PETA इंडिया का नया जांच वीडियो : जंगली जानवरों के अवैध भारतीय बाजारों का खुलासा, मांस के लिए कुत्तों की बिक्री

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19 November 2021

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Pradeep Ranjan Doley Barman; [email protected] 

गुवाहाटी: देशभर में कोविड-19 का प्रकोप अब भी ज़ारी है और इस बीच पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा हाल ही में की गई जांच में पूर्वोत्तर भारत के जंगली जानवरों के मांस उद्धोग एवं कुत्ते के मांस के बाज़ारों का खुलासा किया गया है। इस वीडियो डोकोमेंट्री में उन घिनौनी परिस्थितियों का खुलासा किया गया जो खतरनाक बीमारियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972”, “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” और  “खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006” का खुला उल्लंघन करते हैं।

 इस वीडियो फुटेज को अनुरोध पर उपलब्ध करवाया जाएगा।

PETA इंडिया के एडवोकेसी एसोसिएट प्रदीप रंजन डोले बर्मन ने कहा, “बेहद गंदे और अवैध मांस बाज़ार जानवरों को प्रताड़ित करने के साथ-साथ खतरनाक बीमारियों के स्त्रोत के रूप में काम करते हैं। PETA इंडियासभी की भलाई को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों से इन्हें बंद कराने का आग्रह करता है।“

मणिपुर के नट बाजार में, हिरण, जंगली सूअर और मेंढकों का मांस अवैध रूप से बेचा जा रहा था और खरीदार एवं ग्राहक अपने नंगे हाथों से जानवरों के भुने हुए अंगों को छू रहे थे। सेनापति बाजार में अवैध रूप से शिकार किए गए एक हिरण के सिर को बेचा जा रहा था। नागालैंड के बाजारों में, जीवित ईल, चूहे, मेंढक और पक्षियों को खुलेआम बेचा जा रहा था और दुकानदार बिना दस्ताने पहने मृत जानवरों को संभाल रहे थे। यहाँ जीवित कुत्तों को भी उनके मांस के लिए अवैध रूप से बेचा जा रहा था और इनके छोटे-छोटे बच्चों को पिंजरों में बंद रखा गया था। दुकानदारों द्वारा बड़े कुत्तों को उनके मांस हेतु बेचते समय उनके मुंह को बांधकर बंद कर दिया गया था। अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर मार्केट में राजकीय पशु “मिथुन” का मांस खुलेआम बेचा जा रहा था और बाजार में हर तरफ पशुओं के खून, नस, और अंतड़ियों का अंबार था।

PETA इंडिया ने “वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो” और “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” को पत्र भेजकर इन बाजारों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। इन पत्रों की कॉपी को अनुरोध करने पर उपलब्ध कराया जा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 जीवित पशु मंडियों से उत्पन्न हुआ था और SARS स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू को भी भोजन के लिए पशुओं को कैद करने और मारने से जोड़ा जाता है।

पिछले साल भी, PETA इंडिया ने नागालैंड में मांस के लिए मारकर बेचे जा रहे कुत्तों, मणिपुर में भुने हुए बंदर, जंगली सूअर, साही और हिरण के शरीर को बिना दस्ताने पहने संभालते हुए दुकानदारों और देश के अन्य भागों से ऐसे ही घटनाओं का वीडियो फुटेज जारी किया था। हाल ही में, असम विश्वविद्यालय की एक टीम ने यह भी पाया कि औषधीय गुणों के मिथकों के चलते पूर्वोत्तर भारत में कई आद्य (primate) प्रजातियों को मारा जा रहा है। 

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ और TwitterFacebookInstagram पर हमें फॉलो करें।

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