PETA इंडिया डायरेक्टर्स जनरल ऑफ पुलिस से आग्रह करता है कि घरेलू पशुओं को छोड़ देने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।

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COVID-19 महामारी के डर से कुत्तों और बिल्लियों का त्याग करने (छोड़ देने) की अनेकों घटनाएँ सामने आ रही हैं। इन्हीं के मद्देनजर PETA इंडिया ने देश भर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों को एक पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे घरेलू जानवरों को बेघर करने वालों तथा पशु बिक्री की दुकानों में पशुओं को भूखा प्यासा छोड़ने वाले दुकान मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। हाल ही में भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने भी जारी की गयी एक एडवाईजरी में इसी तरह का अनुरोध किया है।

Picture Courtesy: Anipixels.comविश्व पशु स्वास्थ्य संगठन का कहना है, “मौजूदा वायरस COVID 19 के फैलने का मुख्य कारण मनुष्य का मनुष्य से संपर्क में आना है। आज तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि घरेलू या सामुदायिक पशु इस बीमारी के प्रसार हेतु जिम्मेदार हों। इसलिए इस वायरस से संबन्धित, घरेलू जानवरों के कल्याण के साथ समझौता करते हुए उनके खिलाफ किसी तरह के उपाय करने का कोई औचित्य नहीं है।

PETA इंडिया ने अपने पत्र में बताया कि 11 मार्च को जारी एक एडवाईजरी में AWBI ने स्वीकार किया कि कुछ लोग अपने घरेलू पशुओं को बिना भोजन और पानी के सड़कों पर छोड़ रहे हैं जिसके लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कानून-प्रवर्तन अधिकारियों से ऐसा अपराध करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। 23 मार्च को जारी एक अन्य एडवाईजरी के माध्यम से, AWBI ने अनुरोध किया कि कानून-प्रवर्तन प्राधिकरण यह सुनिश्चित करें कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी जानवर भूखा न रहे। 24 मार्च को, बोर्ड ने यह भी सलाह दी कि पशु बिक्री करने वाली ऐसी दुकानों को चिन्हित किया जाए जहाँ पशुओं को पर्याप्त भोजन, पानी या वेंटिलेशन के बिना अंदर बंद कर दिया गया हो और ऐसी स्थितियों में फँसे जानवरों को बचाया तुरंत बचाया जाए।

हाल ही में एक आदेश के माध्यम से, कर्नाटक के उच्च न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और प्रशासन को निर्देश दिया है कि पुलिस की मदद से घरेलू पशुओं की बिक्री करने वाली सभी दुकानों को खुलवाया जाए ताकि अंदर बंद जानवरों को भोजन और अन्य आवश्यक दवाएं मिल सकें। 7 मई 2014 के फैसले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि द प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स (PCA) अधिनियम, 1960 के प्रावधानों को लागू करना सरकार का कर्तव्य है।

PCA अधिनियम, 1960 की धारा 3 और 11 के तहत, अभिभावक अगर पशु को पर्याप्त भोजन, पानी, या आश्रय प्रदान करने में विफल हो जाये या भूख और प्यास से पीड़ित होने के लिए पशु को छोड़ दे तो यह दंडनीय अपराध है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 289 के तहत, “एक जानवर के संबंध में लापरवाही पूर्ण आचरण” एक अपराध है, जिसमें छह महीने तक का कारावास, 1,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है। IPC की धारा 429 के तहत, जानवरों को मार डालना यह कानून का उल्लंघन है जिसके लिए पांच साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। और घरेलू पशुओं की बिक्री करने वाले अगर दुकानों में पशुओं को भूखा प्यासा मरने के लिए छोड़ दें तो यह नियम उन दुकान मालिकों पर भी लागू होता है।

यदि आप किसी व्यक्ति को COVID-19 महामारी के दौरान कुत्ते या बिल्ली के साथ क्रूरता करते हुए देखें  तो कृपया यह कदम उठाएँ।

अतिरिक्त मदद के लिए, PETA इंडिया के आपातकालीन नंबर (+91 9820122602) पर कॉल करें।