PETA इंडिया की शिकायतों के बाद ग्रेट बॉम्बे सर्कस से पक्षियों को बचाने के लिए त्रिशूर कोर्ट द्वारा एक आदेश और जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा बोर्ड कारण बताओ नोटिस जारी किया गया

Posted on by Shreya Manocha

त्रिशूर टाउन ईस्ट सिटी पुलिस द्वारा दायर एक याचिका और PETA इंडिया द्वारा पशु क्रूरता निवारण (जानवरों की देखभाल और रखरखाव) नियम, 2017 के तहत दायर एक याचिका के बाद, न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट (JFCM), त्रिशूर ने 11 मई 2023 को एक आदेश जारी कर ग्रेट बाम्बे सर्कस से एक मकाउ एवं कटे फटे पंखो वाले एक कॉकटू को जब्त कर तिरुवन्तपुरम के चिड़ियाघर को उसकी अन्तरिम देखभाल की ज़िम्मेदारी दी थी। सरकारी पशु चिकित्सकों की एक टीम द्वारा किए गए स्वास्थ्य निरीक्षण के दौरान उन्होने यह पुष्टि की इन पक्षियों के पंख कुतरे गए हैं। PETA इंडिया से मिली शिकायतों पर कार्यवाई करते हुए केंद्र सरकार के वैधानिक निकाय “भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड”, जो देश में प्रदर्शनों के लिए इस्तेमाल होने वाले जानवरों के संबंध में नियमों की देखरेख करता है, ने जम्बो सर्कस एवं ग्रेट इंडियन सर्कस को नोटिस भेजकर सवाल किया है कि वह इस बात का जवाब दें कि उनके “प्रदर्शनकारी पशु पंजीकरण प्रमाणपत्रो को तुरंत निलंबित क्यूँ नहीं किया जाए”।

PETA इंडिया की यह याचिका त्रिशूर पुलिस के पास सर्कस के खिलाफ की गई FIR के साथ जमा कराई गई थी, जिसे पक्षियों के पंख काटने और प्रदर्शन के लिए जानवरों का उपयोग करने के खिलाफ़ दायर किया गया था। सरकारी पशुचिकित्सकीय रिपोर्टों के अवलोकन के बाद, JFCM त्रिशूर ने पाया कि यह पक्षियों के प्रति क्रूरता का प्रथम दृष्टया मामला बनता है, और तदनुसार, पक्षियों को जब्त करने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा, ग्रेट बॉम्बे सर्कस को पक्षियों के परिवहन और दैनिक देखभाल की राशि का भुगतान करने के वचन के साथ 5,00,000 रुपये का बांड निष्पादित करने का आदेश भी दिया गया। यह पहली बार नहीं है जब ग्रेट बॉम्बे सर्कस पर पक्षियों के पंख काटने का आरोप लगाया गया है। अक्टूबर 2022 में, मैसूरु पुलिस ने ग्रेट बॉम्बे सर्कस के मालिक के खिलाफ इन्हीं अपराधों के लिए FIR दर्ज की थी।

PETA इंडिया द्वारा की गयी जाँचों एवं भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा किए गए अनेकों निरीक्षणों में यह साबित हुआ है कि जानवरों का इस्तेमाल करने वाले सर्कस स्वाभाविक रूप से क्रूर होते हैं, वह जानवरों को जंजीरों में बांधकर लगातार गंदे एवं बदबूदार तंग पिंजरों में कैद रखते हैं, उन्हें पशु चिकित्सा देखभाल और पर्याप्त भोजन, पानी और आश्रय से वंचित कर उन सब चीजों से वंचित रखते हैं जो प्रकर्तिक रूप से उनके लिए जरूरी एवं स्वाभाविक हैं। उन्हें मारपीट एवं हथियारों के डर से भ्रामक, असुविधाजनक और दर्दनाक करतब करने के लिए मजबूर किया जाता है। इन्ही यातनाओं एवं कष्ठभरे जीवन के चलते यह जानवर अत्यधिक तनाव और मानसिक रूप से पीड़ित होने के व्यवहार भी प्रदर्शित करते हैं।

 

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