शीतकालीन सत्र से पहले, PETA इंडिया ने सांसदों से हाथियों की रक्षा करने की अपील करी

Posted on by Shreya Manocha

7 दिसंबर 2022 से शुरू होने वाले संसद शीतकालीन सत्र से ठीक पहले, PETA इंडिया द्वारा राज्यसभा सदस्यों से वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022, में कुछ आवश्यक बदलाव करने की अपील की गयी है। समूह द्वारा अपनी अपील में, ऐसे प्रावधान जोड़ने का अनुरोध किया गया जो निजी तौर पर या धार्मिक संस्थानों को उपहार, मुख्तारनामा, पट्टा और दान सहित किसी भी अन्य माध्यम से स्वामित्व प्रमाणपत्र प्रदान करने पर स्पष्ट रूप से रोक लगाए और हाथियों के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करें। इस प्रकार की वैधानिक छूट हाथियों के अवैध व्यापार और कब्ज़े  को प्रोत्साहित करती हैं।

PETA इंडिया द्वारा उल्लेखित किया गया कि हाथी एकमात्र ऐसे वन्यजीव हैं जिन्हें निजी तौर पर “स्वामित्व” प्रदान करने की अनुमति है। वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2022 की धारा 43(1) हाथियों सहित सभी प्रकार के बंदी पशुओं की बिक्री पर रोक लगाती है, जिसके बावजूद उन्हें “उपहार” और “दान” की आड़ में व्यावसायिक रूप से स्थानांतरित किया जाता है। यह बेहद गंभीर विषय है कि इस प्रस्तावित संशोधन में इतनी बड़ी खामी को दूर करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है, जबकि जंजीरों में कैद हथियों को नियमित रूप से मारा-पीटा जाता है और मानसिक रूप से शोषित किया जाता है। इस शारीरिक और मानसिक शोषण के चलते कई कुंठित हाथियों द्वारा मनुष्यों पर हमला किया गया है।

आमतौर पर सवारी या समारोहों, फिल्मों और अन्य प्रदर्शनों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हाथियों को शिशु अवस्था में ही अपनी माताओं से अलग कर दिया जाता है, जबरन काम करने के लिए मज़बूर किया जाता है, अकेले भारी ज़ंजीरों में कैद रखा जाता है और हथियारों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बंदी हाथियों की संख्या 2675 हैं, जबकि विभिन्न राज्यों द्वारा केवल 1251 स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। असम, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में 96% हाथियों को स्वामित्व प्रमाण पत्र के बिना कैद में रखा गया जो कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का स्पष्ट उल्लंघन है।