पटना में “बर्ड फ़्लू” के मद्देनज़र PETA इंडिया का ‘गो वीगन’ बिलबोर्ड अभियान

Posted on by Erika Goyal

देश अभी भी कोविड 19 के प्रभावों से जूझ रहा है जिसे माना जाता है की वह जीवित पशु मांस मंडियों से फैला था और अब एवियन एन्फ़्लुंजा भी मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा ख़तरा बन गया है। पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने इन्सानों एवं मुर्गियों की जान बचाने के लिए पटना में मुर्गियों की हत्या को दर्शाते बिलबोर्ड लगाकर लोगों को इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ़ जागरूक करते हुए मांस का त्याग करने की अपील की है।

Eastern Express Highway, Opposite Viviana Mall, Majiwada, Thane, Maharashtra 400606

जवाहर लाल नेहरू मार्ग, नया डाक बंगला सड़क, अदालत गंज, किदवईपुरी, पटना, बिहार 800001.

 

पिछले साल गुड़गाँव में H5N1 बर्ड फ़्लू के कारण एक 11 साल के बच्चे की मौत के बाद PETA इंडिया ने दिल्ली में जुनोटिक (जानवरों से उत्पन्न होने वाली) बीमारियों के बारे में चेतावनी देने वाले अलग अलग बिलबोर्ड्स लगवाए थे। PETA समूह का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को इस बारे में जागरूक करना है कि जुनोटिक बीमारियों को फैलाने के लिए यह पशु माँस मंडिया ही जिम्मेदार हैं इनमें H1N1 स्वाइन फ़्लू भी शामिल है और इन्सानों में इसका फैलाव सूअर पालन केन्द्रों से पनपे संक्रमण के संपर्क में आने से हुआ।

WHO के अनुसार, रोग ग्रस्त या मरे हुए मुर्गों की हेंडलिंग और अनुचित तरीकों से पकाए गए भोजन से H5N1 बर्ड फ़्लू संक्रामण का खतरा हो सकता है जो इसकी चपेट में आने वाले 60 प्रतिशत इन्सानों के लिए घातक है। PETA इंडिया यह भी संज्ञान लेता है कि जीवित पशुओं की इन गंदी मांस मंडियों में बीमार और रोगग्रस्त मुर्गों की बिक्री आम बात है।

वीगन भोजन न केवल संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने में मददगार है बल्कि यह हृदय रोग, मधुमेह व कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के खतरे को भी कम करता है। वीगन भोजन जानवरों को भी गहन पीड़ा सहने से बचाता है। वर्तमान समय के मांस, अंडा और डेयरी उद्योग में सैंकड़ों, हजारों एवं लाखों की तदात में जानवरों को बड़े बड़े गोदामों में तंग पिंजरों में कैद करके खा जाता है। सचेत अवस्था में होने के बावजूद मुर्गों की गर्दनें काट दी जाती हैं, बछड़ों को जबरन खींचकर उनकी माताओं से अलग कर दिया जाता है, छोटे सूअरों को बिना कोई दर्द निवारक दिये बधिया किया जाता हैं और मछलियों के  जिंदा रहते ही उनकी शरीर को काट दिया जाता है।

कोई अन्य महामारी ना आए इसलिए वीगन जीवनशैली अपनाएं