PETA इंडिया की अपील के बाद मेघालय सरकार ने पशुओं के हित में महत्वपूर्ण कदम उठाएँ

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया द्वारा मेघालय सरकार में सूअर पालन हेतु जेस्टेशन एवं फैरोइंग क्रेट और ग्लू ट्रेप के प्रयोग पर रोक लगाने हेतु की गई अपील के बाद, मेघालय सरकार के पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग ने सर्कुलर ज़ारी करके जेस्टेशन एवं फैरोइंग क्रेट के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल एवं ग्लू ट्रेप पर रोक लगाई है।

जेस्टेशन क्रेट (उर्फ गर्भवती सुअर को जकड़ने का तंग पिंजरा) जो केवल सुअर की माप के होते हैं, इनका फर्श पक्का या कंक्रीट का होता है, जिसमे जानवरों को करवट बदलने या खड़े होने में अत्यधिक कष्ट होता है। जेस्टेशन क्रेट का इस्तेमाल गर्भवती सूअरों को एक जगह रोके रखने के लिए किया जाता है, बच्चों को जन्म देने के लिए फैरोइंग क्रेट (जन्म देने का तंग पिंजरा) में भेज दिया जाता है और उन्हें वहाँ तब तक रखा जाता है जब तक कि उनके नवजात बच्चों को उनसे अलग न कर दिया जाये। ये फैरोइंग क्रेट मूल रूप से जेस्टेशन क्रेट के समान होते हैं, बस इनमे सूअर के नवजात बच्चों के लिए साइड में छोटे खांचे बने रहते हैं।

pig-farming in crate

ग्लू ट्रेप को आम तौर पर प्लास्टिक ट्रे या गत्ते की चादरों पर ग्लू का लेप चड़ाकर उन्हें चिपकाऊ बना दिया जाता है जिससे छोटे जीव जैसे गिलहरी, सरीसृप, मेंढक और अन्य जानवरों जब इसके उपर से निकलते हैं तो वो अनचाहे में इसपर चिपक जाते हैं। संरक्षित देसी जंगली प्रजातियों के शिकार को प्रतिबंधित करने वाले कानून “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972” के अंतर्गत इन क्रूर ट्रेप का इस्तेमाल भी इस कानून का उल्लंघन है। इस प्रकार के ट्रेप में फंसे चूहे या अन्य जानवर भूख-प्यास या अत्यंत पीड़ा के चलते अपनी जान गवा देते हैं। कुछ जानवर इस ग्लू में अपनी नाक या मुंह फंस जाने के कारण दम घुटने से मर जाते हैं या अन्य आज़ादी की छटपटाहट में अपने ही अंगों को स्वयं कुतरने लगते हैं जिसके चलते खून की कमी के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। इतने पर भी जो जानवर जीवित पाये जाते हैं उन्हें ट्रेप सहित कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है या इन्हें कुचलने और डूबने जैसी अधिक बर्बर मौत का सामना करना पड़ता है।

सूअर समझदार एवं सामाजिक जानवर होते हैं जिनका शोषण नहीं किया जाना चाहिए और रोडेंट की जनसंख्या को नियंत्रित करने का एकमात्र दीर्घकालिक तरीका किसी क्षेत्र को उनके लिए अनाकर्षक या दुर्गम बनाना है। काउंटर की सतहों, फर्शों और अलमारियाँ को साफ रखकर उनके भोजन के स्रोतों को समाप्त करना और भोजन को कंटेनरों में स्टोर करना एक अच्छा उपाय है। इन जानवरों को घर से बाहर निकालने के लिए कूड़े कचरे के डिब्बों को सील करके घर के बाहर रखें और अमोनिया में डुबोकर रूई या कपड़े का गोला ऐसे स्थानों पर रखें जहां से छोटे जीव घर में प्रवेश करते हैं क्यूंकी ऐसा करने से वह अमोनिया की गंध से दूर भागते हैं। जानवरों को बाहर निकल जाने के कुछ समय बाद बाद, घर में प्रवेश करने वाले स्थानों को फोम सीलेंट, स्टील वूल, हार्डवेयर क्लॉथ या मेटल फ्लैशिंग का उपयोग करके सील करें जिससे यह वापस अंदर न आ सके। किसी भी रोडेंट को घर से निकालने हेतु मानवीय पिंजरे के जाल का उपयोग किया जाना चाहिए और उन्हें 100 गज की दूरी के भीतर छोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि अपने प्राकृतिक क्षेत्र से दूर चले जाने पर जानवरों को पर्याप्त भोजन पाने खोजने में समस्या होती है जिसके परिणाम स्वरूप उनकी मृत्यु तक हो जाती है।

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