PETA इंडिया द्वारा संचालित अभियानों के चलते जानवरों का इस्तेमाल करने वाले ‘ग्रेट प्रभात’ और कई अन्य सर्कस बंद

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कर्नाटक उच्च न्यायलय ने ‘ग्रेट प्रभात’ सर्कस द्वारा करतब दिखने हेतु इस्तेमाल होने वाले जानवरों के संबंध में दर्ज़ की गई दो याचिकाओं को निरस्त कर दिया है इनमे से एक याचिका उस अपील के खिलाफ थी जिसमे PETA इंडिया भी एक सदस्य है। निस्तारण का यह फैसला ‘ग्रेट प्रभात’ सर्कस के वकील द्वारा याचिकाएँ वापिस लेने हेतु किए गए अनुरोध के बाद आया, क्योंकि सर्कस अब स्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। न्यायलय ने अपने उस निर्णय को वापिस ले लिया है जिसमे उन्होने “जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI)” द्वारा ज़ारी किए गए ‘प्रदर्शन हेतु प्रयोग किए जाने वाले जानवरों के प्रमाण-पत्र’ (PARC) पर ‘स्टे’ लगाया था। अब इस प्रमाण-पत्र के रद्द हो जाने के बाद सर्कस किसी भी प्रकार के प्रदर्शन या करतब दिखने हेतु जानवरों का प्रयोग नहीं कर सकता।

PETA इंडिया द्वारा दिल्ली उच्च न्यायलय में दर्ज की गयी एक अन्य याचिका की सुनवाई में AWBI द्वारा यह बताया गया कि ‘राज महल सर्कस’, ‘जेमिनी सर्कस’, ‘ग्रेट रॉयल सर्कस’ और ‘ओलम्पिक सर्कस’ सहित अनेक बड़े सर्कसों को बंद कर दिया गया है जबकि कई अन्य सर्कसों ने अपने जानवरों की वर्तमान दशा की कोई जानकारी नहीं दी है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) द्वारा दिल्ली उच्च न्यायलय को यह सूचना भी दी गई कि ‘ग्रेट गोल्डन सर्कस’ ऐसा एकमात्र सर्कस है जिसको वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के अंतर्गत हाथियों के प्रदर्शन हेतु मान्यता प्राप्त है। हालांकि CZA द्वारा इस सर्कस को भी हाल ही में एक ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया गया क्योंकि इस सर्कस ने बिना किसी अनुमति के अपने हथियों को धार्मिक संस्थानों में भेजा दिया है। इस नोटिस के जवाब में सर्कस ने CZA से अनुरोध किया है कि उसकी मान्यता रद्द कर दी जाए।

नवंबर में हुई पिछली सुनवाई के दौरान, दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया गया था कि AWBI द्वारा हाल ही में किए गए निरीक्षणों से पता चला है कि इसके द्वारा पंजीकृत लगभग 740 जानवरों में से केवल 28 जानवरों की वर्तमान जानकारी उपलब्ध है। रिकॉर्ड के अनुसार, वर्तमान में कुल 19 सर्कस AWBI द्वारा पंजीकृत हैं। CZA द्वारा अदालत में साझा की गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में भारत में किसी भी सर्कस के पास वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत हाथी या किसी अन्य संरक्षित वन्यजीव जानवर का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।

सर्कसों में जानवरों को नुकीली छड़े, हंटर, चाबुक इत्यादि हथियारों से डरा-धमकाकर करतब दिखने के लिए मज़बूर किया जाता है और जब सर्कस बंद रहते हैं इन जानवरों को जंजीरों से बांधकर छोटे एवं तंग पिंजरों में कैद करके रखा जाता हैं। AWBI द्वारा ‘ग्रेट प्रभात सर्कस’ के निरीक्षण में सामने आया कि यह सर्कस कुत्तों और विदेशी पक्षियों का उपयोग बिना पंजीकरण के, अवैध रूप से, कर रहा था। AWBI जांच में यह भी सामने आया कि इन जानवरों को ऐसे अप्राकृतिक व क्रूर करतब करने के लिए मजबूर किया जाता था जिन्हें बोर्ड द्वारा मंजूरी भी नहीं प्राप्त थी। ‘ग्रेट प्रभात’ के PARC को रद्द करने वाले AWBI के आदेश में बताया गया कि सर्कस द्वारा जानवरों की प्राथमिक देख-रेख नहीं की गई और उन्हें अनावश्यक कष्ट दिया गया।

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