PETA इंडिया और FIAPO द्वारा चलाए गए अभियानों के बाद 29 हाथियों को सर्कसों से बचाकर पुनर्वासित किया गया

Posted on by Erika Goyal

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आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि हो गई है कि PETA इंडिया और फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल्स प्रोटेक्शन ऑर्गनाईजेशन (FIAPO) द्वारा चलाए गए विभिन्न प्रभावशाली अभियानों के परिणामस्वरूप पिछले पाँच वर्षों में भारतीय सर्कसों से 29 शोषित हाथियों को बचाकर पुनर्वासित किया गया है। वर्तमान में, यह सभी हाथी एक बेहतर जीवन का आनंद ले रहे हैं।

“पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” के तहत स्थापित वैधानिक निकाय “भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड” (AWBI) द्वारा किए गए एक हालिया निरीक्षण में सामने आया है कि मनोरंजन उद्योग से बचाए गए इन सभी हाथियों को राधा कृष्ण मंदिर हाथी कल्याण ट्रस्ट (RKTEWT) जामनगर, गुजरात के पशु केंद्र में पुनर्वासित किया गया है जहां इनकी उचित देखभाल हो रही है।

इन सभी हाथियों को PETA इंडिया और FIAPO द्वारा चलाए गए विभिन्न अभियानों के परिणामस्वरूप बचाया गया था, जिसके बाद केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने भारतीय सर्कसों में हाथियों को रखने और उनका प्रदर्शन हेतु उपयोग करने पर रोक लगा दी थी। AWBI द्वारा यह निरीक्षण PETA इंडिया और FIAPO द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं के आधार पर किया गया जिसमें केंद्र सरकार को जानवरों के प्रदर्शन हेतु उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने हेतु निर्देशित करने की मांग की गई थी।

इन सभी 29 हाथियों का जबरन प्रदर्शन हेतु प्रयोग किया जाता था और ज़रूरत न होने पर इन्हें जंजीरों में कैद रखा जाता था। यह हमेशा हथियारों के डर में रहते थे और उन्हें प्रशिक्षण हेतु मारा-पीटा जाता था। हाथियों के इस्तेमाल को समाप्त करने वाले सर्कसों में कोलकाता का अजंता, एम्पायर, फेमस और कोहिनूर सर्कस, दिल्ली का ग्रेट अपोलो सर्कस, अहमदाबाद का ग्रेट गोल्डन सर्कस, हैदराबाद का ग्रेट प्रभात सर्कस, लखीमपुर (असम) का मूनलाइट सर्कस, पुणे का रैम्बो सर्कस और कानपुर का राजमहल सर्कस शामिल हैं।

AWBI द्वारा विभिन्न सर्कसों के निरीक्षण और इसकी 2016 की अध्ययन रिपोर्ट (जिसमें प्रदर्शनों के लिए बंदी हाथियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है) से सामने आया कि यहाँ हाथियों को हिंसक रूप से प्रशिक्षित किया जाता है और मनुष्यों की आज्ञा मानने हेतु उनके आंतरिक साहस को क्रूरतापूर्ण ढंग से समाप्त किया जाता है। इन सजीव प्राणियों को मुश्किल करतब करने हेतु बाध्य किया जाता है और इनका प्रदर्शन भीड़-भाड़ वाले अप्राकृतिक वातावरण में किया जाता है। PETA इंडिया, FIAPO, और FIAPO के साथी पशु कल्याण संगठनों के कई सदस्यों ने इन निरीक्षणों और अध्ययन रिपोर्ट के गठन में भाग लिया था।

निरीक्षण दल ने पाया कि RKTEWT के पशु केंद्र में ग्रेट गोल्डन एवं अन्य प्रसिद्ध सर्कसों से बचाए गए आठ घोड़े और ग्रेट गोल्डन सर्कस से ही बचाए गए 11 कुत्ते और 16 विदेशी पक्षी शोषणमुक्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

प्रदर्शन हेतु प्रयोग होने वाले पशुओं की सहायता करें