बड़ी ख़बर: PETA इंडिया द्वारा मुंबई के देवनार बूचड़खाने में की गयी नयी जांच में जानवरों के साथ भीषण क्रूरता का खुलासा

Posted on by Erika Goyal

इस साल जून के अंत और जुलाई की शुरुआत में, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया के जांचकर्ताओं ने मुंबई के देवनार में बूचड़खानों का उस समय दौरा किया जब वहाँ लगभग 1.45 लाख बकरियों एवं भेड़ों और 10,000 भैंसों का व्यापार किया जा रहा था। PETA इंडिया ने पाया कि यहाँ गुजरात, मध्य प्रदेश, और राजस्थान जैसे दूर दराज़ के राज्यों से जानवरों को कुर्बानी हेतु लाया जा रहा था और इस जांच में पशुओं के खिलाफ़ क्रूरता, गंदगी और पशु संरक्षण कानूनों के बड़े पैमाने पर उल्लंघन से संबंधित कई सबूत मिले।

इस जांच से निम्नलिखित तथ्य सामने आए:

  • भैसों को उनके साथियों के सामने खुलेआम मौत के घाट उतारा जाता है।
  • भैसों को बिना बेहोश करे मौत के घाट उतारा जाता है जिसका अर्थ है कि उनके ज़िंदा एवं सचेत रहते हुए उनके गले को चीरा जाता है।
  • बैलों की चमड़ी उतारने से पहले कर्मियों द्वारा इसकी जांच भी नहीं की गयी कि जानवर जिंदा हैं या मुर्दा।
  • कर्मियों द्वारा मरे हुए जानवरों के शारीरिक अंगों को नंगे हाथों से उठाया जाता है और नंगे पैरों से खून भरी सड़कों पर चला जाता है।
  • भैंस, भेड़ और बकरियों के चमड़े को घंटों तक ऐसे ही सड़कों पर खुला छोड़ दिया जाता है।
  • मरी हुई बकरियों, भेड़ों और भैंसों को जिंदा पशु मंडियों और परिवहन क्षेत्रों में इधर-उधर लावारिस छोड़ दिया जाता है।
  • जानवरों को बहुत ही बेदर्दी से ट्रकों से खींच-खींचकर बाहर फेंका जाता है जिससे भेड़ और बकरियों को कई गंभीर चोटे भी लग जाती हैं।
  • दुकानदारों द्वारा बकरियों को आपस में लड़ने के लिए उकसाया जाता है।

मांस और चमड़े के लिए मारे जाने वाले जानवर हमारे साथी  कुत्तों और बिल्लियों की तरह हर तरह से बुद्धिमान एवं दर्द महसूस करने में सक्षम होते हैं। यह सभी सजीव प्राणी  जिज्ञासु और भावनात्मक होते हैं एवं इन्हें भी मनुष्यों की तरह अपने जीवन का मोह होता है। यह सभी अपने परिवारों से प्यार करते हैं और इन्हें भी दर्द और डर का एहसास होता है। इस सब के बावजूद इन संवेदनशील प्राणियों को हर साल करोड़ों की संख्या में भोजन और चमड़े के लिए मौत के घाट उतारा जाता है और किसी प्रकार का कानूनी संरक्षण प्रदान नहीं किया जाता है। इन सभी जानवरों के कष्ट को नज़रअंदाज़ किया जाता है, इनके बाहरी एवं आंतरिक अंगों को काटा जाता है और इन्हें जबरन नशे में रखा जाता है। इन सभी पशुओं को ऐसी विषम परिस्थितियों में रखा जाता है एवं इनका प्रजनन किया जाता है कि इन्हें आपार कष्ट और अपंगता का सामना करना पड़ता है साथ ही कठिन मौसम में परिवाहित करके क्रूरता से मौत के घाट उतारा जाता है।

देवनार बूचड़खानों की नवीनतम जांच से PETA इंडिया की पुरानी जांच के तथ्यों की फिर से पुष्टि हो गयी है। PETA इंडिया के अनुसार “पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (बूचड़खाना) नियम, 2001”, और “खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियमन, 2011” के तहत जानवरों को मारने से पहले उनको बेहोश करने की अनिवार्यता है लेकिन ज़्यादातर बूचड़खानों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है।  जानवरों के परिवहन नियम, 1978 का भी अक्सर उल्लंघन किया जाता है।

मांस एवं चमड़े के उपयोग से बूचड़खानों में जानवरों को दी जाने वाली क्रूरता में बढ़ौतरी होती है। इस प्रकार की क्रूरता के विरोध में वर्तमान में भारत सहित दुनियाभर के लोग वीगन जीवनशैली का चुनाव कर रहे हैं और पशु उत्पादित भोजन एवं कपड़ों का त्याग कर रहे हैं। आज के आधुनिक युग में, मांस और चमड़े के बहुत से वीगन विकल्प उपलब्ध हैं।

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