क्या वीगन जीवनशैली जीने वाले लोग कोविड-19 की वैक्सीन ले सकते हैं?

Posted on by PETA

अब पूरे भारतवर्ष में कोविड-19 का टीकाकरण शुरू हो गया है, इसलिए हम कोविड-19 और वीगन जीवनशैली से संबन्धित आपकी सारी शंकाओं का समाधान कर रहे हैं।

rats in labs

क्या इन टीकों का पशुओं पर परीक्षण किया गया है?

कुछ कंपनियाँ ऐसी वैक्सीन और दवाईयों का निर्माण करती हैं, जिनको क़ानूनी रूप से बाज़ारों में उपलब्ध कराने से पहले उनका वैज्ञानिक परीक्षण ज़रूरी है और कई बार इस प्रकार के परीक्षण जानवरों पर भी किए जाते हैं।

PETA इंडिया और इसके अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी भारतीय और विदेशी सरकारी एजेन्सी के साथ मिलकर इन आवश्यक मापदंडों को बदलने और पशु परीक्षणों की वैज्ञानिक असफलताओं की ओर ध्यान आकर्षित कराने का प्रयास कर रहे हैं। हम आधुनिक और गैर-पशु परीक्षण विधियों के निर्माण, प्रयोग और स्वीकृति हेतु प्रयास करते हैं।

दुनियाभर की कई सरकारी दवाई विनियमन एजेंसियों ने प्रगतिशील कदम उठाते हुए, हमें सूचित किया कि वह कोविड-19 की वैक्सीन के निर्माण हेतु पशु-परीक्षणों को कम करने के लिए हमसे अन्य विकल्पों के बारे में वार्ता करने के लिए तैयार हैं।

अगर मैं एक वीगन हूँ तो क्या मैं कोविड-19 की वैक्सीन ले सकता हूँ

वीगन जीवनशैली अपनाने और जानवरों के अधिकारों के प्रति आवाज़ उठाने का प्रमुख उददेश्य होता हैं जानवरों के लिए सकारात्मक बदलाव लाना। अगर पशु-परीक्षण कानूनी रूप से अनिवार्य हैं तो नैतिक आधार पर दवाई या वैक्सीन लेने से मना करने से परीक्षण में प्रयोग किए गए या भविष्य में प्रयोग होने वाले जानवरों की कोई सहायता संभव नहीं है।

इसकी जगह हमें उन क़ानूनों में बदलाव करने की ज़रूरत है जिनके आधार पर जानवरों पर शोषणपूर्ण परीक्षण किए जाते हैं। आप प्रयोगशालों में कैद किए गए जानवरों के हक में आवाज़ उठाकर और हमारे कार्य का समर्थन करके इन सकारात्मक बदलावों को लाने में अपना योगदान दे सकते हैं। जानवरों के अधिकारों के प्रति आवाज़ उठाने के लिए आपका स्वस्थ्य रहना अत्यंत आवश्यक हैं इसलिए कृपया अपने चिकित्सक द्वारा दवाई के संबंध में दी गयी हर सलाह का पालन करें।

क्या कोविड-19 में पशु-व्युत्पन्न सामग्री हैं?

हाल ही में भारत में उपयोग के लिए अनुमोदित की गई “सीरम इंस्टीट्यूट” और “भारत बायोटेक” की वैक्सीन में कोई पशु-व्युत्पन्न सामग्री नहीं है, लेकिन यह संभव है कि आगे आने वाली COVID-19 की वैक्सीन में ऐसा हो। इस तरह की सामग्री का एक उदाहरण “शार्क स्क्वैलीन” (शार्क के लीवर से प्राप्त तेल) है, जिसे अमूमन टीकों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए डाला जाता है। “भारत बायोटेक” के सहयोगी, “नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी” ने जंगल से कैद किए गए बंदरों पर अपनी वैक्सीन का परीक्षण किया।

क्या मांस के सेवन और कोविड-19 जैसी बीमारियों में कोई संबंध हैं?

जी, मांस के सेवन और कोविड-19 जैसी बीमारियों के बीच संबंध को बिल्कुल नकारा नहीं जा सकता। मानवों के बीच भोजन हेतु मांस, अंडे और अन्य डेयरी पदार्थों की मांग का अर्थ है कि बड़ी संख्या में जानवरों को तंग एवं बेहद गंदे पिंजरों में कैद रखकर पाला जाता हैं, भीड़ भरी गाड़ियों में परिवाहित किया जाता हैं और खून, पेशाब एवं अन्य द्रव पदार्थों से भरे बूचड़खानों या जिंदा जानवरों के बाज़ारों के फ़र्शों पर उनकी क्रूरतापूर्ण हत्या की जाती है। ऐसी परिस्थितियां में खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस के नए उपभेदों का प्रजनन निश्चित ही संभव हैं।

 

मैं पशु-परीक्षणों को समाप्त कराने में अपना सहयोग कैसे दे सकता हूँ?

PETA इंडिया के “अनुसंधान आधुनिकीकरण सौदे” का समर्थन करें जो कि वैक्सीन निर्माण, अन्य बायोमेडिकल अनुसंधानों और विनियामक परीक्षणों में गैर-पशु परीक्षण विधियों का प्रचार करने की रणनीति है। इस प्रकार की गैर-पशु परीक्षण विधियों में निवेश बढ़ने के बाद, भारतीय वैज्ञानिक मानवीय बीमारियों के लिए बेहतर उपचार खोजने में सफ़ल हो सकेंगे। इससे चूहों, कुत्तों, खरगोशों, और अन्य लाखों जानवरों की अकल्पनीय पीड़ा को समाप्त करने में मदद मिलेगी।

कृपया इस याचिका पर हस्ताक्षर कर, PETA इंडिया के अनुसंधान आधुनिकीकरण डील का समर्थन करें और जानवरों पर होने वाले परीक्षणों को समाप्त कराने में अपना सहयोग दें:

कृपया इस याचिका पर हस्ताक्षर कर दवाइयों के निर्माण हेतु घोड़ों पर परीक्षण न करने का अनुरोध करें:

अभी कार्यवाही करें