PETA अमेरिका के खरगोश की पहल पर EPA द्वारा जीवों पर किए जा रहे प्रयोगों को बंद करने की शुरुवात कैसे हुई

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दिनांक 10 सितंबर को अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण संस्था ने वर्ष 2035 तक स्तनधारी जीव जंतुओं पर फंडिंग एवं परीक्षण के अनुरोध पर रोक लगाने की घोषणा की। PETA अमेरिका के 20 सालों तक किए गए प्रयास के उपरांत यह शानदार खबर सामने आई। PETA अमेरिका ने पर्यावरण संरक्षण संस्थान से लगातार अनुरोध किया था कि वो जीवों पर किए जाने वाले भयानक प्रयोग जैसे जीवों के शरीर पर अथवा आँखों में जाँचे जाने वाले पदार्थ डालना, उन्हें कीटनाशक खिलाना, तथा जबरन जहरीले रसायनों को सूंघना जैसे क्रूर प्रयोग शामिल हैं।

PETA अमेरिका की रेग्युलेटरी टेस्टिंग डायरेक्टर डॉ. एमी क्लिपनर तथा अमेरिका पर्यावरण संरक्षण संस्थान ने एकसाथ इस बड़े लक्ष्य को हंसिल करने के लिए लघु कालीन लक्ष्यों की सहमति वाले एतिहासिक करार पर हस्ताक्षर किया। इसके तहत पशुओं पर होने वाले प्रयोगोंको वर्ष 2025 तक 30% तक कम किया जाएगा तथा 42 लाख 50 हज़ार डॉलर के अनुदान की मदद से शोधकर्ताओं को उपलब्ध कराया जाएगा जो गैर पशु प्रयुक्त प्रयोग तकनीकों को विकसित करने पर जांच कर रहे हैं। वह एक ऐसे परिवर्तन की बीड़ा उठा रहा है जिसे PETA इंडिया एवं हमारे अंतराष्ट्रीय सहयोगियों ने इसे हांसिल किया है व इसके लिए प्रयास किया है।

वर्ष 1998 से लेकर अब तक हमने काफी कुछ हांसिल किया है। शुरू में EPA यह कर हमारे प्रस्ताव को खारिज कर देता था कि किसी पशु अधिकारों पर काम करने वाली संस्था को इस मुद्दे पर हितधारक नहीं होना चाहिए। लेकिन वास्तव में यह बदलाव PETA अमेरिका के उस विशालकाय खरगोश “गोरे” के प्रदर्शन से शुरू हुआ जिसके शरीर पर खुले जख्म व जहरीले पदार्थों की जलन के निशान थे वा बाद में इस अभियान को राष्ट्रपति पद के उम्मेदवार “अल गोर” तक ले जाया गया क्यूंकि वो EPA के उच्च मात्रा में होने वाले रसायनिक प्रयोग के जिम्मेदार थे और यह अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा रसायनिक प्रयोग कार्यक्रम माना जाता था। जीवों पर होने वाले प्रयोगों के खिलाफ दबाव बनाने में नेशनल अकाडमी ऑफ साईन्सेज़ की रिपोर्ट ”21वी सदी में विषाक्तता परीक्षण- एक दृष्टिकोण एवं रणनीति” ने महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमे पशुओं पर रसायनिक प्रयोग किए जाने की बजाय आधुनिक तकनीकों से होने वाले  वैकल्पिक प्रयोगों को अपनाने की पैरवी की गयी थी। PETA अमेरिका की मदद से “Frank R लुटेनबर्ग- 21वी सदी  रसायनिक प्रयोग अधिनियम” में परिवर्तन से EPA पशुओं पर होने वाले अन्य प्रयोगों पर भी रोक लगाएगा तथा पशुओं के इस्तेमाल की बजाय प्रयोगों हेतु गैर पशु प्रयुक्त आधुनिक तकनीके विकसित करेगा।

PETA अमेरिका द्वारा कई वर्षो तक किए गए प्रयासों, प्रदर्शनों, वैज्ञानिक तर्कों, संयुक्त परियोजनाओं तथा उच्च स्तर पर की गयी बैठकों के उपरांत यह नतीजे सामने आए है की EPA ने स्वयं इस प्रकार की रोक की घोषणा की व आज हर तरफ इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है व समस्त वैज्ञानिक, PETA अंतराष्ट्रीय विज्ञान संघ, तथा EPA जो सब गैर पशु आधारित तकनीकों को खोजने पर कई सारे कार्यक्रम एवं अभियानों में मिलकर काम कर रहे हैं सब इस बात का समर्थन करते हैं की गैर पशु आधारित तकनीके ही बेहतर हैं। इन परियोजनाओं में गैर-पशु विषाक्तता परीक्षण पर मुफ्त वेबिनार श्रृंखला की सह-मेजबानी और कीटनाशक परीक्षणों और साँस लेने के अध्ययन में जानवरों के उपयोग पर सह-लेखन प्रकाशन शामिल हैं।

EPA का ऐतिहासिक निर्णय डच सरकार की एक घोषणा का अनुसरण करता है कि यह 2025 तक कई प्रकार के जानवरों के परीक्षण को समाप्त कर देगा। ये परिवर्तन दुनिया भर में जानवरों पर नियामक विषाक्तता परीक्षण के लिए एक सकारात्मक संकेत है और एक नए युग की शुरुआत है जिसमें विषाक्तता परीक्षण, पशु पीड़ा में योगदान किए बिना मनुष्यों एवं पर्यावरण की बेहतर रक्षा करते हैं।

पशुओं पर होने वाले प्रयोगों को रोकने हेतु डोनेशन प्रदान करें