बंदी हाथियों को आज़ाद करने की जरूरत है, उनका शोषण करने की नहीं

Posted on by Dayan Concessao

हाथियों के प्रति अब उदार दृष्टिकोण विकसित हो रहे हैं. सरकारें, व्यवसाय, और जनता यह महसूस कर रही हैं कि यह भव्य जानवर संरक्षण और सम्मान के हकदार हैं, न कि कारावास और क्रूरता के। 100 से अधिक ट्रैवल कंपनियाँ जो ट्रैवल प्लान बनाती हैं, ने ट्रेवल प्लान के दौरान बंदी हाथियों के आकर्षण को बढ़ावा देना बंद कर दिया है.

हालांकि, केरल वन और वन्यजीव विभाग ने हाथियों पर क्रूर परीक्षण करने के लिए एक समिति नियुक्त की है, जो प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल होने वाले हाथियों को 75 फीट दूर से नियंत्रित करने के लिए बनाए गए एक नए यातना उपकरण का परीक्षण करेगी. यह समिति, केरल के त्रिशूर में 10 नर हाथियों पर इसका परीक्षण करेगी. यह अजीब तरह की क्रूर मशीन एक रिमोट-नियंत्रित नायलॉन बेल्ट से जुड़ी हुई है जो एक बटन दबाने पर हाथी के पैरों के चारों ओर कस जाती है और जानवर को मजबूती से जकड़ लेती है. यह बर्बर परीक्षण एक संरक्षित वन्य जीव के लिए जबरदस्त तनाव का कारण होगा. यह बहुत घटिया किस्म का परीक्षण है और इस पर तत्काल रूप से रोक लगाने की आवश्यकता है।

इन क्रूर परीक्षणों का स्थान विशेष रूप से परेशान करने वाला है, क्योंकि केरल का त्रिशूर पूरम त्योहार पहले से ही हाथियों के लिए बहुत दर्दनाक है। PETA इंडिया ने अपनी जांच में पाया है कि इस त्योहार में भाग लेने की वजह से अनेकों हाथी आंशिक अंधेपन, चोटों, दर्दनाक फोड़ों एवं लंगड़ेपन का शिकार हो चुके हैं। महावत उन्हें क्रूर हथियारों से पीटते हैं, उन्हें ढोल और आतिशबाजी के शोर शराबे के बीच रखते हैं, उन्हें पीने के पानी एवं छाया से वंचित रखते हुए गर्म तारकोल वाली सड़कों पर खड़े रहने और चलने के लिए मजबूर किया जाता है। कई हाथियों को भारी जंजीरों से जकड़ा गया था, जिससे यह ठीक से हिल डुल तक नहीं पा रहे थे। इतना ही नहीं, केरल में इन 134 हाथियों के स्वामित्व प्रमाण पत्र भी अमान्य मिले।

जानवरों को बंदी बनाकर उनका उत्पीड़न करने वाले आमतौर पर धार्मिक जुलूसों, त्योहारों, हाथी सवारियों और अन्य प्रदर्शनों में उनका इस्तेमाल करते हैं। महावत हाथियों को जबरन सवारियां देने के लिए हाथियों को लोहे और लकड़ी से बने भालों, नुकीली जंजीरों, और अंकुश (एक तेज धातु के हुक वाली रॉड) से पिटते हैं. इतना ही नहीं, उनके संवेदनशील कानों उनके दातों में भी छेद कर देते हैं. मंदिरों में बंदी बनाकर रखे गए हाथियों को भी हिंसा से नियंत्रित किया जाता है. उन्हें अपर्याप्त भोजन देकर एवं पशु चिकित्सा देखभाल से वंचित रखा जाता है. उनकी अप्राकृतिक सी हरकतों, चाल-ढ़ाल व सिर को गोल गोल घूमने jऐसी हरकतों से पता लगता है कि वो गंभीर मनोवैज्ञानिक संकट से पीड़ित हैं। बंदी हाथी लगातार बेड़ियों में जकड़े होने और कठोर जगहों पर खड़े रहने की वजह से आमतौर पर पैर की समस्याओं और जोड़ों की सूजन से पीड़ित होते हैं. इन दर्दनाक पीड़ाओं के चलते वे समय से पहले ही मर जाते हैं.

PETAइंडिया के “बैन ऑल एलीफेंट परफॉरमेंस (हाथियों से जुड़े सभी प्रदर्शनों पर पांबदी)” एक्शन अलर्ट पर हस्ताक्षर करके आज हमारे राष्ट्रीय धरोहर जानवर पर अत्याचार करने और उसे अपमानित करने के खिलाफ आवाज उठाएँ। आप इनको बंदी बनाने वालों का बहिष्कार कर हाथियों की मदद भी कर सकते हैं. आप ऐसे सर्कस, त्योहारों, चिड़ियाघरों, हाथी सवारी या किसी भी अन्य प्रतिष्ठानों की टिकटें न खरीदें जहां हाथियों का शोषण होता है।

हाथियों को इन क्रूर यातनाओं से बचाने में मदद करें