अवैध रूप से बिक्री किए गए नन्हें ऑरंगुटन (विदेशी प्रजाति का बंदर) की खबर देकर उसका रेसक्यू करवाने में मदद करने वाले को PETA इंडिया की ओर से एक लाख का इनाम

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24 August 2020

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Hiraj Laljani ; [email protected]

Monica Chopra;[email protected]

PETA समूह, मुंबई पुलिस एवं वन विभाग के साथ मिलकर लुप्तप्राय विदेशी जानवरों की तस्करी करने वाले गैंग को धर दबोचने का प्रयास कर रहा है।

मुंबई- विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिलने के बाद, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने अवैध रूप से बिक्री किए गए नन्हें ऑरंगुटन से संबन्धित अहम जानकारी देकर उसका रेसक्यू करवाने व अभियुक्तों को गिरफ्तार करवाने में मदद करने वाले शख्स को एक लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की है। महाराष्ट्र वन विभाग एवं PETA इंडिया द्वारा शिकायत दर्ज करवाने पर मुंबई पुलिस अपराधियों को पकड़ने एवं जानवर को बचाने हेतु कार्य कर रही है।

किसी भी व्यक्ति को अगर इस मामले में कोई जानकारी हो तो कृपया PETA इंडिया की हेल्पलाइन नंबर +91 9820122602 या फिर [email protected] पर ईमेल करके हमें तुरंत सूचना दें। जानकारी देने वाले की पहचान गुप्त राखी जाएगी।

दिनांक 7 जुलाई 2020 को PETA इंडिया के पशु चिकित्सक एवं वन विभाग की टीम के द्वारा अग्रिपाड़ा में एक संदिग्ध के घर की जांच करने से खुलासा हुआ की उनके घर पर एक ऑरंगुटन का एक बच्चा है लेकिन बाद में वह जानवर समेत फरार हो गए। PETA इंडिया को वहाँ पर ऑरंगुटन के बच्चे को रखे जाने की खबर एक परिवार से प्राप्त हुई जिसे कुछ समय के लिए नन्हें ऑरंगुटन को अपने घर पर रखने के लिए दिया गया था व उन्होने उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर उपलोड की थी। वन विभाग द्वारा की गयी जांच में पाया गया की ऑरंगुटन को उसके मूल देश से बिना आवश्यक अनुमति के अवैध तरीकों से भारत लाया गया है। दो देशों के बीच इस तरह से जानवरों को हस्तांतरित करने के लिए विदेश व्यापार के महासचिव से आयात परमिट, भारत सरकार की अनुमति, पशु संगरोध एवं प्रमाणन सेवा की ओर से जरूरी अनुमति तथा कस्टम विभाग से अनुमति लेना जरूरी होता है। PETA इंडिया ने वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के पास इस मामले की शिकायत दर्ज कारवाई है।

PETA इंडिया का उद्देश्य है कि राज्य एवं केंद्र सरकार के सहयोग से ऑरंगुटन के बच्चे का रेसक्यू करके उसे उसके मूल देश वापिस भिजवाकर किसी सेंक्चुरी में रखवा दिया जाये जहां वो अपनी प्रजाति के अन्य दोस्तों के बीच खुशहाल जिंदगी बिता सके।

PETA इंडिया की पशु चिकित्सा मैनेजर डॉ. रश्मि गोखले कहती हैं- “हम जनता से अनुरोध करते हैं कि इस मामले में यदि किसी को कुछ भी जानकारी हो तो तुरंत हमसे संपर्क करे ताकि नन्हें ऑरंगुटन को एक खिलौना या शो पीस बनने से बचाया जा सके। अपने प्रकर्तिक निवास जंगलों में यह जानवर एक डाली से दूसरी डाली पर उछलकूद मचाने एवं पूरे जंगल में खुलेआम घूमना पसंद करते हैं। इस तरह से पकड़कर इन्सानों के देखने के लिए लिए उन्हें छोटे पिंजरों में या कंक्रीट के बने पक्के स्थानों पर कैद कर दिया जाता है जिससे उनके पैर चोटिल हो जाते हैं। यह उनके प्रकर्तिक जीवन जैसा बिलकुल नहीं है”

ऑरंगुटन इन्डोनेशिया और मलेशिया की एक बंदर प्रजाति है जो ” लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतराष्ट्रीय व्यापार” के परिशिष्ठ 1 के तहत सूचीबद्ध है व इनका व्यापार प्रतिबंधित है। भारत में ऑरंगुटन के अवैध व्यापार से जुड़ी खबरे अक्सर आती रहती हैं।

वर्ष 2015, इससे पहले कि आंध्रप्रदेश पुलिस पश्चिम गोदावरी जिले में एलुरु के निकट अवैध रूप से लाये गए 2 ऑरंगुटन के तस्करों को गिरफ़्तार कर पाती वह सब तुरंत मौके से फरार हो गए। मलेशियन भाषा माले में “ऑरंगुटन” का शाब्दिक अर्थ होता है “जंगल का व्यक्ति”। बोर्नियो के जंगलों में वनमानुष अपना अधिकांश जीवन घने वर्षावनों में घूमने, झूलने और पेड़ों पर उछाल कूद मचाने में बिताते हैं। ऑरंगुटन बेहद समझदार मानसिकता के जानवर होते हैं वह पेड़ की शाखाओं एवं पत्तों से कई तरह के उपकरण बनाते हैं जैसे बारिश से बचने के लिए छाता व पानी पीने के लिए पेड़ के पत्तों से कप बनाना। यह जानवर अपनी गोपनीयता को महत्व देते हैं लेकिन इस तरह से कैद करके लाये जाने से व इन्सानों के देखने के लिए पिंजरों में रखे जाने से उनकी गोपनीयता समाप्त हो जाती है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “जानवर किसी भी तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की खुद को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानने वाली सोच है। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाईट PETAIndia.com. पर जाएँ।

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