PETA इंडिया की अपील पर “ड्रग रेग्युलेटर” ने जानवरों पर किए जाने वाले “जबरन तैराकी परीक्षणों” पर स्पष्टीकरण मांगा

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PETA इंडिया द्वारा की गयी अपील के बाद, “ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया” (DCGI) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, देश की तीन बड़ी दवा निर्माता एसोसिएशन से PETA इंडिया के उन सुझावों पर स्पष्टीकरण मांगा हैं जिनमें नई दवाइयों के निर्माण हेतु चूहों या अन्य जानवरों पर होने वाले “जबरन तैराकी परीक्षणों” (FST) से प्राप्त डाटा को अस्वीकार करने और “मानव-प्रासंगिक परीक्षण विधियों” का प्रयोग करने का अनुरोध किया गया है। इस प्रकार के क्रूर FST परीक्षणों में जानवरों को पानी से भरे बंद बीकरों में छोड़कर तब तक तैरने के लिए मज़बूर किया जाता है जब तक वह पानी के ऊपर तैरने नही लगते हैं। जो जानवर एक निश्चित अवधि से पहले ही तैरना बंद कर देते हैं उन्हें “हारा हुआ” या “नाउम्मीद” घोषित कर दिया जाता हैं।

DCGI ने PETA इंडिया के सुझावों को “भारतीय दवा उत्पादक संघ”, “भारतीय फार्मास्यूटिकल उत्पादक संगठन” और “भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस” को भेजा हैं। अपने सुझावों में PETA इंडिया ने उल्लेखित किया कि वैज्ञानिकों द्वारा FST परीक्षण विधि की आलोचना इस आधार पर की जाती है कि प्रचलित धारणा के विपरीत पानी के ऊपर तैरना छोड़कर सिर्फ़ बहना डिप्रेशन जैसे मानसिक रोग की निशानी न होकर, डूबने जैसी जानलेवा परिस्थिति का सामना करने हेतु ऊर्जा बचाने की कारगर तकनीक है। इस परीक्षण के डाटा से यह पता लगाना कि किसी दवाई के अंदर मनुष्यों हेतु डिप्रेशन कम करने के गुण हैं या नहीं लगभग असंभव है, जो इस क्रूर परीक्षण को अप्रासंगिक और अविश्वासनीय बना देता हैं।

PETA इंडिया के अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की अपील के बाद, AbbVie Inc, Astraea Therapeutics, Bayer, Boehringer Ingelheim, Bristol Myers Squibb, GlaxoSmithKline, Johnson & Johnson, Novo Nordisk, Pfizer, Roche, और Sage Therapeutics जैसे अग्रणी दवाई निर्माताओं ने FST पर प्रतिबंध लगा दिया है।