JD इंस्टीट्यूट के छात्रों ने PETA इंडिया द्वारा “विश्व वीगन माह” के दौरान आयोजित टी-शर्ट डिज़ाइन प्रतियोगिता जीती

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29 November 2021

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दिल्ली- “विश्व वीगन माह” (नवम्बर) के दौरान PETA इंडिया द्वारा JD इंस्टीट्यूट ऑफ फ़ैशन टेक्नोलॉजी के छात्रों हेतु एनिमल-फ्रेंडली टी-शर्ट डिज़ाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया और PETA समूह द्वारा अपूर्वा राय, निकिता बोरह और स्मृति सिंह को विजेता चुना गया है। सभी विजेताओं द्वारा प्रेरणादायक टैगलाइंस के साथ आकर्षक डिज़ाइनों का निर्माण किया गया। इन सभी डिज़ाइनों को PETA इंडिया की ओर से Styched द्वारा छापा जाएगा और यह यहाँ बिक्री हेतु उपलब्ध हैं।

JD इंस्टीट्यूट ऑफ फ़ैशन टेक्नोलॉजी की मैनिजिंग डाइरेक्टर रूपल दलाल ने कहा, “एक शैक्षिक संस्थान होने के नाते, यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी में PETA से संबंधित मूल्यों को विकसित करें। एक शिक्षित और नैतिक रूप से जिम्मेदार पीढ़ी न केवल प्रगतिशील उद्योगों बल्कि व्यापक मानवीय आधार पर दयालु एवं सस्सटेनेबल भविष्य की नीव रखेगी। यह सिर्फ एक प्रतियोगिता न होकर दर्शकों के साथ-साथ प्रतिभागियों को पशु संरक्षण के संबंध में सूचित करने का एक माध्यम भी है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने से छात्रों को पशु अधिकारों के बारे में अधिक जानकारी और पशु हित में काम करने की प्रेरणा मिलेंगी।“

PETA इंडिया की सीनियर मीडिया एंड सेलेब्रिटी प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर मोनिका चोपड़ा ने कहा, “यह सभी युवा एवं प्रतिभावान डिज़ाइनर पशु अधिकारों के प्रति अत्यंत जागरूक हैं और फ़ैशन में इनका भविष्य बहुत उज्ज्वल है। हम इनके द्वारा डिजाइन की गयी दयालुता के संदेश भरी टी-शर्ट्स को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे।“

अपूर्वा राय की टी-शर्ट लोगों से मांस-मुक्त कपड़ों का विकल्प अपनाने का अनुरोध करती है क्योंकि PETA इंडिया ने खुलासा किया कि भारत में चमड़े हेतु मारे जाने वाली गायों को गाड़ियों में इस तरह से ठूस ठूसकर भरा जाता है किकत्ल्खनोन तक पहुँचने से पहले रास्ते में ही उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं या दम घुटने से उनकी मौत हो जाती है। सूअरों की छाती में छुरा घोंपा जाता है, और अन्य जानवरों के जिंदा रहते ही उनके गलों को चीरा जाता है।

निकिता बोरह की टी-शर्ट अनानास, केला, नारियल, कैक्टि और मशरूम जैसी विविध सामग्रियों से विकसित वीगन चमड़े का समर्थन करती है। स्मृति सिंह का डिज़ाइन भारत के उन लाखों कुत्तों की दुर्दशा पर प्रकाश डालता है जो सड़कों पर जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं या पशु आश्रयों में हैं और जिन्हें प्यार भरे घरों की जरूरत है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “जानवर हमारा वस्त्र बनने या दुर्व्यवहार सहने के लिए नही हैं” प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकी यह एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान इस दुनिया में स्वयं को सर्व शक्ति मानकर दूसरी अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ एवं हमें Twitter, Facebook, और Instagram पर फॉलो करें।

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