PETA इंडिया की अपील के बाद कर्नाटक सरकार ने चूहे एवं अन्य नन्हें जीवों की रक्षा हेतु अवैध ग्लू ट्रेप पर रोक लगाई

Posted on by Siffer Nandi

PETA इंडिया की अपील के बाद, कर्नाटक के पशुपालन कल्याण एवं पशु चिकित्सा सेवा विभाग ने आदेश जारी कर रोडेंट (नन्हें जीव जैसे चूहा, गिलहरी आदि) की सुरक्षा हेतु क्रूर ग्लू ट्रेप के निर्माण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है।  इस सर्कुलर में पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम के उल्लंघन का हवाला दिया गया है जिसमे कानून के तहत जीवों को दर्द एवं पीड़ा देने वाले ग्लू ट्रेप के इस्तेमाल को अवैध माना गया है। iइसमे बाते गया है की कैसे नन्हें जीव इसमे फस जाते हैं और फिर तड़फ तड़फ कर मौत का शिकार होते हैं।

 

PETA इंडिया ने अपनी अपील में राज्य सरकार से भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा जारी किए गए सर्कुलरों को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया था जिससे ग्लू ट्रेप के क्रूर और अवैध उपयोग पर रोक लगाई जा सके। इससे पहले गोवा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़मेघालय, सिक्किम, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्य भी इस प्रकार के सर्क्युलर ज़ारी कर चुके हैं।

इस प्रकार के ट्रेप पर चिपक कर चूहे या अन्य जानवर भूख-प्यास या अत्यंत पीड़ा के चलते अपनी जान गवा सकते हैं। कुछ जानवर इस ग्लू में अपनी नाक या मुंह फंस जाने के कारण दम घुटने से मर जाते हैं या अन्य इस चिपकन से छूट कर आज़ादी की छटपटाहट में अपने ही अंगों को स्वयं कुतरने लगते हैं जिसके चलते खून की कमी के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। इतने पर भी जो जीव जीवित बच जाते हैं उन्हें ट्रेप सहित कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है या इन्हें कुचलने और डूबने जैसी अधिक बर्बर मौत मरने के लिए फेंक दिया जाता है।

PETA इंडिया मानता है कि इस तरह के जीवों की जनसंख्या को नियंत्रित करने का एकमात्र दीर्घकालिक तरीका है की घर या स्थान को इनके लिए अनाकर्षक या दुर्गम बना दिया जाए। काउंटर की सतहों, फर्शों और अलमारियाँ को साफ रखकर वहाँ पड़े भोजन के टुकड़ों को समाप्त करना और भोजन सामाग्री को ऐसे डब्बो में रखना जिन्हें यह जीव दांतों से काट न सकें, यह कुछ बेहतर उपाय हैं। इन अनचाहे जीवों को घर से बाहर निकालने के लिए कूड़ेदानों को सील करें और अमोनिया में डूबाकर रुई या कपड़े का एक गोला रखे क्योंकि इन्हें गंध से सख्त नफरत होती हैं। जानवरों को बाहर निकलने के बाद उनके प्रवेश करने के रस्तों को फोम सीलेंट, स्टील वूल, हार्डवेयर क्लॉथ या मेटल फ्लैशिंग का उपयोग करके सील करें जिससे यह वापस अंदर न आ सके। किसी भी रोडेंट को घर से निकालने हेतु मानवीय पिंजरे के जाल का उपयोग किया जाना चाहिए और इन्हें जानकार इलाक़े में ही छोड़ना चाहिए, क्योंकि अपने प्राकृतिक क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित होने वाले जानवरों को पर्याप्त भोजन-पानी खोजने में परेशानी होती है जिसके परिणामस्वरूप इनकी मृत्यु भी हो सकती है।

ग्लू ट्रेप के निर्माता और विक्रेता छोटे जीवों को भयानक रूप से धीमी और दर्दनाक मौत की सजा देते हैं और खरीदारों को कानून तोड़ने वाला बना देते हैं।

2021 में, PETA इंडिया की एक अपील के बाद, कर्नाटक एनिमल वेलफेयर बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी कर सभी जिला उप निदेशकों को सुअर पालन में गंभीर रूप से प्रतिबंधात्मक गर्भधारण और फैरोइंग क्रेट के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश दिया था।

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