PETA इंडिया की अपील के बाद, महाराष्ट सरकार ने शीशे का लेप चड़े एवं अन्य सभी तरह के तीखे माँझे के इस्तेमाल पर रोक लगाई

Posted on by Shreya Manocha

PETA इंडिया की ओर से पतंगबाजी के दौरान इस्तेमाल होने वाले घातक माँझे से इन्सानों एवं पक्षियों की मौतों का मुद्दा उठाने के बाद, महाराष्ट्र पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA), 1986 की धारा 5 के तहत अधिसूचना जारी कर नायलॉन की डोर (जिसे ‘चीनी माँझे’ की रूप में भी जाना जाता है) के साथ साथ काँच या पदार्थों का लेप चड़े तीखे माँझे के निर्माण, आयात, परिवहन, भंडारण, बिक्री, उपयोग एवं निपटान पर रोक लगा दी है। यह प्रतिबंध पक्षियों, मनुष्यों एवं एवं जानवरों के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा का मद्देनज़र जारी किया गया है। अब पतंगबाजी के लिए केवल ऐसे सूती धागे का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसको तीखा बनाने के लिए उस पर किसी भी पदार्थ का लेप न चड़ा हो।

सरकार द्वारा जारी यह आधीसूचना में शीशे व अन्य पदार्थों के लेप चड़े घातक माँझे के इस्तेमाल को मनुष्यों एवं पशु पक्षियों को जानलेवा बताया गया है, शहर में बिजली गुल होने का एक कारण भी माँझा है, एक बिजली की लाइन में व्यवधान डालने से 10,000 लोग प्रभावित होते हैं। बेघर जानवर भोजन की तलाश में भोजन के साथ साथ ऐसे धागे (मांझे) भी निगल जाते हैं जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और त्रिपुरा की सरकारे पहले से ही माँझे के इस्तेमाल के संबंध में इसी तरह की अधिसूचनाएं जारी कर चुकी हैं।

काँच पाउडर, मेटल एवं अन्य तीखे लेप चड़ा घातक माँझा इन्सानों, पक्षियों, अन्य जानवरों एवं पर्यावरण के लिए खतरनाक है इसकी चपेट में आने से हर साल अनेकों इन्सान चोटिल होते हैं व मौत का शिकार भी होते हैं। हाल ही में, मुंबई में कार की सनरूफ से बाहर झाँकने पर एक आठ वर्ष के बच्चे की गर्दन खुले माँझे में फसने से उसकी मौत हो गयी थी। मुंबई में ही एक अन्य दुर्घटना में एक मोटरसाईकल सवार माँझे की चपेट में आ जाने से बुरी तरह जख्मी हो गया हालांकि सिर पर सुरक्षित हेलमेट, बालाक्लावा, और हाथों के दस्ताने भी उसे इस जानलेवा माँझे से चोटिल होने से नहीं बचा सके और माँझे ने उसके हेलमेट के खुले वाईजर के बीच से चेहरे को चीर दिया। पुणे में माँझे की चपेट में आने से दो पुलिस कर्मी जख्मी हो गए थे। नागपुर में घाटी माँझे की एक अन्य घटना में एक सात वर्ष का बच्चा कार की सनरूफ से बाहर झाँकने बच्चे की गर्दन खुले माँझे में फसने से उसकी गर्दन एवं आँखों पर गंभीर छोटे आई।

इस घातक माँझे का पक्षियों की आबादी पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। माँझे की चपेट में आने से अक्सर पक्षियों के पंख व पैर कट जाते हैं क्यूंकी वह उसमे से निकालने का तेज़ी से प्रयास करते हैं जिसके चलते तीखा माँझा उनके पैर काट देता है  व वह अक्सर ऐसे गंभीर घावों एवं जख्मों के शिकार होते हैं की बचावकर्ता भी उनकी मदद नहीं कर पाते और उनकी दर्दनाक मौतें हो जाती हैं।

माँझे को ना कहें और सभी प्राणियों की मदद हेतु माँझे को ना कहें