PETA इंडिया के समर्थक जॉन अब्राहम ने Quikr से कहा- ‘जिंदा जानवरों के विज्ञापन बंद करो!’

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मुंबई- पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा OLX इंडिया को अपने पोर्टल पर जानवरों की बिक्री ना करने पर राजी करने के बाद, लंबे समय से PETA इंडिया के समर्थक रहे जॉन अब्राहम ने आज सुबह ईरीटेलर Quikr को भी एक पत्र भेजकर यही कदम अपनाने का आग्रह किया है।

जॉन अब्राहम लिखते हैं, “अपने प्लैटफ़ार्म के माध्यम से कुत्ते, बिल्लियों और अन्य जानवरों के व्यापार की अनुमति देकर Quikr जानवरों को ऐसे लोगों एवं दूकानदारों के द्वारा खरीदे एवं पाले जाने के लिए जोखिम में भी डाल रहा है जो जानवरों की आजीवन देखभाल करने के लिए तैयार नहीं हैं। क्या आप जिंदा जानवरों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाकर OLX इंडिया और अन्य अग्रणी वेबसाइटों की श्रेणी में शामिल होंगे?”

जैसा कि अब्राहम ने पत्र में लिखा है, Quikr “गोद लेने” की पेशकश करने का दावा करता है – लेकिन गोद लेने की सही प्रक्रिया को केवल प्रतिष्ठित और पंजीकृत पशु संरक्षण NGO के साथ काम करके ही पूरा किया जा सकता है। ऐसे NGO सुनिश्चित करते है कि गोद लेने वाले, जानवरों को आजीवन संरक्षण देने के लिए तैयार हैं या नहीं, क्योंकि कई घरेलू जानवरों को दुकानों, ब्रीडर्स या Quikr जैसी वेबसाइटों के माध्यम से गैर जिम्मेदारना तरीकों से खरीद कर उन्हें बाद मे लावारिस छोड़ दिया जाता  है। इसके अलावा, Quikr पर “मुफ्त गोद लेने” के लिए डाले गए जानवरों में मुर्गे एवं बकरियां शामिल हैं – जिन्हें जानवरों की अवैध लड़ाई या उनके मांस हेतु मारने के लिए खरीदा जा सकता है – और इनके विज्ञापन डालने वाले व्यापारी विज्ञापन पर कीमत “मुफ़्त” लिखते हैं लेकिन संपर्क किए जाने पर कीमत की मांग करते हैं।

जब भी कोई व्यक्ति किसी पेट शॉप या ब्रीडर से एक बिल्ली या कुत्ता खरीदता है, तो सड़कों पर या किसी पशु आश्रय में गुज़ारा कर रहे किसी एक जानवर को अपना घर मिलने का असवर समाप्त हो जाता है। इनमें से कई जानवर भूखे रहते हैं, जानबूझकर घायल किए जाते है या मारे जाते हैं, वाहनों की चपेट में आ जाते हैं, या इनके साथ कई अन्य तरीकों से दुर्व्यवहार किया जाता है। जिनके पास समय, धैर्य, प्रेम और संसाधन है PETA इंडिया उनसे अनुरोध करता है की अपने स्थानीय पशु आश्रय में जाकर किसी बेसहारा पशु को गोद लें।

इससे पहले भी जॉन अब्राहम ने PETA इंडिया के कार्यों में अनेकों तरह से समर्थन दिया है जैसे जानवरों की सर्कस पर रोक के लिए ज़ोर देना, मुंबई के “नाचनेवाले” बंदरों के खिलाफ़ आवाज़ उठाना, एक विज्ञापन के माध्यम से लोगों को, पक्षियों को खुला उड़ने देने का आग्रह करना इत्यादि शामिल हैं।

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