PETA इंडिया के वर्ष 2022 के सबसे प्रभावशाली पशु अधिकार अभियान

Posted on by Shreya Manocha

वर्ष 2022 पशु अधिकार के संबंध में एक यादगार वर्ष रहा। प्रजातिवाद एक ऐसी वर्चस्ववादी सोच है जिसमें वह स्वयं को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानकर अपने फ़ायदों के लिए दूसरी अन्य प्रजातियों के शोषण करने को सही मानता है। PETA इंडिया ने इस वर्ष भी प्रजातिवाद का विरोध करते हुए, भोजन, कपड़ा और मनोरंजन उद्योग में प्रयोग होने वाले जानवरों के हित में आवाज़ उठाई और पशु अधिकारों की रक्षा करते हेतु विभिन्न अभियान चलाएँ।

PETA इंडिया द्वारा दायर एक आवेदन के बाद, गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा समूह को इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति प्रदान की गयी है। इस केस के अंतर्गत असम पर्यावरण और वन विभाग द्वारा जॉयमाला (जिसे जैमलयथा नाम से जाना जाता है) नामक शोषित हथिनी के तमिल नाडु से वापिस असम के हस्तांतरण हेतु निर्देश का अनुरोध कर रहा है। जॉयमाला लगभग एक दशक से तमिलनाडु के श्रीविल्लिपुथुर नचियार थिरुकोविल मंदिर की अवैध हिरासत में हैं और सर पॉल मेकार्टनी जैसी बहुत सी मशहूर हस्तियों द्वारा उनके हक़ में आवाज़ उठाई गयी है। वर्ष 2021 और 2022 में दो अलग-अलग महावतों के वीडियो सामने आए जिसमें जॉयमाला को बेरहमी से पिटते और दर्द से चिल्लाते देखा जा सकता है।

जॉयमाला को सुरक्षित वापिस लाने हेतु कार्यवाही करें

कोलकाता में सवारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़ों पर PETA इंडिया की जांच में खुलासा हुआ है कि वे गंभीर संकट की स्थिति का सामना कर रहे हैं ।कोलकाता के पीड़ित घोड़ों की सबसे तत्काल जरूरत पशु चिकित्सा देखभाल की है। PETA इंडिया ने राज्य सरकार से एक कानून प्रवर्तन समिति नियुक्त करने का आग्रह किया है जो अस्वस्थ घोड़ों और आवश्यक कानूनी आवश्यकताओं को पूरा किए बिना इस्तेमाल किए जा रहे घोड़ों को जब्त करने और उन्हें सेंक्चुरी में भेजने के लिए है। PETA इंडिया घोडा-गाड़ियों को पतली बैटरी चालित गाड़ियों से बदलने की मांग कर रही है – जैसे कि मुंबई में इस्तेमाल की जा रही है। जानवरों के मल शहर के चारों ओर बिखरे हुए हैं, जिससे टिटनेस और अन्य स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा हो रहे हैं।

कोलकाता में घोड़ों के क्रूर इस्तेमाल पर रोक लगवाने हेतु कार्यवाही करें

PETA इंडिया ने द्वारा एक नयी जांच में देश की इस जांच में एक साथ हज़ारों अवांछित चूजों को अवैध रूप से मौत के घाट उतारने वाला एक बेहद भयानक वीडियो भी है। इसमें केवल एक दिन के चूजों को ड्रमगड्ढोंकूड़ेदानों और तालाबों में फेंककर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। इन सजीव प्राणियों को जिंदा दफ़नाकर, डूबाकर, कुचलकर या गला दबाकर मौत के घाट उतारा जाता है और यहाँ तक कि मछलियों, कुत्तों या चीलों के सामने भोजन के रूप में लावारिस छोड़ दिया जाता है। लेकिन अब असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा और अन्य राज्य सरकारों द्वारा चूजों की पीड़ा कम करने हेतु कदम उठाएँ गए हैं।

मादा चूजों की अवैध और क्रूर हत्या को रोकने हेतु कार्यवाही करें

भारत में, “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” के तहत कुत्तों को लड़ने के लिए उकसाना गैरकानूनी है। इसके बावजूद भी उत्तर भारत के कई अन्य हिस्सों में डॉग फ़ाईट्स का धड़ल्ले से आयोजन होता है और इस तरह की फ़ाईट्स में पिट बुल प्रजाति के कुत्ते सबसे ज्यादा दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। पिट बुल प्रजाति के कुत्तों को आमतौर पर अवैध लड़ाई के लिए पाला जाता है व हमलावर कुत्तों के रूप में उन्हें जंजीरों से बांधकर कर रखा जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप यह कुत्ते आजीवन पीड़ा सहते हैं। PETA इंडिया ने सरकार से विदेशी नस्ल के कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने, पशु बिक्री की अवैध दुकानों व ब्रीडर्स को बंद करवाने तथा डॉगफाइट पर शिकंजा कसने का अनुरोध किया है।

कुत्तों की अवैध लड़ाई को रोकने हेतु कार्यवाही करें!

PETA इंडिया की नई जांच में मुंबई के देवनार में बूचड़खानों का उस समय दौरा किया जब वहाँ लगभग 1.45 लाख बकरियों एवं भेड़ों और 10,000 भैंसों का व्यापार किया जा रहा था। PETA इंडिया ने पाया कि यहाँ गुजरात, मध्य प्रदेश, और राजस्थान जैसे दूर दराज़ के राज्यों से जानवरों को कुर्बानी हेतु लाया जा रहा था और इस जांच में पशुओं के खिलाफ़ क्रूरता, गंदगी और पशु संरक्षण कानूनों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन से संबंधित कई सबूत मिले।

भोजन एवं कपड़ों के लिए पशुओं का प्रयोग न करें!

मांस और चमड़े के लिए मारे जाने वाले जानवर हमारे साथी  कुत्तों और बिल्लियों की तरह हर तरह से बुद्धिमान एवं दर्द महसूस करने में सक्षम होते हैं। यह सभी सजीव प्राणी  जिज्ञासु और भावनात्मक होते हैं एवं इन्हें भी मनुष्यों की तरह अपने जीवन का मोह होता है। PETA इंडिया के साथ मिलकर वर्ष 2023 को पशुओं के लिए अधिक दयालु और सुरक्षित बनाएँ।

PETA इंडिया सभी को पशुओं के हित में सही कदम उठाने हेतु प्रोत्साहित करता है। PETA इंडिया का समर्थन करके इस सकारात्मक पहल का हिस्सा बनें।

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