“पशु हमारे प्रयोग के लिए नहीं हैं” — पुणे में PETA इंडिया का सशक्त संदेश

Posted on by Shreya Manocha

वर्ल्ड वीक फॉर एनिमल्स इन लेबोरेटरीज़ (21 से 27 अप्रैल) के अवसर पर, PETA इंडिया और होप फॉर पॉज़ पुणे के समर्थकों ने पीपीई (Personal Protective Equipment) किट पहनकर और चूहे, खरगोश, कुत्ते और बंदर का प्रतिनिधित्व करने वाले मास्क लगाकर पुणे की सड़कों पर लोगों से संपर्क किया। वे हाथों में ऐसे संदेश वाले साइन लिए हुए थे — “पशु हमारे प्रयोग के लिए नहीं हैं” और “पशु परीक्षण बंद करो” — और राहगीरों को यह समझाने का प्रयास कर रहे थे कि पशु परीक्षणों को आधुनिक, पशु-मुक्त तरीकों से बदलना आवश्यक है।

हर साल, अनगिनत बंदरों, कुत्तों, चूहों, खरगोशों और अन्य पशुओं को प्रयोगशालाओं में घायल किया जाता है, जलाया जाता है, अंधा किया जाता है, चीर-फाड़ की जाती है, ज़हर दिया जाता है और मादक दवाएं दी जाती हैं। ये परीक्षण न केवल बेहद क्रूर हैं, बल्कि विभिन्न प्रजातियों के बीच भारी शारीरिक भिन्नताओं के कारण इनके परिणाम भी मानव स्वास्थ्य पर लागू नहीं होते। आधुनिक, पशु-मुक्त अनुसंधान पद्धतियाँ न केवल अधिक विश्वसनीय और मानव-प्रासंगिक हैं, बल्कि पशु-आधारित तरीकों की तुलना में अधिक किफायती भी हैं।

भारत पहले ही पशुओं पर प्रयोगों से दूर हटने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। PETA इंडिया के प्रयासों से कॉस्मेटिक्स और उनके घटकों पर पशु परीक्षण पर प्रतिबंध, पशु-परिक्षण वाले सौंदर्य प्रसाधनों के आयात पर रोक, और घरेलू उत्पादों के पशुओं पर परीक्षण पर भी भारत में रोक लग चुकी है। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा पारित न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स (संशोधन) नियम, 2023 भी आधुनिक, पशु-मुक्त तकनीकों को अपनाने को बढ़ावा देते हैं।

PETA इंडिया के वैज्ञानिकों ने “रिसर्च मॉडर्नाइजेशन डील” नामक एक ऐतिहासिक योजना भी विकसित की है, जो भारत में अनुसंधान में निवेश को बेहतर ढंग से दिशा देने और रोगों के इलाज एवं मानव कल्याण को बढ़ावा देने के लिए उन्नत इन विट्रो और इन सिलिको तकनीकों जैसे अत्याधुनिक तरीकों पर केंद्रित है, जो पशु-आधारित तरीकों से कहीं बेहतर परिणाम प्रदान करते हैं।

 

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