PETA साईन्स समूह के आर्थिक सहयोग से, पहला गैर पशु 3-D वायुकोशीय (3-D Lung Alveolar) मॉडल तैयार

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25 March 2020

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 मैट टेक लाईफ़ साइंस ने “ह्यूमन लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट” का मॉडल लॉंच किया

दिल्ली – भारत और दुनिया भर के शोधकर्ता अब फेफड़ों के अंदरूनी भागो पर रसायनों और अन्य पदार्थों के प्रभावों का अध्ययन करने हेतु मानव-आधारित वायुकोशीय मॉडल खरीद सकेंगे व इस तरह के परीक्षणों हेतु जबरन इस्तेमाल किए जा रहे पशुओं को क्रूर परीक्षणों से बचाया जा सकेगा।

PETA इंटरनेशनल साइंस कन्सोर्शियम लिमिटेड, जिसमें PETA इंडिया के वैज्ञानिक भी शामिल हैं, ने “मैट टेक लाइफ साइंसेज” को आर्थिक सहायता प्रदान कर “EpiAlveolar” नामक शोध तकनीक विकसित करने को कहा था जो की मानवीय शरीर में अंदरूनी श्वसन कोशिकाओं का अध्ययन करने के 3 डी तकनीक है। इस माडल के माध्यम से अंदरूनी टिश्यू को बाहर परीक्षण सामग्री के संपर्क में लाया जा सकता है और दूसरी तरफ़ से, यह रक्त जैसे तरल पदार्थ से पोषक तत्वों को प्राप्त करता है – ठीक उसी तरह जैसे कोई मानवीय फेफडा काम करता है ।

EpiAlveolar नामक इस नयी तकनीक के माध्यम से विभिन्न प्रकार के पदार्थ जैसे रसायन, नैनोमटेरियल, रोगजनकों, सिगरेट का धुँवा, ई-सिगरेट का धुँवा और अन्य श्वसनीय पदार्थों के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है। अभी तक इस तरह के पदार्थों के अध्ययन हेतु पशुओं का इस्तेमाल किया जाता है जिस हेतु उन्हें छोटी और सीमित नलियों में कैद करके रखा जाता है व उनकी मौत होने तक कईं दिनों तक इस तरह के रसायनों को सूंघने के लिए मजबूर किया जाता है।

स्विट्जरलैंड के Fribourg विश्वविद्यालय में Adolphe Merkle इंस्टीट्यूट और स्कॉटलैंड में Heriot-Watt विश्वविद्यालय में EpiAlveolar तकनीक के माध्यम नैनोमैटिरियल्स के प्रभावों को जाँचने हेतु किए गए परीक्षण पर ACS नैनो में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। यह मॉडल नैनोमटेरियल्स के दीर्घकालिक और खतरनाक स्वास्थ्य प्रभावों का अनुमान लगाने हेतु उपयुक्त व विश्वसनीय है इस बात की जांच करने हेतु अब इस इस मॉडल का EU हॉरिजोन 2020 PATROLS परियोजना के तहत मूल्यांकन किया जा रहा है।

PETA इंडिया की साइंस पॉलिसी एडवाईजर डॉ. दिप्ति कपूर कहती हैं- “EpiAlveolar मॉडल एक ऐसा नया उदाहरण है जो यह साबित करता है कि किस तरह आधुनिक तकनीक जानवरों के परीक्षणों की जगह ले सकती है और मानव शरीर को और भी बेहतर तरीके से समझने में सहायक हो सकती हैं। इस मॉडल के निर्माण के लिए हमें मैट टेक के साथ भागीदारी करने पर गर्व है और हम जीवन रक्षक अनुसंधान के संबंध में इसके योगदान के लिए तत्पर हैं।“

मैट टेक के अध्यक्ष और CEO, एलेक्स आन्तो कहते हैं- “मैट टेक में हमारा एक उद्देश्य यह भी है कि हम अध्ययन हेतु मानवीय शरीर से मिलते जुलते माँस तन्तु के मॉडल व परीक्षण विधियों को विकसित किया जाए ताकि  गैर-पशु परीक्षण विधियों के उपयोग का बढ़ावा दिया जा सके। हमें EpiAlveolar तकनीक विकसित करने के लिए PETA इंटरनेशनल साइंस कंसोर्टियम का साथ मिला और भविष्य में हम इनके साथ काम करने के लिए तत्पर हैं।“

श्वसनीय विषाक्तता परीक्षण में जानवरों पर परीक्षण ना किए जाने की बड़ी पहल करते हुए, साइंस कंसोर्टियम ने अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं के लिए इनहेलेशन एक्सपोज़र उपकरणों को भी बनाया है जिसका इस्तेमाल सेल-आधारित मॉडल के साथ किया जा सकता है।

PETA इंटरनेशनल साइंस कन्सोर्शियम लिमिटेड पशु-मुक्त परीक्षण के विकास, सत्यापन और वैश्विक कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए काम करता है। इसकी स्थापना वर्ष 2012 में इसके सदस्यों – PETA इंडिया, PETA  US, PETA UK, PETA  जर्मनी, PETA नीदरलैंड, PETA  फ्रांस, PETA  एशिया और PETA ऑस्ट्रेलिया के बीच वैज्ञानिक और नियामक विशेषज्ञता सहयोग व आपसी समन्वय के लिए की गई थी। साइंस कन्सोर्शियम व इसके सदस्यों ने पशुओं पर होने वाले परीक्षणों पर से निर्भरता कम करने में बेहतरीन सहयोग किया है।

 1985 में स्थापित की गई ‘मैट टेक लाईफ साईंसेस’ एक विट्रो लाइफ-साइंस कंपनी है जो बोस्टन शहर में स्थित है। कॉस्मेटिक, केमिकल एवं फार्मास्युटिकल उद्योग के उत्पादों का गैर पशु प्रयुक्त परीक्षण हेतु यह नवीन त्रिपक्षीय विट्रो ह्यूमन टिस्यू तकनीक प्रदान करने वाली प्राइवेट सेक्टर की दिगज्ज कंपनी है। विट्रो विशेषज्ञ के रूप में, मैट टेक ने उच्चतम गुणवत्ता वाले ग्लास-बॉटम कल्चरवेयर, प्राथमिक कोशिकाओं और मीडिया और अनुबंध परीक्षण को शामिल करने के लिए अपने उत्पादों और सेवाओं का विस्तार किया है।

 अधिक जानकारी के लिए कृपया PISCLtd.org.uk या  MatTek.com. पर जाएँ।

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