PETA इंडिया की निदेशक पूर्वा जोशीपुरा द्वारा लिखित ‘सरवाइवल एट स्टेक’ अब ऑडियोबुक के रूप में उपलब्ध।
PETA इंडिया की निदेशक पूर्वा जोशीपुरा द्वारा लिखित और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की सद्भावना राजदूत दीया मिर्जा द्वारा लिखित पुस्तक ‘सर्वाइवल एट स्टेक: हाउ अवर ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इज की टू ह्यूमन एक्सिस्टेंस’ अब ऑडियोबुक में ऑडिबल पर व अन्य स्टोरों पर भी उपलब्ध है। यह पुस्तक आपके पसंदीदा बुकस्टोर पर भी मिल सकती है, या आप इसे अमेज़न या फ्लिपकार्ट से भी मंगवा सकते हैं।
“सर्वाइवल एट स्टेक” में बताया गया है कि आज हमें प्रभावित करने वाले प्रमुख संकट – जिसमें महामारी, आपदा, एंटीबायोटिक प्रतिरोध, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण शामिल हैं – सीधे तौर पर पशुओं के साथ हमारे व्यवहार से जुड़े हैं और इनसे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं उन प्रयासों पर प्रकाश डालती है। पुस्तक को किसी मित्र के साथ अवश्य साझा करें!
ऑडिबल के अलावा, ऑडियोबुक संस्करण स्टोरीटेल, गूगल प्ले, लिब्रो.एफएम और ऐप्पल ऑडियोबुक पर भी उपलब्ध है।
विज्ञान अब पशुओं की चेतना, बुद्धिमत्ता, भावना और यहाँ तक कि नैतिकता को भी पहचान रहा है, और हमें अन्य प्राणियों के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारियों के बारे में पता होना चाहिए। लेकिन पशुओं की भलाई पर विचार करने का एक और कारण है: यह हमारी भलाई से जुड़ा हुआ है।
सर्वाइवल एट स्टेक में जोशीपुरा ने जोश से तर्क दिया है कि विकास के मामले में मनुष्य और अन्य पशुओं में बहुत कुछ समानता है, जितना कि कई लोग मानते हैं। वह बताती है कि कैसे पशुओं पर प्रयोग अक्सर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन जाते हैं, मांस का उत्पादन जंगलों को नष्ट कर देता है और जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है, वन्यजीवों का शिकार करने से महामारी फैलती है और हमें नुकसान होता है, चमड़े का उत्पादन पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, खूनी खेल मनुष्यों और पशुओं दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं, पशुओं के साथ क्रूरता से मनुष्यों के प्रति हिंसक अपराध होते हैं, और इसी तरह की अन्य समस्याएं भी होती हैं।
जोशीपुरा का मानना है कि अगर हम प्रजातिवाद की धारणा जिसमे मानव को अन्य प्रजातियों से ऊपर माना जाता है, को अस्वीकार करते हैं और इस दुनिया को सभी प्रजातियों जिसमे हाथी से लेकर चींटी तक सबको एक समान मानते हुए प्रकृति पर मानव का प्रभुत्व रखने के बजाय हम इसको सबका घर समझे और सबके तो हम ग्रह के सभी निवासियों की बेहतरी की दिशा में आवश्यक कदम उठा सकते हैं।
Survival at Stake की प्रशंसा:
सांसद श्रीमति मेनका गांधी ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा, “करुणा अच्छा अर्थशास्त्र, अच्छा विज्ञान, यहां तक कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सबसे अच्छा हथियार है। Survival at Stake अपने पाठकों को संदेश देती है कि पशुओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने से इंसानों के लिए एक सुरक्षित भविष्य की आशा संभव है।“
सांसद मिमी चक्रवर्ती ने लिखा, “पशु और मानव कल्याण आपस में जुड़े हुए हैं, और ‘पूर्वा’ इसे स्पष्ट करती है। वह हमें विश्वास दिलाती है कि हम जानवरों की पीड़ा और उनके साथ साझा की जाने वाली दुनिया पर पड़ने वाले प्रभावों के प्रति आंखें मूंदकर नहीं रह सकते हैं। दयालु बनें और सोचें कि आपका भोजन कहाँ से आ रहा है और ऐसी कोई भी चीज़ जिसमें खून, आँसू और पीड़ा शामिल हो, वह हमारी भोजन की थाली का हिस्सा नहीं होना चाहिए।“
पूर्वा जोशीपुरा की पहली पुस्तक फॉर ए मोमेंट ऑफ टेस्ट भारत में मांस, अंडे और डेयरी के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले पशुओं के साथ क्या होता है, इसका पहला गहन खुलासा है। अभिनेता ऋचा चड्ढा द्वारा लिखित प्रस्तावना के साथ, फॉर ए मोमेंट ऑफ टेस्ट में भारत में आमतौर पर खाए जाने वाले पशुओं की भावनात्मक और बौद्धिक क्षमताओं का वर्णन किया गया है, ऐतिहासिक विकास जो हमारे पशु-आधारित खाद्य उत्पादन प्रणालियों को जन्म देते हैं, और वे स्थितियाँ जिनमें पशुओं को जन्म से लेकर वध तक पीड़ा, दुख और शोषण सहने के लिए मजबूर किया जाता है। भोजन के लिए पशुओं के शोषण और हत्या के अनुभव की भयावहता के इस रोमांचक, गहन खुलासे में, पूर्वा माँस, चमड़े और देरी के लिए किए जाने वाले पशु पालन का पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव के बारे में भी बताती हैं, साथ ही अगर मनुष्य अपनी वर्तमान खाने की आदतों और रुझानों को नहीं बदलते हैं तो इसके क्या परिणाम होंगे, इस पर भी प्रकाश डालती हैं।
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