दिल्ली का प्रदूषण पशुओं के लिए भी खतरनाक है- PETA इंडिया की ओर से बचाव हेतु कुछ जरूरी सुझाव

Posted on by Krithika Pradeep

वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) के अनुसार दिल्ली का प्रदूषण खतरनाक से भी ऊंचे स्तर पर पहुँच चुका है, इसलिए PETA इंडिया ने  घरेलू, माल ढुलाई व सामुदायिक पशुओं की जीवन सुरक्षा एवं बचाव हेतु बिन्दुवार तरीकों से कुछ महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं । इन सुझावों पर अमल करके आप अपने पशुओं को अस्थमा व ब्रोंकाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियों से बचा सकते हैं :

साथी घरेलू पशुओं हेतु :

  • उन्हें घर के अंदर रखें : जितना संभव हो घरेलू पशुओं को घर के अंदर ही रखें व घर की खिड़कियाँ दरवाजे भी बंद रखें।
  • हवा को फ़िल्टर करें : घर के अंदर शुद्ध हवा के लिए एयर कंडीशनर या फिर एयर प्यूरिफायर लगाएँ।
  • लंबी सैर से बचें : इस समय कुत्तों को कम व छोटी सैर ही कराएं व लंबे समय तक किए जाने वाले व्यायाम न करवाएँ।
  • अधिक पानी पिलाएँ : सुनिश्चित करें की आपका घरेलू पशु अधिक से अधिक मात्रा में पानी पी रहा है। उनके पानी वाले बर्तन में हमेशा पानी भरा रहना चाहिए।

माल ढुलाई वाले पशुओं हेतु :

  • सूखा भोजन न दें : ध्यान दें की ऐसा भोजन न दिया जाए जिससे भोजन के साथ उनकी सांस में धूल के कण जाएँ। खासकर जब पशुओं के मुंह पर भोजन वाला थैला बांध कर उनको भोजन कराया जाता है।
  • PETA इंडिया द्वारा संचालित दिल्ली मशीनीकरण परियोजना का समर्थन करें- इस परियोजना के तहत अत्यधिक काम एवं अत्याचार के शिकार पशु जैसे घोड़े, बैल, गधे एवं खच्चरों के मालिकों को आय के बेहतर स्रोत के रूप में उनके पशुओं के बदले बैट्री चलित ई-रिक्शा प्रदान किया जाता है व इन पशुओं को काम से मुक्त करवाकर बाकी का जीवन आराम से जीने हेतु पुनर्वास केन्द्रों में भेज दिया जाता है।

सामुदायिक पशुओं के लिए :

सतर्क रहें व किसी पशु की जिंदगी बचाएं- बाहर सड़कों पर एवं बेघर घूम रहे पशुओं पर नजर रखें। ध्यान दें की उनको पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी एवं रहने के लिए कोई सुरक्षित स्थान मिल रहा है। यदि आप किसी पशु को संकट में फसा पायें तो तुरंत PETA इंडिया के एमरजेंसी नंबर (0) 98201 22602 पर कॉल करके आवश्यक परामर्श प्राप्त करें। जब तक उस पशु के लिए कोई मदद नहीं पहुँच जाती कृपया उसे अकेला ना छोड़ें व उसके साथ वहीं रुके रहें।  

चूंकि हर समय जानवरों को घर के अंदर रखना संभव नहीं होता है, इसलिए खराब स्वास्थ्य के इन शुरुआती लक्षणों को देखें और प्रभावित पशु को निकटतम पशु चिकित्सक के पास ले जाएं:

  • खुले मुंह से सांस लेना
  • उल्टी या भूख न लगना
  • असामान्य या अत्यधिक खांसी या छींक आना
  • आंखों, मुंह या त्वचा में सूजन
  • आंखों या नाक से किसी भी तरह का पदार्थ निकलना
  • कमज़ोरी या सुस्ती
  • अनियंत्रित तरीके से चलना या खड़े होने में असमर्थता
  • लार (थूक) बहना

उच्च वायु प्रदूषण के कारण पशु गंभीर श्वसन समस्याओं से पीड़ित होते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि घरेलू पशु जब बाहरी वातावरण के संपर्क में आते हैं तो धीरे- धीरे समय के साथ उनमे ट्यूमर होने का खतरा बढ़ जाता है और इसमे कोई संदेह नहीं कि बेघर पशु जैसे कुत्ते, बिल्लियाँ व बंदर जो हमेशा बाहरी वातावरण के संपर्क में रहते व सोते हैं, व प्रदूषित वायु के कारण इन पशुओं में भी इस बीमारी का शिकार होने का खतरा बना रहता है। कामगार पशु जैसे बैल, गधा, घोड़ा, ऊँट और अन्य प्रजातियाँ भी वायु प्रदूषण से अत्यधिक प्रभावित होते हैं, क्योंकि वह दिन भर सड़क पर रहते हैं व आसपास के वाहनों से निकलने वाले प्रदूषित धुवे में सांस लेते हैं। हवा में पाये जाने वाले यह प्रदूषित तत्व पशुओं में कार्डियक अरेस्ट हेतु जिम्मेदार होते हैं, व कई बार पशु चिकित्सक कार्डियक अरेस्ट के कारण मरने वाले पशुओं की मौत का कारण वायु प्रदूषण के प्रभावों को मानते हैं।

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