‘विश्व पशु दिवस’ के अवसर पर पुणे के एक स्कूल में पहली एनीमेट्रोनिक हथिनी ‘ऐली’ को लॉन्च किया गया जिसे मशहूर अभिनेत्री दीया मिर्ज़ा द्वारा अपनी आवाज़ दी गयी है

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4 October 2023

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Sanskriti Bansore; [email protected]

Meenakshi Narang; [email protected] 

पुणे – ‘विश्व पशु दिवस’ (4 अक्टूबर) के अवसर पर पुणे के सेंट मैरी स्कूल के छात्रों को ऐली नामक विशाल एनीमेट्रोनिक हथिनी से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ जिसे मशहूर अभिनेत्री दिया मिर्ज़ा ने अपनी आवाज़ दी गयी है। यह हथिनी पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा चलाए जा रहे बेहद प्रभावशाली बाल दयालुता अभियान का एक हिस्सा है। यह हथिनी बिल्कुल किसी असली हाथी की तरह अपनी आंखे झपकाते हुए और अपने कानों को फड़फड़ाते हुए स्कूली छात्रों को उन हाथियों की दर्दभरी दास्तां सुनाती है जिन्हें बहुत ही कम उम्र में जबरन अपने माताओं से अलग कर दिया जाता है और उन्हें क्रूर सर्कसों में विभिन्न प्रकार के शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ता है। ऐली की “व्यक्तिगत” कहानी का अंत बेहद सुखद है क्योंकि उसे रेसक्यू करके एक सेंचुरी में भेजा गया जहाँ वह अपना जीवन शांतिपूर्ण ढंग से व्यतीत कर रही है।

ऐली की पुणे लॉन्च की फोटो और वीडियो अनुरोध पर उपलब्ध हैं।

अभिनेत्री दीया मिर्जा ने ऐली को माह मई में पहली बार मुंबई के जमनाबाई नरसी इंटरनेशनल स्कूल में लॉन्च किया था। तब से, एली ने मुंबई के विभिन्न निजी, पब्लिक और अंतर्राष्ट्रीय स्कूलों में 27,000 से अधिक छात्रों से मुलाकात की है। अब वह पुणे के सेंट मैरी स्कूल, CP गोयनका इंटरनेशनल, बिलाबॉन्ग हाई इंटरनेशनल, लिटिल मिलेनियम, विक्टोरियस किड्स एजुकेरेस, भारती विद्यापीठ, सिद्धांत इंटरनेशनल और क्रिमसन अनीशा ग्लोबल जैसे प्रसिद्ध स्कूलों में हजारों बच्चों के साथ अपने विचार साझा करेंगी।

PETA इंडिया की सीनियर एजुकेशन कोऑर्डिनेटर मीनाक्षी नारंग ने कहा, “हाथी बुद्धिमान, सामाजिक और भावनात्मक जानवर होते हैं जिन्हें मारे-पीटे जाने, जबरन ज़ंजीरों में कैद किए जाने और मानव मनोरंजन हेतु प्रदर्शित करने के लिए मजबूर किए जाने पर बहुत पीड़ा होती है। ऐली और PETA इंडिया सभी से सर्कस या जानवरों का उपयोग करने वाले अन्य मनोरंजन साधनों का त्याग करने और हाथियों को उनके प्राकृतिक घरों में उनके परिवारों के साथ शांति से रहने देने प्रतिज्ञा करने का अनुरोध करता है।“

सर्कस, सवारी, शादियों, समारोहों और मनोरंजन के अन्य रूपों के लिए उपयोग किए जाने वाले बंदी हाथियों को करतब दिखाने के लिए मारा-पीटा जाता है और काम न होने पर ज़ंजीरों में कैद रखा जाता है। यह हाथी कैद की निराशा के कारण अक्सर मनुष्यों पर हमला करते हैं। उन्हें पर्याप्त भोजन, पानी, या पशु चिकित्सकीय देखभाल से वंचित रखा जाता है, और इन्हें कठोर सतहों पर एक जगह घंटों खड़े रहने के कारण पैरों से जुड़ी कई दर्दनाक बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिसमें गठिया जैसे हड्डी और जोड़ों के रोग शामिल हैं।

PETA इंडिया द्वारा “दयालु नागरिक” नामक एक मुफ्त मानवीय शिक्षा कार्यक्रम चलाया जाता है जिसका प्रमुख उद्देश्य 8 से 12 वर्ष की आयु के स्कूली छात्रों को जानवरों के प्रति संवेदनशील बनाना और उनकी मदद करने हेतु प्रेरित करना है। इसका उपयोग 2 लाख से अधिक स्कूलों द्वारा किया गया है और यह पूरे भारत में लगभग 92 मिलियन बच्चों तक पहुँच गया है।

ऐली 5 से 14 अक्टूबर तक पुणे के दौरे पर है। जो शिक्षक ऐली को अपने स्कूल आमंत्रित करना चाहते हैं वे मीनाक्षी नारंग को [email protected] पर ई-मेल करके संपर्क कर सकते हैं।

PETA इंडिया इस सिद्धान्त के तहत कार्य करता है कि, “जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान स्वयं को इस संसार में सर्वोपरि मानकर अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com  पर जाएँ और X (जिसे पहले Twitter के नाम से जाना जाता था), Facebook, व Instagram पर हमें फॉलो करें।

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