कोच्चि की सड़कों पर उतरे ‘डायनासोर’ – अर्थ डे से पहले वीगन जीवनशैली अपनाने की अनोखी अपील

Posted on by Erika Goyal

22 अप्रैल को मनाए जाने वाले अर्थ डे से पहले, PETA इंडिया के समर्थकों ने कोच्चि की सड़कों पर रंग-बिरंगे, फुलाए गए डायनासोर के कॉस्ट्यूम पहनकर अनोखे अंदाज़ में लोगों से अपील की कि वे पशु-उत्पन्न खाद्य पदार्थों को छोड़कर पेड़-पौधों पर आधारित भोजनशैली अपनाएं। इस दौरान, उनके हाथों में आकर्षक पोस्टर भी थे, जिन पर लिखा था – ‘21वीं सदी के अनुरूप भोजनशैली चुनें, कृपया वीगन बनिए!’ और ‘हैप्पी अर्थ डे!’ यह अभियान लोगों को यह समझाने के लिए आयोजित किया गया था कि वीगन जीवनशैली न केवल पशुओं के प्रति करुणा दर्शाने का विकल्प है, बल्कि यह पृथ्वी की रक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी एक जिम्मेदार चुनाव है।

मांस, अंडा और डेयरी उत्पादन दुनिया में प्रदूषण, महासागरों में डेड ज़ोन बनने, ज़मीन की अत्यधिक खपत, वन्यजीवों के आवास के विनाश और प्रजातियों के विलुप्त होने के प्रमुख कारणों में से हैं। यह दुनिया के एक-तिहाई ताजे पानी का उपयोग करता है और कुछ अनुमानों के अनुसार, इससे निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसें दुनिया के सभी परिवहन साधनों से अधिक हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो व्यक्ति वीगन बनता है, वह अपनी खाद्य-जनित कार्बन उत्सर्जन को 73% तक घटा सकता है — जो पृथ्वी पर प्रभाव कम करने का सबसे बड़ा व्यक्तिगत कदम हो सकता है।

वीगन जीवनशैली अपनाने से न केवल पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि अनगिनत पशुओं को भी जीवन मिलता है। PETA इंडिया की डॉक्यूमेंट्री Glass Walls में यह सामने आया है कि अंडा उद्योग में मुर्गियों को इतनी छोटी पिंजरों में कैद किया जाता है कि वे अपने पंख भी नहीं फैला पातीं। गायों और भैंसों को बूचड़खानों तक ले जाते समय ट्रकों में इस कदर ठूंस-ठूंसकर भरा जाता है कि उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं। सूअरों को ज़िंदा रहते हुए दिल में चाकू घोंपा जाता है और मछलियों को नावों पर तड़पते हुए या ज़िंदा ही चीर दिया जाता है। अंडा उद्योग में नवजात नर चूज़ों को, जो अंडे नहीं दे सकते, आमतौर पर पीस दिया जाता है, जला दिया जाता है या ज़िंदा ही ज़मीन में दफना दिया जाता है। डेयरी उद्योग में नर बछड़ों को दूध नहीं देने के कारण या तो मरने के लिए छोड़ दिया जाता है या मार दिया जाता है।

हर वीगन व्यक्ति लगभग 200 पशुओं का जीवन हर साल बचाता है। साथ ही, वीगन आहार अपनाने से हृदय रोग, डायबिटीज़ और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। जल प्रदूषण, ज़मीन और पानी के अत्यधिक उपयोग के लिए भी पशु-आधारित खाद्य उद्योग एक बड़ा कारण है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जलवायु संकट के गंभीर प्रभावों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर वीगन जीवनशैली की ओर बदलाव आवश्यक है।

जो लोग वीगन बनने के लिए तैयार हैं, उनके लिए PETA इंडिया एक नि:शुल्क वीगन स्टार्टर किट भी उपलब्ध कराता है।

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