PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद, पश्चिम बंगाल वन विभाग ने तोतों को अवैध रूप से बंधी बनाने के लिए एक अपराधी के खिलाफ़ मामला दर्ज़ किया

Posted on by Erika Goyal

एक दयालु नागरिक से किसी व्यक्ति द्वारा अपने घर में दो एलेक्जेंड्राइन तोतों को छोटे एवं गंदे पिंगरे में कैद रखने के बारे में जानकारी प्राप्त होने के बाद PETA इंडिया ने इन पक्षियों को बचाने और कथित अपराधियों के खिलाफ़ प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (POR) दर्ज़ कराने के लिए नॉर्थ 24 परगनस के वन अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य किया।

यह POR वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 की धारा 9, 39 और 51 के तहत दर्ज की गयी है और वर्तमान में, इस मामले की सुनवाई बैरकपुर के एडिशनल चीफ मजिस्ट्रेट के कोर्ट में चल रही है। इन तोतों के रेस्क्यू के बाद, इन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए भेजा गया और बैरकपुर के एडिशनल चीफ मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद इन्हें प्रकृति में छोड़ दिया गया। इन पक्षियों को WPA, 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित प्रजाति का दर्ज़ा प्राप्त है। इस प्रजाति के पक्षियों को खरीदना, बेचना या पालना एक अपराध है, जिसके लिए 1 लाख रुपये तक के जुर्माने या तीन साल तक की जेल की सजा या दोनों का प्रावधान हैं।

अवैध पक्षी व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता है और हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है ताकि इन पक्षियों को “पालतू जानवर” के रूप में बेचा जा सके या फर्जी तौर पर, भाग्य-बताने वाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। नन्हे-नन्हे पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से जबरन उठा लिया जाता है जिस कारण अन्य पक्षी भी घबरा जाते हैं। इस दौरान जाल से निकलने का प्रयास करते हुए कई पक्षी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और अपनी जान भी गवां देते हैं। पकड़े गए पक्षियों को छोटे-छोटे बक्सों में बंद किया जाता है, एवं अनुमानित तौर पर इनमें से 60% पक्षी टूटे हुए पंख और पैर एवं प्यास या अत्यधिक घबराहट के कारण रास्ते में ही मर जाते हैं। इसके बाद भी जो पक्षी बचा जाते हैं उन्हें एक अंधकारमय और अकेले जीवन का सामना करना पड़ता है और वह कुपोषण, मानसिक बीमारियों एवं तनाव का सामना करते हैं और दुर्व्यवहार से पीड़ित होते हैं।

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