PETA इंडिया ने ‘भारतीय न्याय संहिता’ (BNS) विधेयक 2023 के तहत जानवरों के खिलाफ यौन हिंसा को अपराध के रूप में शामिल न करने के खिलाफ आवाज उठाई

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15 December 2023

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नई दिल्ली – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA), इंडिया ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी और भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड को पत्र लिखक भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता (BNS), 2023 में जानवरों के खिलाफ यौन शोषण के कृत्यों को दंडित करने के प्रावधान शामिल न करने के खिलाफ आवाज उठाई है। इसके साथ-साथ समूह ने संसद के सभी सदस्यों को तत्काल अपील भेजकर उनसे आग्रह किया है कि गृह मामलों के विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति (PSCOHA) की सिफारिश के अनुसार, BNS में एक प्रासंगिक प्रावधान शामिल करके यौन हिंसा के खिलाफ जानवरों की निरंतर सुरक्षा की मांग करें।

PETA इंडिया द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर और PSCOHA के अध्यक्ष श्री बृज लाल के साथ एक बैठक के बाद, गृह मामलों के विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023, में जानवरों के खिलाफ यौन शोषण के कृत्यों को दंडित करने के प्रावधान शामिल करने की सिफारिश करी थी। BNS को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 को प्रतिस्थापित करने के लिए तैयार किया गया है, और इसे 12 दिसंबर 2023 को लोकसभा में फिर से पेश किया गया था।

PETA इंडिया क्रुएल्टी केस डिवीजन के कानूनी सलाहकार और प्रबंधक ‘मीत अशर’ कहते हैं, “जानवरों के लिए सबसे मजबूत स्तर की कानूनी सुरक्षा प्रदान करने से हमारे देश के सभी नागरिकों को भी सुरक्षित रखने में मदद मिलती है, क्योंकि जानवरों के प्रति क्रूरता और मनुष्यों के खिलाफ हिंसा के बीच संबंध सर्वविदित है। हम माननीय केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी से अनुरोध करते हैं कि सभी के लिए एक सुरक्षित समाज के लिए BNS विधेयक 2023 के तहत जानवरों के खिलाफ यौन हिंसा को अपराध के रूप में शामिल किया जाए जिससे हमारे देश की कानूनी ढांचे के प्रति प्रतिबद्धता मजबूत हो जो सभी प्राणियों के लिए करुणा और सुरक्षा को दर्शाता है।

वर्तमान में IPC की धारा 377 जानवरों के खिलाफ यौन हिंसा को दंडित करती है, लेकिन बBNS विधेयक में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो जानवरों को समान सुरक्षा प्रदान करता हो। IPC की धारा 377 किसी जानवर के साथ बलात्कार को गैर-जमानती अपराध मानती है और इसके लिए “[आजीवन कारावास], या किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने” का प्रावधान है।

2021 में, फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें खुलासा हुआ कि पिछले एक दशक के दौरान,500,000 जानवर, (जिनमें गाय और कुत्ते भी शामिल हैं) यौन हिंसा का शिकार हुए। इससे पहले, वॉइस ऑफ स्ट्रे डॉग्स की रिपोर्ट में गणना की गई थी कि जानवरों के यौन शोषण को अक्सर कम रिपोर्ट किया जाता था, लेकिन संभवतः इनकी संख्या मानव बलात्कार के मामलों के समान ही है।

PETA इंडिया का कहना है कि कई हिंसक अपराधियों का जानवरों के प्रति क्रूरता का भी रिकॉर्ड रहा है। जर्नल ऑफ इमोशनल एब्यूज में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि साथी जानवरों के साथ सुरक्षित घर में शरण लेने वाली 71% महिलाओं ने पुष्टि की कि उनके साथी ने जानवरों को डराया, धमकाया, घायल किया या फिर मार डाला था। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है, “जो लोग पशु क्रूरता में संलग्न हैं, उनमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों के दुरुपयोग सहित अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक थी। पशु क्रूरता में शामिल होने की प्रमुख प्रेरणाओं में क्रोध, मज़ा, नियंत्रण, भय, नापसंदगी, बदला, नकल और यौन आनंद शामिल हैं। भारत में, एक व्यक्ति, जिसे केरल की एक कानून छात्रा के साथ बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया गया था, का कुत्तों और बकरियों के साथ बलात्कार और हत्या करने का इतिहास था।

PETA इंडिया इस सिद्धान्त के तहत कार्य करता है कि, “जानवर हमारे परीक्षण करने, भोजन बनने, कपड़े बनने, मनोरंजन करने, या किसी भी प्रकार से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान स्वयं को इस संसार में सर्वोपरि मानकर अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट PETAIndia.com पर जाएँ और हमें X (पहले Twitter), Facebook, तथा Instagram पर फॉलो करें।

 

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