PETA इंडिया ने महाराष्ट्र एवं कर्नाटक सरकार से अनुरोध किया है कि मुर्गीपालन व्यवसाय में अनचाहे चूजों/मुर्गियों की क्रूर एवं गैरकानूनी हत्या पर रोक लगाई जाए!

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CORONA वायरस के चलते व्यावसायिक नुकसान की आशंका महाराष्ट्र में एक किसान द्वारा 2 लाख व कर्नाटक में एक किसान ने 16000 मुर्गियों को ज़िंदा दफ़ना दिये जाने की खबर मिलने के बाद पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने डेयरी और पशुपालन विभाग को तत्काल एक पत्र भेजकर इस तरह की क्रूर हत्याओं को रोकने के लिए निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है।

अनचाही मुर्गियों की हत्याओं हेतु केंद्र सरकार की सलाहकार संस्था भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड(AWBI) तथा विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन(OIE) द्वारा अनुशंसित विधियों का उपयोग करने का आग्रह किया है । विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन(OIE) दुनिया भर में पशु स्वास्थ्य सुधार के मुद्दे पर काम करने वाली, एक अंतर-सरकारी प्राधिकरण संस्था है जिसका भारत भी एक सदस्य है। इस संस्था का काम जानवरों की सामूहिक हत्या पर रोकथाम लगना व यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी जानवर को अनावश्यक पीड़ा, कष्ठ व तनाव न हो।

पक्षियों को ज़िंदा दफनाकर, दम घुटने से होने वाली धीमी मौत  इन पक्षियों को अनावश्यक पीड़ा एवं दर्द देती है। AWBI ने रोग नियंत्रण उद्देश्य से पशुओं की सामूहिक हत्या के लिए OIE द्वारा दिशानिर्देशों को अपनाने के संबंध में 2012 और 2014 में परामर्श जारी किए थे। भारतीय संविधान के अनुसार हर राज्य के लिए पशुपालन एक संवैधानिक मुद्दा है तथा भारत OIE का सदस्य होने के नाते,  यह सभी राज्य सरकारों का दायित्व बनता है कि, वह क्षेत्रीय पशु स्वास्थ्य कोड (Terrestrial Animal Health Code) के अध्याय 7.6 के तहत OIE दिशानिर्देशों का पालन करें। कोड यह कहा गया है कि जानवरों को इच्छामृत्यु दिये जाने की आवश्यकता पड़ने जैसे किन्ही प्राकृतिक आपदाओं के उपरान्त जानवरों को मारे जाने की आवश्यकता या फिर उनकी जनसँख्या नियंत्रित करने की दशा में कोड के इस अध्याय में बताए गए तरीकों  का पालन किया जाना चाहिए।

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