“भारतीय फार्माकोपिया आयोग” द्वारा दवाओं के निर्माण हेतु जानवरों पर कम से कम परीक्षण किए जाने का प्रस्ताव

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भारतीय फार्माकोपिया आयोग (जो भारत में दवाओं के निर्माण हेतु मानक निर्धारित करता है) ने PETA इंडिया द्वारा दिए गए सुझावों पर गौर करते हुए एंटीबॉडी दवाओं के उत्पादन हेतु जानवरों पर कम से कम परीक्षण करने एवं दवाओं के प्रभावों का आंकलन  करने के लिए वैकल्पिक परीक्षण विधियों को विकसित करने का प्रस्ताव दिया है।

mice pharmacopoeia

PETA इंडिया द्वारा अपने सुझावों में बताया गया था कि दवाओं का प्रभाव जाँचने हेतु जानवरों पर परीक्षण करने की बजाय परीक्षण के अनेकों विकल्प मौजूद है उन विकल्पों को अपनाकर गायों, खरगोशों, चूहों और अन्य जानवरों को इन क्रूर परीक्षणों से निजात दिलाई जा सकती है। भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) के प्रस्ताव में दवा निर्माता कंपनियों के लिए यह तर्क प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है की वह कि दवाओं का निर्माण हेतु लगातार पशुओं पर परीक्षण क्यूँ कर रहे हैं तथा परीक्षण हेतु इस्तेमाल किए गए जानवरों की संख्या को कितना कम से कम किया जा सकता है।

भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने प्रस्तावित ड्राफ्ट के संबंध में सभी हितकारकों से 22 फरवरी 2021 तक अपने विचार देने की भी अपील की है। हम एंटीबॉडी एवं पोटेन्सी टेस्ट बनाने वाली दावा निर्माता कंपनियों से अनुरोध करते है कि वह IPC की प्रगतिशील पहल का समर्थन करें।

PETA इंडिया, IPC द्वारा “पशु परीक्षण विधियों के विकल्पों” के संदर्भ में बनाई गई उपसमिति का सदस्य होने के नाते अक्सर विभिन्न कार्यसमूह की बैठकों में आमंत्रित किया जाता है जहाँ हम जानवरों के प्रयोग को गैर-परीक्षण विधियों से बदलने का और अनुसंधानों की गुणवत्ता एवं प्रासंगिकता में सुधार का समर्थन करते रहेंगे।

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