CORONA वायरस वैक्सीन: अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, अनावश्यक पशु परीक्षण नहीं करना चाहते

Posted on by PETA

PETA  इंडिया और  हमारे सहयोगी, वर्षों से कहते रहे हैं कि, जानवरों पर प्रयोग करने का कोई औचित्य नहीं है। वह इंसानी रोग के उपचार और इलाज हेतु की जाने वाली खोज को धीमा कर देते हैं। साथ ही साथ, इस तरह के परीक्षण करने के लिए जानवरों पर ज़हर का इस्तेमाल करना, करंट देना, जलाकर मारना यह सब क्रूर और अनैतिक तरीक़े हैं। बहुत से अन्य वैज्ञानिक और विशेषज्ञ भी इस बात से सहमत हैं लेकिन अब बात नए CORONA वायरस वैक्सीन की आयी है तो US के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) आखिरकार PETA  के सिद्धांतों पर ध्यान दे रहे हैं। जानकारी के अनुसार, अब एजेंसी CORONA वैक्सीन बनाने हेतु पशु परीक्षण की लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहती इसके बजाय वे सीधे मानव परिक्षण करने का विचार कर रहे हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि, अब से जानवरों पर परिक्षण करना बंद हो जायेगा, इस परिक्षण को एक उदाहरण की तरह मानकर अब से आगे मानव परिक्षण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

अमेरिका में, 45 स्वस्थ व इच्छुक स्वयंसेवकों ने US NIH द्वारा वित्त पोषित एक वैक्सीन के पहले मानव परीक्षण में भाग लेने के लिए सहमति व्यक्त की है, जो COVID -19, द नॉवेल, SARS जैसे CORONA वायरस के खिलाफ रक्षा कर सकता है।

चूहे और अन्य जानवरों को प्रयोगों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

इंसानो की तरह, जानवर इस तरह के प्रयोग में शामिल होने के लिए असहमति नहीं जता सकते। और  अगर वह ऐसा कर सकते, तो ऐसे प्रयोगों के लिए वह दर्दनाक और घातक बीमारियों से संक्रमित होने, जहर खाने, करंट सहने, अंग विच्छेदन करवाने, जलने, नशीली दवाइयां खाने व अंततः मारे जाने के लिए कभी भी सहमति नहीं जताते।

सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के चलते जल्द वैक्सीन तैयार करने हेतु जानवरों पर परीक्षण न करने का फैसला स्थायी होना चाहिए क्यूंकी यह परीक्षण जानवरों को दर्द, अकेलापन काष्ठभरा अनुभव प्रदान करता है।

PETA के अन्य सहयोगी, प्रयोगों में जानवरों के इस्तेमाल को उजागर करने और समाप्त करने के लिए विश्व स्तर पर काम करते हैं। पशुओं पर परीक्षण को समाप्त कर उनकी जगह पर आधुनिक तकनीके गैर-पशु प्रयुक्त पदतियों को अपनाने हेतु अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी व कई विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कम कर रहे हैं।  अपने सदस्यों और समर्थकों की मदद से, हम भविष्य के लिए रास्ता तय कर रहे हैं – जिसमें जानवरों पर क्रूर, पुरातन पद्धति के परीक्षण शामिल नहीं होंगे।

हम यह आंशिक रूप से करते हैं क्योंकि जानवरों पर प्रयोग करना केवल क्रूर और महंगा ही नहीं बल्कि इससे मिलने वाले निष्कर्ष मनुष्यों के लिए अनुचित भी नहीं होते।

US NIH खुद बताता है कि, जानवरों पर किये जाने वाले प्रयोग गैर पशु परीक्षण की तुलना में अधिक महंगे व समय लेने वाले होते हैं और विशेषज्ञ भी यह बात जानते हैं। बिना पशु परिक्षण किये, CORONA वायरस पर  वैक्सीन बनाने का प्रयोग करने वाली मॉडर्न थैरेप्यूटिक्स कंपनी यह कहती है कि, “इस वैक्सीन को एक परीक्षण एवं सत्यापन की प्रक्रिया से ही बनाया गया है।”

सभी टीके, दवाएं व उपचार इसी तरह से पशुओं पर बिना प्रयोग करके ही “परीक्षण एवं सत्यापन” की प्रक्रिया से बनाए जाने चाहिए। यदि आप हमसे सहमत हैं तो निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। NIH की  प्रयोगकर्ता Elisabeth Murray के “मंकी फ़्राइट” जैसे प्रयोगों को रोकने में मदद करें।

जानवरों की भलाई के लिए NIH से अनुरोध करें