली जीते हैं। सत्र के दौरान, वीगन मुसलमानों ने वीगन बनने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए सुझाव दिए और बताया कि वे क्रूरता मुक्त ईद कैसे मना सकते हैं।

हमारे साथी PETA अमेरिका द्वारा बनाए गए AnimalsInIslam.com एक उत्क्रष्ट संसाधन है जिसे उन मुसलिमों की मदद के लिए बनाया गया है जो जानवरों की कुर्बानी में विश्वास नहीं रखते बल्कि जानवरों के प्रति दया व करुणा पर इस्लाम धर्म में दी गयी शिक्षाओं के माध्यम से अपने समुदाय को प्रेरित करते हैं।

हमारा आपातकालीन राहत दल प्रतिदिन 24/7 फोन कॉल पर उपलब्ध रहता है चाहे ईद हो या कोई भी अन्य त्यौहार, उनका काम जानवरों के प्रति क्रूरता के गंभीर मामलों पर तत्काल कार्यवाही करना है। इसी के चलते हमने उन 7 ऊंटों को बचाया था जिनहे ईद के कुर्बानी के लिए ले जया जा रहा था। 

हम उन लोगों से एक सवाल पूछना चाहते है जो केवल ईद के दौरान जाग उठते हैं – कि आप वर्ष के बाकी दिनों में कहाँ गायब रहते है जब हम जानवरों के जीवन को बचाने के लिए काम कर रहे होते हैं ? हमें आपकी जरुरत है। अगर आप सच में जानवरों के शुभ चिंतक हो तो कृपया हमारी मदद के लिए आगे आएं ।

जानवरों की बलि/कुर्बानी रोकने के लिए आप क्या कर सकते हैं यहाँ देखिए