हाल ही में पिट बुल द्वारा एक बच्चे पर किए गए हमले के बाद, PETA इंडिया ने उत्तर प्रदेश से राज्य से एक बार फिर डॉग फाइट के लिए इस्तेमाल होने वाले विदेशी नस्ल के कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने, पशु बिक्री की अवैध दुकानों व ब्रीडर्स को बंद करवाने तथा डॉगफाइट पर शिकंजा कसने का अनुरोध किया

Posted on by Erika Goyal

आज यह ख़बर सामने आने के बाद कि गाज़ियाबाद पार्क में एक दस वर्षीय बच्चा पिट बुल द्वारा किए गए हमले के कारण बुरी तरह घायल हो गया और मेरठ में पिट बुल के आक्रमण से एक किशोरी के जख्मी होने, लखनऊ में पिट बुल के अटैक से एक बुजुर्ग महिला की मौत होने एवं गुरुग्राम में एक पिट बुल डॉग द्वारा एक महिला को गंभीर रूप से घायल करने जैसी घटनाओं के सामने आने के बाद, पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी तथा उत्तर प्रदेश नगरीय विकास मंत्री श्री अरविंद कुमार शर्मा जी से एक बार फिर अनुरोध किया है कि राज्य में कुत्तों की अवैध लड़ाई के लिए विदेशी नस्ल के कुत्तों के रखने को प्रतिबंधित किया जाए, पालतू जानवरों की बिक्री करने वाली अवैध दुकानों व प्रजनन करने पर रोक लगाई जाए व साथ ही साथ अवैध डॉगफाइट पर नकेल कसी जाए।

pit bull image from pixabay

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PETA इंडिया ने सिफ़ारिश की है कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नागरिकों को निर्देश जारी किए जाएँ कि वह अपने घरेलू कुत्तों की नसबंदी करवाएँ और एक माह के अंदर उनका पंजीकरण करवाएँ। पंजीकरण के दौरान घरेलू कुत्तों की नस्लों को स्पष्ट रूप से बताएं। निर्देश ज़ारी होने के ठीक एक महीने की अवधी के बाद सरकारी प्रतिबंधित सूची के अंतर्गत आने वाले कुत्तों के पालन, प्रजनन, और बिक्री पूरी तरह से रोक लगा दी जाए। उत्तर प्रदेश राज्य ने हाल ही के हमलों के बाद कुत्तों की पिट बुल, रॉटवीलर और मास्टिफ नस्लों को प्रतिबंधित करने में रूचि दिखाई है।

भारत में, “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960” के तहत कुत्तों को लड़ने के लिए उकसाना गैरकानूनी है। इसके बावजूद भी उत्तर भारत के कई अन्य हिस्सों में डॉग फ़ाईट्स का धड़ल्ले से आयोजन होता है और इस तरह की फ़ाईट्स में पिट बुल प्रजाति के कुत्ते सबसे ज्यादा दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। पिट बुल प्रजाति के कुत्तों को आमतौर पर अवैध लड़ाई के लिए पाला जाता है व हमलावर कुत्तों के रूप में उन्हें जंजीरों से बांधकर कर रखा जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप यह कुत्ते आजीवन पीड़ा सहते हैं। कई कुत्तों को शारीरिक विकृतियों का सामना करना पड़ता है जैसे उनके कान काटना, यह एक अवैध प्रक्रिया है जिसमे एक कुत्ते के कान का कुछ हिस्सा काट कर निकाल दिया जाता है ताकि लड़ाई के दौरान दूसरा कुत्ते को उसके कान चबाने से रोका जा सके व लड़ाई में हार न हो जाए। इन अवैध डॉग फाइटिंग के दौरान कुत्तों को तब तक लड़ने के लिए लगातार उकसाया जाता है जब तक कि दोनों कुत्तों में से एक गंभीर रूप से घायल न हो जाए या मर न जाए।

UK में Pit Bull Terriers, Japanese Tosas, Dogo Argentinos, और Fila Brasileiros नामक प्रजाति के कुत्तों को रखना अवैध है। इन विशेष प्रजाति के कुत्तों को इसलिए प्रतिबंधित किया गया क्योंकि इनका प्रयोग मनोरंजन हेतु कुत्तों को अवैध रूप से लड़वाने, शोषित करने और जबरन आक्रामक बनाने के लिए किया जाता था। इसी तरह, ऑस्ट्रेलिया में, UK में प्रतिबंधित प्रजातियों के साथ-साथ Perro de Presa Canorios पर भी रोक लगाई गयी है और जर्मनी में Pit Bull Terriers, American Staffordshire Terriers, और Staffordshire Bullterriers नामक कुत्तों के आयात पर रोक है।

PETA इंडिया ने चेतावनी दी है कि कुत्तों की बिक्री करने वाली अधिकांश दुकानें व ब्रीडर्स राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं होते और उनके द्वारा बेचे जाने वाले “पेडिग्री” कुत्तों को उचित पशु चिकित्साकीय देखभाल और पर्याप्त भोजन, व्यायाम, प्यार और समाजीकरण से वंचित रखा जाता है। जिन लोगों के पास पर्याप्त समय, प्यार, करुणा और संसाधन हैं, PETA इंडिया उन सभी लोगों से आग्रह करता है कि आश्रय गृहों या सड़कों पर जीवन यापन कर रहे किसी कुत्ते को गोद लें व उसे अपनाएं।