PETA इंडिया की शिकायत के बाद नागरकुरनूल में जिंदा बैलों को दफ़नाने की प्रथा को समाप्त किया गया

Posted on by Sudhakarrao Karnal

यह जानकारी मिलने के बाद कि वेल्डंडा मंडल के कुछ निवासी एक जीवित बैल को बलि के रूप में दफनाने की योजना बना रहे हैं, PETA इंडिया ने ऐसा होने से रोकने के लिए नागरकुरनूल पुलिस अधीक्षक और वेल्डंडा पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक के साथ मिलकर कार्य किया।

PETA इंडिया ने अपने द्वारा दर्ज़ FIR में बताया कि “तेलंगाना पशु एवं पक्षी बलिदान निषेध अधिनियम, 1950” की धारा 5 (बी) के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को अपने अधिकार के आधीन स्थान पर किसी भी पशु की कुर्बानी की अनुमति नहीं हैं। धारा 4 के अंतर्गत लोगों के बीच पशुओं की बलि देने, इस प्रकार का प्रदर्शन करने या इसमें भाग लेने पर पूरी तरह से रोक है। धारा 8 अधिनियम के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय बनाती है।

मांस के लिए जानवरों की बलि और हत्या के संबंध में दो मामलों पर आदेशों के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जानवरों को केवल आधिकारिक रूप से लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में ही वध किया जा सकता है और नगरपालिका अधिकारियों को इस फैसले का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (वधशाला) नियम, 2001, और खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियम, 2011 के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त बूचड़खानों में कुछ विशिष्ट उपकरणों का प्रयोग कर केवल भोजन के लिए जानवरों के वध की अनुमति दी गई है।

गुजरात, केरल, पुडुचेरी और राजस्थान में पहले से ही ऐसे कानून हैं जो मंदिर या उसके परिसर में किसी भी जानवर के धार्मिक बलिदान को प्रतिबंधित करते हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना राज्य धार्मिक स्थल या उसके परिसर में, सार्वजनिक स्थल पर धार्मिकता से जुड़े किसी भी कार्यक्रम या जुलूस में पशुओं की बलि को प्रतिबंधित करता हैं।

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