सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू और बैलों की अवैध दौड़ के आयोजनों को चुनौती देने वाली PETA इंडिया की समीक्षा याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता को अधिसूचित किया

Posted on by Shreya Manocha

सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु में जल्लीकट्टू, कर्नाटक में कंबाला और महाराष्ट्र में बैलगाड़ी दौड़ जैसी क्रूर और घातक घटनाओं पर रोक लगाने की मांग करने वाली PETA इंडिया और अन्य पशु अधिकार संस्थाओं द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के पक्ष में एक ई-मेल याचिका पर विचार करने हेतु सहमत हो गया है। इन याचिकाओं में भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड बनाम भारत संघ और संबंधित याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा 18 मई 2023 को पारित फैसले की समीक्षा और उसे बदलने की मांग की गई है। इससे पहले, माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार द्वारा अनुमत जल्लीकट्टू, कंबाला और बैल की दौड़ जैसे क्रूर आयोजनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में, उक्त आयोजनों की अनुमति देते हुए अपना निर्णय सुनाया था।

 

निराशाजनक रूप से, भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) बनाम भारत संघ और अन्य नामक बैच याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 18 मई 2023 के फैसले ने इन हिंसक खेलों को जारी रखने की इजाजत देकर बैलों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को इसी तरह चलने की मंजूरी दे दी है। जब से तमिलनाडु सरकार ने 2017 में जल्लीकट्टू दुबारा आयोजित किए जाने की अनुमति दी है तब से अब तक इस क्रूर खेल में 115 इंसानों 38 बैलों और एक गाय की मौत हो चुकी है और 8,630 इंसान और कम से कम 30 बैल घायल हो चुके हैं। इसके अलावा कई बैलों की मौत और मानव चोटों की सूचना तो पता ही नहीं चल पाती इसलिए मरने और चोटिल होने वालों की वास्तविक संख्या इस से बहुत अधिक है।

PETA इंडिया की सबसे हालिया जांच ने साबित कर दिया है कि जल्लीकट्टू के आयोजनों के दौरान कोई भी नियम क्रूरता को खत्म नहीं कर सकते, क्योंकि इस हिंसक और खूनी तमाशे का उद्देश्य जानवरों को डराना, धमकाना, उकसाना और उन्हें अत्यधिक शारीरिक और मानसिक आघात पहुंचाना है। PETA इंडिया ने पीसीए (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017 को निरस्त करने की मांग करते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। ‘तमिलनाडु संशोधन’ तमिलनाडू राज्य के कानून में किया गया एक ऐसा संशोधन है जो पीसीए अधिनियम, 1960 में संघीय सुरक्षा से इस्तेमाल किए जा रहे बैलों को जललीकट्टू जैसे खेलों मे इस्तेमाल करने की अनुमति देता है।

2022 में, 13 जनवरी से 30 अप्रैल के दौरान आयोजित हुई जललीकट्टू दौड़ों में दो बैल और 17 इंसानों की मौत हुई थी हो गई, जबकि कुल 1655 इन्सानों और कम से कम छह बैल घायल हुए हैं। जबसे इस बर्बर खेल पर से प्रतिबंध हटा है, यानी 2017 से लेकर 30 अप्रैल 2022 के दौरान आयोजित जल्लीकट्टू खेलों में कुल 6351 लोग घायल हुए थे। जबकि इन घटनाओं में कथित तौर पर 86 इंसान, 23 बैल और एक गाय की मौत हुई थी।

हालांकि वास्तविक आंकड़े निश्चित रूप से कहीं अधिक हो सकते हैं, क्योंकि समाचार में सभी तरह की चोटों और मौतों की सूचना नहीं दी जाती है, विशेष रूप से जानवरों और मनुष्यों की वह मौतें और चोटें जो खेल समाप्त होने के कुछ समय बाद होती हैं या जो दूरदराज के गांवों में होती हैं।

बैलों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाएँ!