PETA इंडिया की साइन्स पॉलिसी एडवाइजर डॉ. दिप्ति कपूर की याद में

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डॉ. दिप्ति कपूर पशु अधिकारों की बहुत बड़ी समर्थक थीं। उन्होंने विज्ञान के आधुनिकीकरण में अपना बड़ा योगदान देकर लाखों जानवरों की जान बचाई जिन्हें अन्यथा क्रूर परीक्षणों में इस्तेमाल करके मौत के घाट उतार दिया जाता।

  • वह “एंटीटॉक्सिन” उत्पादन हेतु घोड़ों की विभिन्न प्रजातियों पर किए जाने वाले क्रूर परीक्षणों के सख़्त खिलाफ़ थीं। उन्होंने PETA के सहयोगियों के साथ मिलकर भारत और दुनिया भर के शोधकर्ताओं के सामने यह तथ्यपूर्ण विचार प्रस्तुत किया कि “गैर-पशु परीक्षण तरीकों” के उपयोग से “डिप्थीरिया”, ज़हरीली मकड़ी के डंक उपचार और अन्य स्थितियों हेतु जीवन रक्षक दवाइयों का उत्पादन किया जा सकता है।
  • उन्होंने भारत में “ड्रायज़ टेस्ट” नामक क्रूर परीक्षण को प्रतिबंधित कराने में भी अपना अहम योगदान दिया जिसके अंतर्गत खरगोशों को कैद करके  उनकी छिली हुई चमड़ी और आँखों पर ख़तरनाक रसायनों को रगड़ा जाता था। अब इसकी जगह गैर-पशु परीक्षण विधियों का उपयोग किया जाता है।
  • डॉ. दिप्ति कपूर ने “भारतीय केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड” और पंजीकरण समिति को अपने “मार्गदर्शन दस्तावेज” में बहुत से संवेदनशील और प्रगतिशील बदलाव करने के लिए राजी किया जो जानवरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण जीत थी। इसके परिणामस्वरूप कीटनाशकों के उत्पादन हेतु गैर-पशु परीक्षण विधियों को व्यापक स्तर पर स्वीकृति हांसिल हुई ।
  • इनके निरंतर प्रयासों के बाद, असामान्य विषक्तता परीक्षण (जिसमें वैक्सीन या अन्य दवाइयों की संभावित विषक्तता का परीक्षण करने के लिए उन्हें जानवरों में इंजेक्ट किया जाता है) को “भारतीय फार्माकोपिया” से हटा दिया गया था, जिससे हजारों गिनी पिग और चूहों को इस क्रूर और त्रुटिपूर्ण परीक्षण से बचाया जा सका।
  • “भारतीय फार्माकोपिया आयोग” के साथ अपने नियमित संवाद के माध्यम से, दवा उत्पादन हेतु गायों, खरगोशों और अन्य जानवरों पर किए जाने वाले अनिवार्य परीक्षणों को कम करने और दवा परीक्षण के लिए गैर-पशु परीक्षण विधियों के विकास हेतु नियामकों द्वारा प्रस्ताव जारी कराने में उन्हें बड़ी सफलता हासिल हुई थी।
  • उनकी सिफारिशों ने “भारतीय मानक ब्यूरो” को एंथ्रेक्स संदूषण की पहचान हेतु  गिनी पिगों पर किए जाने वाले परीक्षण को मानवीय माइक्रोबायोलॉजिकल परीक्षण से बदलने में बड़ा योगदान दिया जिससे अनगिनत गिनी पिगों को घिनौनी और पीड़ादायक मौत से बचाया जा सका।

डॉ. दिप्ति अपने काम के प्रति जितनी सजग और ईमानदार थीं, वह अपने सहियोगियों के बीच उतनी ही लोकप्रिय और मददगार भी थीं।

जानवरों ने अपना बड़ा समर्थक और हमने अपना प्यारा साथी खो दिया। उनकी स्मृति में PETA इंडिया और हमारे अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी पशु-परीक्षणों को समाप्त कराने के उनके संवेदनशील और दयालु प्रयास को अपनी पूर्ण निष्ठा के साथ निरंतर आगे बढ़ाते रहेंगे जिससे उनकी विरासत को गौरवान्वित किया जा सके।

डॉ. दिप्ति की याद में एक True Friends Memorial page  बनाया गया है, यहाँ इच्छुक लोग अंटीटोक्सिन उत्पादन हेतु घोड़ों पर किए जाने वाले क्रूर परीक्षणों को समाप्त कराने के लिए दान देकर अपना सहयोग दे सकते हैं।  यह कार्यक्रम डॉ. दिप्ति का सबसे प्रिय कार्यक्रम था और उन्होंने अपने व्यावसायिक जीवन में इसके लिए काफ़ी परिश्रम और प्रयास भी किए।

डॉ. दिप्ति आप हमेशा हमारे दिलों में रहेगी!