भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने राज्यों से कहा कि लॉकडाऊन में फसी सर्कसों में बंद जानवरों की दशा पर रिपोर्ट दें।

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PETA इंडिया ने AWBI को पत्र लिखकर COVID 19 लॉकडाउन के दौरान जगह जगह रुकी हुई सर्कसों में बंद पशुओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी जिसके उपरांत केंद्र सरकार के “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” के तहत गठित विभाग- भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने समस्त राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर कहा है कि समस्त जिलों में जगह जगह फसी सर्कसों की जांच की जाए व उनमे बंद पशुओं की स्थितियों का अवलोकन कर प्रत्येक सर्कस की रिपोर्ट बोर्ड को प्रेषित की जाए। इस जांच में पशुओं के रहन सहन की स्थिति, भोजन पानी की व्यवस्था, प्रदर्शनकारी पशुओं की संख्या के पंजीकरण प्रमाणपत्र तथा प्रजातियों का AWBI के साथ पंजीकरण की जांच की जाए। AWBI ने इस पत्र के साथ पंजीकृत सर्कसों की सूची भी प्रेषित की है।

 

 

 

 

 

 

 

PETA इंडिया ने इस पत्र में इंगित किया है कि बहुत सी मीडिया रिपोर्ट में यह सामने आ रहा है कि देश में जगह जगह फसी सर्कसों में बंद पशुओं की स्थिति बेहद दुखद है उन्हें भोजन, पानी, एवं चिकित्सीय जैसी बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित रखा जा रहा है। PETA ने यह भी कहा था कि परिस्थितियों में बहुत जल्द कोई सुधार आने वाला नहीं है क्यूंकि लॉकडाउन खुल भी जाए तब भी लोग भीड़-भाड़ वाली जगह पर नहीं जाएंगे ऐसे में यह सर्कस लंबे समय तक इसी अवस्था में रहने वाली हैं।

हमने हाल ही में मतस्य, पशु कल्याण एवं डेयरी मंत्रालय मंत्री जी को भी एक पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” के तहत उस ड्राफ्ट नियम का संज्ञान लें जिसमे सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल एवं प्रदर्शन पर रोक लगाई जानी सुनिश्चित की गयी है। हमने यह तथ्य भी उठाया है सर्कस जुनोटिक रोगों की वाहक हैं व यह इस तरह के खतरनाक संक्रमण को मनुष्यों में हस्तांतरित कर सकती हैं। सर्कस में इस्तेमाल होने वाले पशु COVID 19 की ही तरह अन्य खतरनाक संक्रामक रोगों को मनुष्यो तक पहुंचा सकते हैं जैसे हाथियों से TB, घोड़ों से ग्लेन्डर, पक्षियों से psittacosis, ऊंटों से केमलपोक्स एवं MERS नामक संक्रमण फैल सकता है।

वर्ष 2017 में, AWBI द्वारा एक अधिसूचना जारी कर केंद्र सरकार को संस्तुति प्रदान की थी की पुराने क़ानूनों का कमजोर होने व सही से लागू न होने के चलते सर्कसों में जानवरों का शोषण होता है जैसे पशुओं पर क्रूरता, कानून का धड़ल्ले से उलंघन व अनेकों अन्य कारण, इसलिए सर्कसों में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाला कानून बनाया जाए।

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