PETA इंडिया के नए बिलबोर्ड के माध्यम से लोगों को समझाया गया की वीगन जीवनशैली अपनाना कितना आसान है

Posted on by Erika Goyal

विश्व वीगन माह (नवंबर) के उपलक्ष्य में PETA इंडिया द्वारा चंडीगढ़, चेन्नई, गोवा और कोलकाता में बिलबोर्ड् लगवाकर लोगों को समझाया गया कि वीगन जीवनशैली अपनाना कितना आसान है और उन्हें यह दयालु जीवनशैली अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया गया। इन बिलबोर्ड में, संबंधित राज्यों के पारंपरिक खाद्य पदार्थों का प्रदर्शन किया गया जिसमें राजमा चावल, पुचका, इडली और सोल कढ़ी शामिल है जिसका तात्पर्य लोगों को यह समझाना था कि वीगन भोजन कितने सुलभ ढंग से हर जगह उपलब्ध है।

वीगन भोजन न केवल संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने में मददगार है बल्कि यह हृदय रोग, मधुमेह व कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के खतरे को भी कम करता है। वीगन भोजन जानवरों को भी गहन पीड़ा सहने से बचाता है। वर्तमान समय के मांस, अंडा और डेयरी उद्योग में सैंकड़ों, हजारों एवं लाखों की तदात में जानवरों को बड़े बड़े गोदामों में तंग पिंजरों में कैद करके खा जाता है। सचेत अवस्था में होने के बावजूद मुर्गों की गर्दनें काट दी जाती हैं, बछड़ों को जबरन खींचकर उनकी माताओं से अलग कर दिया जाता है, छोटे सूअरों को बिना कोई दर्द निवारक दिये बधिया किया जाता हैं और मछलियों के  जिंदा रहते ही उनकी शरीर को काट दिया जाता है।

WHO के अनुसार, रोग ग्रस्त या मरे हुए मुर्गों की हेंडलिंग और अनुचित तरीकों से पकाए गए भोजन से H5N1 बर्ड फ़्लू संक्रामण का खतरा हो सकता है जो इसकी चपेट में आने वाले 60 प्रतिशत इन्सानों के लिए घातक है। PETA इंडिया यह भी संज्ञान लेता है कि जीवित पशुओं की इन गंदी मांस मंडियों में बीमार और रोगग्रस्त मुर्गों की बिक्री आम बात है।

इस विश्व वीगन माह के अवसर पर वीगन जीवनशैली अपनाने की प्रतिज्ञा करें!

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