PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद, उत्तर प्रदेश वन विभाग ने तोतों को अवैध रूप से बंधी बनाने के लिए एक अपराधी के खिलाफ़ मामला दर्ज़ किया

Posted on by Erika Goyal

गन्ने का रस विक्रेता की दुकान पर भारतीय रिंग-नेक्ड (गले में धारी का निशान वाले) तौतों को छोटे और गंदे पिंजरों में रखे जाने के बारे में एक दयालु नागरिक से मिली जानकारी के बाद, PETA इंडिया ने कानपुर वन अधिकारियों के साथ मिलकर इन पक्षियों को बचाया और अवैध संरक्षक के खिलाफ एक प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (POR) दर्ज़ कराई।

यह POR वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 की धारा 9, 39 और 51 के तहत दर्ज की गयी है। इन तोतों के रेस्क्यू के बाद, इन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए भेजा गया और बाद इन्हें प्रकृति में छोड़ दिया गया। इन पक्षियों को वनजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 द्वारा संशोधित, WPA, 1972 की अनुसूची II के तहत संरक्षित प्रजाति का दर्ज़ा प्राप्त है। इस प्रजाति के पक्षियों को खरीदना, बेचना या पालना एक अपराध है, जिसके लिए 1 लाख रुपये तक के जुर्माने या तीन साल तक की जेल की सजा या दोनों का प्रावधान हैं।

पक्षियों के अवैध व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता है और हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है ताकि इन पक्षियों को “पालतू जीवों” के रूप में बेचा जा सके या फर्जी तौर पर, भाग्य-बताने वाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। नन्हे-नन्हे पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से जबरन उठा लिया जाता है जिस कारण अन्य पक्षी भी घबरा जाते हैं। इस दौरान जाल से निकलने का प्रयास करते हुए कई पक्षी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और अपनी जान भी गवां देते हैं। पकड़े गए पक्षियों को छोटे-छोटे पिंजरों में बंद किया जाता है, एवं अनुमानित तौर पर इनमें से 60% पक्षी टूटे हुए पंख और पैर एवं प्यास या अत्यधिक घबराहट के कारण रास्ते में ही मर जाते हैं। इसके बाद भी जो पक्षी बचा जाते हैं उन्हें अंधेरे पिंजरों की कैद और अकेले जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है और वह कुपोषण, मानसिक बीमारियों एवं तनाव का सामना करते हैं और दुर्व्यवहार से पीड़ित होते हैं।

पक्षियों को पिंजरों में कैद करना गलत है – इसके खिलाफ़ अभी कार्यवाही करें!