“वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो” और PETA इंडिया की चेतावनी: पक्षियों को कैद करना आपको सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया से मिली सूचना के बाद, दिल्ली पुलिस ने चाँदनी चौक स्थित कबूतर मार्केट के अवैध व्यापारियों से “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972”, के अंतर्गत संरक्षित हज़ारों भारतीय पक्षियों को बचाया था और अब PETA समूह द्वारा इसी जगह  “वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो” के साथ मिलकर बिलबोर्ड लगवाकर यह संदेश दिया गया कि पक्षियों का व्यापार दंडनीय अपराध है जिसके खिलाफ़ जुर्माना और कैद दोनों का प्रावधान है।

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इस कार्यवाही के अंतर्गत बचाई गई “पहाड़ी मैना” WPA की अनुसूची I के तहत संरक्षित पक्षी है और ऐसी संरक्षित प्रजातियों से जुड़े अपराध में कम से कम तीन साल की जेल की सजा हो सकती है, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही कम से कम 10,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। अन्य बचाए गए तोते और मुनिया भी WPA की अनुसूची IV के तहत संरक्षित प्रजातियां हैं, और उनसे जुड़े अपराध में तीन साल तक की कैद, 25,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

“हमारे देश में स्वदेशी प्रजातियों के साथ-साथ विदेशी प्रजातियों का अवैध पक्षी व्यापार बड़े स्तर पर चल रहा है। कड़े कानून प्रावधानों और पुलिस कार्यवाही के बावजूद, यह अपराध बेरोक-टोक जारी है। अब समय है कि हम अवैध पक्षी व्यापार को समाप्त करें और घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस व्यापार मांग को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने में अपना सहयोग दें।” – तिलोतमा वर्मा, एडिशनल डायरेक्टर -WCCB   

पुलिस की छापेमारी से पहले PETA इंडिया के प्रतिनिधियों ने इन तोतों को बेहद छोटे एवं अंधेरे कमरों में रखे तंग पिंजरों में ठूस ठूस कर रखा हुआ पाया जहाँ इनका दम घुट रहा था और यह हवा-पानी के लिए आपस में संघर्ष कर रहे थे। यहाँ रखे छोटे छोटे गट्टे के डिब्बों में इन पक्षियों को भरकर रखगाया था जिसमे से कई पक्षी मौत का शिकार हो चुके दे और उनके मृत शरीर पिंजरों में व फर्श पर लावारिस गिरे पड़े जबकि कुछ के शव सड़ चुके थे।

अपने प्रकर्तिक जीवन में यह पक्षी अनेकों तरह की सामाजिक गतिविधियों में लीन रहते हैं जैसे कि रेत में नहाना, लुका छुपी खेलना, नाचना, साथी दोस्तों के साथ मिलकर घोंसले बनाना व अपने नन्हें बच्चों की परवरिश करना। लेकिन जब इन पक्षियों को पिंजरों में कैद कर लिया जाता है तो यह खुशदिल पक्षी उदास व निराश हो जाते हैं। वह तनाव के चलते खुद को चोटिल कर लेते हैं। बहुत से लोग इन पक्षियों के पर कुतर देते हैं ताकि वह आसमान में ना उड़ सकें हालांकि पक्षियों के लिए उड़ना उतना ही जरूरी है जितना कि इन्सानों के लिए चलना फिरना।

आप पक्षियों के पिंजड़े के खिलाफ नीचे याचिका पर हस्ताक्षर करके पक्षियों की मदद कर सकते हैं।
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