PETA इंडिया की शिकायत के बाद अकोला के यूट्यूबर की कैद से तोतों को बचाया गया

Posted on by Sudhakarrao Karnal

PETA इंडिया की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र वन विभाग के अकोला डिवीजन ने यूट्यूबर मोहिनी हजारे की अवैध हिरासत से दो बड़े तोतों को छुड़ाया। समूह की शिकायत के बाद अधिकारियों द्वारा पक्षियों को तुरंत जब्त किया गया।

PETA इंडिया ने यूट्यूबर द्वारा अपने चैनल पर पोस्ट किए गए तोतों के एक वीडियो के संदर्भ में अकोला के उप वन संरक्षक के पास एक औपचारिक शिकायत दर्ज़ कराई थी। PETA इंडिया को इस वीडियो की जानकारी यूट्यूबर और पत्रकार अमृता कुलकर्णी द्वारा दी गयी थी।

तोता वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 [वन्यजीव संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 द्वारा संशोधित] की अनुसूची II के तहत एक संरक्षित प्रजाति है। इस प्रकार के देसी पक्षियों की कैद एक दंडनीय अपराध है जिसके खिलाफ़ तीन साल तक की जेल या एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

PETA इंडिया द्वारा इसी वर्ष जनवरी में असम वन विभाग के साथ मिलकर एक और यूट्यूबर को पकड़ने का कार्य किया था जिसके द्वारा अपने चैनल के माध्यम से तोतों को बेचने का प्रचार-प्रसार किया जा रहा था। पुलिस द्वारा इस यूट्यूबर के पास कैद सभी पक्षियों को बचाया गया था।

इस तरह के अवैध पक्षी व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से दूर कर दिया जाता है और उन्हें उस हर चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। और यह सब सिर्फ इसलिए कि इन पक्षियों को “पालतू” या फर्जी “भाग्य बताने वाले” पक्षी के रूप में बेचा जा सके। पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से चुरा लिया जाता है जबकि अन्य पक्षी जो शिकारियों के बिछाये जाल में फस जाते हैं वह वहाँ से भाग निकलने के प्रयास में भीर रूप से घायल हो जाते हैं या मौत के शिकार बनते हैं। इस तरह से पकड़े गए पक्षियों को छोटे बक्से में पैक किया जाता है, और उनमें से अनुमानित 60% पक्षियों के पंख टूट चुके होते हैं और वह घबराहट या अवसाद के चलते मर भी जाते हैं। जो जीवित रहते हैं वे एक अंधकार भरे कमरों व पिंजरों में आजीवन अकेले रहते हैं व कुपोषण, अकेलेपन, अवसाद और तनाव से पीड़ित होते हैं।

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