PETA इंडिया ने जलगाँव में 150 मुर्गियों को जिंदा दफ़न होने से बचाया

Posted on by PETA

जलगाँव जिले के पलाड़ी में एक मुर्गी पालक, कोरोना वायरस के डर से अपनी मुर्गियों एवं चूजों को ज़िंदा दफ़नानेवाला है, यह ख़बर मिलते ही, PETA इंडिया की पशु चिकित्सा डॉ.  रश्मि गोखले तथा  पशुपालन जिला उपायुक्त डॉ. संजय गायकवाड़ ने तत्काल कार्यवाही करते हुए मौके पर पहुँचकर 150  पक्षियों को मरने से बचा लिया। बचाव कर लाये गए गए पक्षियों को PETA इंडिया की मदद से एक पुनर्वास केंद्र में भेजा गया है।

मांस और अंडे के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुर्गियां यकीनन इस ग्रह पर सबसे अधिक दुर्व्यवहार सहने वाली जानवर हैं। किसान उन्हें अंडों के लिए पिंजरे में रहने के लिए मजबूर करते हैं जहां वह सही से अपने पंख तक नहीं फैला सकती। मांस के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुर्गियों को इस उद्योग में ‘’ब्रोयलर” के नाम से जाना जाता है जो अपनी पूरी जिन्दगी मजबूरन गंदे और छोटे पिंजरों में गुजारती हैं। यहाँ एक साथ छोटी सी जगह में हजारों मुर्गियों को कैद करके रखा जाता है। वह एक दुसरे के मल मूत्र में सनी रहती है व बीमारियों का शिकार होती हैं। उन्हें मांसल बनाने के लिए दवाईयां दी जाती है, जिसके वजह से उनके शरीर व अंगो पर बुरा प्रभाव पड़ता है व वह दिल का दौरा पड़ना, पैरों की हड्डी टूट जाना और शरीर से संबन्धित अन्य विकृतियों का शिकार होती हैं।

आप कैसे मदद कर सकते हैं ?

 मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियों की मदद करने के सबसे आसान तरीका है की आप मांस खाना छोड़ दें।

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