जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान लेखिका शोभा डे ने राजस्थान सरकार से हाथी की सवारी पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया

Posted on by Erika Goyal

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान, प्रसिद्ध लेखिका शोभा डे ने  PETA इंडिया की ओर से एक पत्र लिखकर राजस्थान के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री हेमाराम चौधरी जी से आमेर के किले में क्रूर हाथी की सवारी को समाप्त कर हाथियों को पुनर्वास हेतु अभयारण्य में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया जहाँ यह बिना जंजीरों के एक-दूसरे के साथ स्वतंत्रतापूर्ण जीवन व्यतीत कर सके।

डे ने अपने पत्र में लिखा है, “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” द्वारा “प्रोजेक्ट एलिफ़ेंट” के तहत गठित कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में हाथियों की बढ़ती उम्र एवं पर्यटकों की घटती रुचि के मद्देनज़र आमेर के किले में हाथी सवारी को समाप्त करने का सुझाव दिया है। मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि कृपया किले में हाथी सवारी को बिजली या बैटरी से चलने वाले वाहनों या अन्य पशु-मुक्त वाहनों से बदलने का निर्देश दें।“

फरवरी 2021 में, केन्द्र सरकार गठित कमेटी द्वारा दिए गए सुझावों और PETA इंडिया द्वारा कमेटी रिपोर्ट को लागू करने के अनुरोध के बाद राजस्थान वन विभाग ने “पुरातत्व और संग्रहालय विभाग” को आमेर के किले पर पर्यटन सवारी हेतु इस्तेमाल हो रहे 20 बीमार हाथियों को काम से हटाने का आदेश दिया था। अन्य 16 अवस्थ हाथियों में से 14 हाथी दृष्ठि रोग एवं पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित हैं जिनमें बढ़े हुए नाखून, कटे फटे तलवे और पथरीली सड़कों पर चलने के कारण पैरों में बन चुके जख्म शामिल हैं। लेकिन इन सब गंभीर समस्याओं के बावजूद इनका प्रयोग पर्यटकों को सवारी कराने हेतु किया जा रहा है। संबंधित समिति की जांच रिपोर्ट आने से पहले ही एक हाथी की मौत हो गई थी।

कैदी हाथियों (जिनमें आमेर के किले में सवारी हेतु ज़बरन इस्तेमाल होने वाले हाथी शामिल हैं) को अक्सर मारा-पीटा जाता है, पर्याप्त भोजन-पानी व चिकित्सा से वंचित रखा जाता है और कैद में लंबे समय तक कंक्रीट या सख़्त फ़र्श पर बंधे होने से उनके पैरों में गठिये जैसी दर्दनाक बीमारियां हो जाती है। कैद के कारण कई हाथियों को गंभीर मानसिक बीमारियां जो जाती है जिससे इन निर्दोषों की अक्सर समय से पहले मृत्यु हो जाती है।

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