PETA इंडिया की शिकायत के परिणामस्वरूप, तोते का शोषण करने वालों के खिलाफ़ 40,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया और पक्षी को बचाया गया

Posted on by Erika Goyal

एक दयालु नागरिक की सूचना पर कार्रवाई करते हुए, PETA इंडिया ने एक भारतीय तोते को बचाने के लिए आगरा वन विभाग के प्रभागीय वन अधिकारी के साथ मिलकर कार्य किया। इस प्रजाति का तोता वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (WPA), 1972 (2022 में संशोधित) की अनुसूची II के तहत संरक्षित प्रजाति है और इसे आगरा के ताज नगरी फेस 2 इलाके में एक परिवार द्वारा अवैध रूप से कैद करके प्रताड़ित किया जा रहा था। PETA इंडिया के साथ गोपनीय रूप से साझा किए गए वीडियो साक्ष्य में देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति पिंजरे के अंदर बंद पक्षी के ऊपर जूता फेंक रहा है और एक महिला पक्षी को अपने हाथ में कसकर पकड़ने के बाद उसे बार-बार थप्पड़ मार रही है। इस मामले में, WPA की धारा 51 के तहत अपराधियों पर 40,000 रुपये का भारी जुर्माना लगाया गया है, और बचाए गए तोते की पशु चिकित्सकीय जांच के बाद उसे उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया है। इस प्रजाति के तोते अधिनियम की अनुसूची II के तहत संरक्षित हैं, और उन्हें कैद में रखने के खिलाफ़ 1 लाख रुपये तक के जुर्माने या तीन साल तक की जेल या दोनों का प्रावधान है।

अवैध पक्षी व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता है और हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है ताकि इन पक्षियों को “पालतू जानवर” के रूप में बेचा जा सके या फर्जी तौर पर, भाग्य-बताने वाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। नन्हे-नन्हे पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से जबरन उठा लिया जाता है जिस कारण अन्य पक्षी भी घबरा जाते हैं। इस दौरान जाल से निकलने का प्रयास करते हुए कई पक्षी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और अपनी जान भी गवां देते हैं। पकड़े गए पक्षियों को छोटे-छोटे बक्सों में बंद किया जाता है, एवं अनुमानित तौर पर इनमें से 60% पक्षी टूटे हुए पंख और पैर एवं प्यास या अत्यधिक घबराहट के कारण रास्ते में ही मर जाते हैं। इसके बाद भी जो पक्षी बचा जाते हैं उन्हें एक अंधकारमय और अकेले जीवन का सामना करना पड़ता है और वह कुपोषण, मानसिक बीमारियों एवं तनाव का सामना करते हैं और दुर्व्यवहार से पीड़ित होते हैं।

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