PETA इंडिया की अपील के बाद सिक्किम सरकार ने नन्हें जीवों की भलाई हेतु ग्लू ट्रेप पर प्रतिबंध लागू करने की मांग स्वीकार की

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया की अपील के बाद, सिक्किम पशुपालन और पशु चिकित्सकीय सेवा विभाग ने गंगटोक के जिला कलेक्टर को एक पत्र जारी कर वर्ष 2016 में ज़ारी राजकीय सूचना को सख्ती से लागू करने का अनुरोध किया जिसके अंतर्गत ग्लू ट्रेप के निर्माण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित किया गया था। इस पत्र में इंगित किया गया कि ग्लू ट्रैप के क्रूर और अवैध होने के बावजूद इसकी खुलेआम बिक्री ज़ारी है। PETA इंडिया ने अपनी अपील में राज्य सरकार से भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा जारी परिपत्रों को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया था जिसमें ग्लू ट्रेप को प्रतिबंधित करने की सलाह दी गयी थी।

अपने अपील में PETA इंडिया ने बताया कि भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा वर्ष 2011 और वर्ष 2020 में जारी सर्कुलर के अनुसार,  ग्लू ट्रेप जैसे क्रूर उपकरणों का उपयोग “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम”, 1960 की धारा 11 के तहत एक दंडनीय अपराध है। इन्हें आम तौर पर प्लास्टिक ट्रे या गत्ते की चादरों पर ग्लू का लेप चड़ाकर उन्हें चिपकाऊ बना दिया जाता है जिससे छोटे जीव जैसे गिलहरी, सरीसृप, मेंढक और अन्य जानवरों जब इसके उपर से निकलते हैं तो वो अनचाहे में इसपर चिपक जाते हैं। संरक्षित देसी जंगली प्रजातियों के शिकार को प्रतिबंधित करने वाले कानून “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972” के अंतर्गत इन क्रूर ट्रेप का इस्तेमाल भी इस कानून का उल्लंघन है। इस प्रकार के ट्रेप में फंसे चूहे या अन्य जानवर भूख-प्यास या अत्यंत पीड़ा के चलते अपनी जान गवा देते हैं। कुछ जानवर इस ग्लू में अपनी नाक या मुंह फंस जाने के कारण दम घुटने से मर जाते हैं या अन्य आज़ादी की छटपटाहट में अपने ही अंगों को स्वयं कुतरने लगते हैं जिसके चलते खून की कमी के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। इतने पर भी जो जानवर जीवित पाये जाते हैं उन्हें ट्रेप सहित कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है या इन्हें कुचलने और डूबने जैसी अधिक बर्बर मौत का सामना करना पड़ता है।

रोडेंट की जनसंख्या को नियंत्रित करने का एकमात्र दीर्घकालिक तरीका किसी क्षेत्र को उनके लिए अनाकर्षक या दुर्गम बनाना है। काउंटर की सतहों, फर्शों और अलमारियाँ को साफ रखकर उनके भोजन के स्रोतों को समाप्त करना और भोजन को कंटेनरों में स्टोर करना एक अच्छा उपाय है। इन जानवरों को घर से बाहर निकालने के लिए कूड़े कचरे के डिब्बों को सील करके घर के बाहर रखें और अमोनिया में डुबोकर रूई या कपड़े का गोला ऐसे स्थानों पर रखें जहां से छोटे जीव घर में प्रवेश करते हैं क्यूंकी ऐसा करने से वह अमोनिया की गंध से दूर भागते हैं। जानवरों को बाहर निकल जाने के कुछ समय बाद बाद, घर में प्रवेश करने वाले स्थानों को फोम सीलेंट, स्टील वूल, हार्डवेयर क्लॉथ या मेटल फ्लैशिंग का उपयोग करके सील करें जिससे यह वापस अंदर न आ सके। किसी भी रोडेंट को घर से निकालने हेतु मानवीय पिंजरे के जाल का उपयोग किया जाना चाहिए और उन्हें 100 गज की दूरी के भीतर छोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि अपने प्राकृतिक क्षेत्र से दूर चले जाने पर जानवरों को पर्याप्त भोजन पाने खोजने में समस्या होती है जिसके परिणाम स्वरूप उनकी मृत्यु तक हो जाती है।

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