PETA इंडिया के वर्ष 2022 के वीगन फैशन अवार्ड्स के विजेताओं की सूची में श्रद्धा कपूर, JJ वलाया और दीया मिर्जा-समर्थित ब्रांड Greendigo और अंजना अर्जुन-समर्थित ब्रांड Sarjaa शामिल

Posted on by Erika Goyal

देशभर के डिज़ाइनरों और रिटेलरों के पास क्रूरता-मुक्त वीगन कपड़ों एवं आभूषणों की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है और यह उद्योग अब करोड़ों का हो चुका है। इसी बीच वीगन माह (नवंबर) के उपलक्ष्य में पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने वीगन फैशन अवार्ड्स 2022 का आयोजन कर सर्वश्रेष्ठ वीगन हस्तियों एवं ब्रांडों को पुरस्कृत किया है।

  • सर्वश्रेष्ट वीगन फ़ैशन स्टाइल आइकॉन: यह अवार्ड अभिनेत्री श्रद्धा कपूर को पशुओं, पर्यावरण और वीगन फ़ैशन के प्रति उनके प्रेम एवं उनकी बाहरी सुंदरता के साथ-साथ आंतरिक दयालुता हेतु दिया जा रहा है।

  • सर्वश्रेष्ट वीगन शू लाइन: मेट्रो शूज का Tie-Dye Collection, जिनके द्वारा पशु-मुक्त दयालु सामग्री से बेहद आरामदायक जूतों का निर्माण किया गया है।

  • सर्वश्रेष्ट वीगन स्नीकर्स: 7-10 के बेहद आकर्षक और लेदर-फ्री स्नीकर्स जिन्हें GQ और Cosmopolitan में देखा गया था।

  • सर्वश्रेष्ट वीगन किड्सवियर ब्रांड: दिया मिर्ज़ा द्वारा समर्थित ब्रांड Greendigo, जो बच्चों के लिए वीगन, ऑर्गेनिक और रसायन-मुक्त कपड़ा विकल्प प्रदान करता है।

  • सर्वश्रेष्ट वीगन साड़ियाँ: TENCEL Luxe के सहयोग से Tata के Taneira’s Vegan Visions कलेक्शन की शानदार, रेशम-मुक्त साड़ियाँ।

  • सर्वश्रेष्ट वीगन सौंदर्य प्रसाधन: W for Woman’s W Beauty की बेहतरीन वीगन सौंदर्य प्रसाधन रेंज जो पूरी तरह से गैर-पशु परीक्षित है।

  • सर्वश्रेष्ट वीगन बैग: सेब, कैक्टस और अनानास से निर्मित वीगन चमड़े से बने Sarjaa के फैशनेबल वीगन बैग। इस वीगन ब्रांड की स्थापना अभिनेता अर्जुन सरजा की बेटी अंजना अर्जुन द्वारा की गयी है।

  • सर्वश्रेष्ट वीगन वॉलेट: सभी जेंडर के लोगों हेतु Foret द्वारा निर्मित हल्के, आकर्षक और अत्यधिक टिकाऊ वॉलेट।

  • फ़ैशन संबंधी सर्वश्रेष्ट वीगन फ़िल्म: Slay नामक डॉक्यूमेंट्री, जिसमें फ़ैशन उद्योग में पशुओं के साथ होने वाले शोषण का पर्दाफ़ाश किया गया है और भारत में टेनरी श्रमिकों के साथ होने वाले गहन शोषण को उजागर किया गया है।

PETA संस्थाओं ने ऐसे कई वीडियो जारी किए हैं जिनमें दिखाया गया है कि फार्म श्रमिकों द्वारा भेड़ों की ऊन काटते समय उन्हें मारा-पीटा जाता है और उनके शारीरिक अंगों को काटा जाता है, मोहेयर और कश्मीरी (ऊन) निकालते समय भेड़ों को खूनी, खुले घावों के साथ छोड़ दिया जाता है, चमड़ा हेतु गायों और भैंसों का गला चीरा जाता है, विदेशी चमड़ा उद्योग में जिंदा मगरमच्छों की रीढ़ की हड्डी में लोहे की रोड घुसाई जाती है, फर फार्मों पर पशुओं को बिजली के झटके देकर मौत के घाट उतारा जाता है और रेशम के कीड़ों को जीवित उबालकर सिल्क का  निर्माण किया जाता है। PETA इंडिया की मुंबई के देवनार बूचड़खाने की नवीनतम जांच में चमड़ा हेतु जानवरों के प्रति भयावह क्रूरता का खुलासा हुआ।

PETA इंडिया द्वारा उल्लेखित किया गया है कि किसी भी पशु चमड़े से कपड़ा बनाने के लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा की खपत होती है और खतरनाक रसायनों का उपयोग किया जाता है जो पर्यावरण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य हेतु भी बहुत ख़तरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, बांग्लादेश के प्रमुख चमड़ा उत्पादन क्षेत्रों में काम करने वाले अधिकांश श्रमिक (जिनमें से कई बच्चे होते हैं) जहरीले रसायनों के संपर्क में आने के कारण 50 वर्ष की आयु से पहले ही मर जाते हैं।

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